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Best बिल Shayari, Status, Quotes, Stories

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बेबाक अशिक

#कृषि #बिल #कृषि #कानून #RIPRahatIndori Ambika Jha Abdullah Qureshi अंकित कुमार ✍️ Yogesh Mahadev Sanap Naseem Khan Pthan

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रफ्तार ए खूने सरूर बढ़ना चाहिए,
नीतिया गलत हो आवाज उठना चाहिए।
 हम देखेंगे ताकतें ए दौर उनका भी,
जिनको ताकत हमें ने दी है।

©बेबाक अशिक #कृषि #बिल #कृषि #कानून
#RIPRahatIndori  Ambika Jha Abdullah Qureshi अंकित कुमार ✍️  Yogesh Mahadev Sanap Naseem Khan Pthan

SK pant

#कृषि #बिल#you #farmersprotest viren zalavadiya Shivam Mishra Nitukumari Anjali singh benam shayrr

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बालकनी के गमले में पुदीना उगाने वाले बता रहे हैं
“मैं भी किसान हूँ, मुझे कृषि बिल से दिक़्क़त है!”
😂😂😂

©MK Madhav #कृषि #बिल#you

#farmersprotest  viren zalavadiya Shivam Mishra Nitukumari Anjali singh benam shayrr

Satish Kumar Meena

एक सलाम सैनिकों के नाम

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Natural Morning आजादी के बाद भी दुश्मन, 


कीड़ों की तरह पनप रहे। 

भारत ही इस मर्ज की दवा, 

वीर शहादत नहीं सहे। 


इन बिल के नागों को हम, 

उन्हीं के बिल में दफनायें। 

शत्रुओं की छाती पर, 


हमसब देश तिरंगा लहराएें। 


माँ के दूध को उजला कर, 

वो वीर हो गए फिर गुमनाम। 

मातृभूमि की रक्षा के लिए, 

वीरों को फिर एक सलाम। 


सीमा के प्रहरी बनकर, 

भारत को दृढ़ बनाए। 

शत्रुओं की छाती पर,, 

हमसब देश तिरंगा लहराएें। 


माँ तो उनके साथ नहीं, 

पर दुआ तो साथ जाती है। 

बहन की वो मुस्कान नहीं, 

राखी की चमक दिख आती है। 


पिता की झलक माथे पर, 

दिया आशीर्वाद दिखाए। 

शत्रुओं की छाती पर, 

हमसब देश तिरंगा लहराएें।  एक सलाम सैनिकों के नाम

Motivational_writer79 (शंकरदास)

व्यंग☺️😂

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मैं बोला-  तू जा कैसे सकती है ! बिल मैंने भरा तो   वो  बोली -

खबरदार  अगर    बिल

 मेरा  एकाऊंट  से कटा  तो व्यंग☺️😂

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha कई कहानियां उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर ही गुज़रती हैं। मेरी आज की कहानी भी मुझे उन्हीं रास्तों से गुजरती नज़र आ रही है। वज़ह?  वज़ह हम खुद हैं। कई बार हम ज़िंदगी की सच्चाई से खुद को इतना दूर कर लेते हैं कि हमें सत्य का भान ही नहीं रहता। हम अपनी ही कहानी के निरीह पात्र बन जाते हैं। अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि संजय सिन्हा तो सीधे-सीधे कहानी शुरू कर देते हैं, भूमिका नहीं बांधते। फिर आज ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी जो अपनी कहानी को उबड़-खाबड़ रास्तों पर छोड़ कर खुद आराम

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Story of Sanjay Sinha 
 कई कहानियां उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर ही गुज़रती हैं। मेरी आज की कहानी भी मुझे उन्हीं रास्तों से गुजरती नज़र आ रही है। वज़ह? 
वज़ह हम खुद हैं। कई बार हम ज़िंदगी की सच्चाई से खुद को इतना दूर कर लेते हैं कि हमें सत्य का भान ही नहीं रहता। हम अपनी ही कहानी के निरीह पात्र बन जाते हैं।
अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि संजय सिन्हा तो सीधे-सीधे कहानी शुरू कर देते हैं, भूमिका नहीं बांधते। फिर आज ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी जो अपनी कहानी को उबड़-खाबड़ रास्तों पर छोड़ कर खुद आराम

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