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Shivkumar
🌹अब तो एक अदाकार से डर लगता है........ मुझको दुश्मन से नहीं यार से डर लगता है........✍🏻 ©Shivkumar #Love #Dosti #Yaari #Dusman 🌹अब तो एक #अदाकार र से डर लगता है........ मुझको #दुश्मन से नहीं यार से #डर र लगता है........✍🏻
Uttam Dixit
अदाकार होने का ये नुकसान है मुझे, मेरे रोने को लोग अदाकारी समझते हैं.. #नुकसान हो रहा है यार,,,, 🤗💔 #अदाकार #अदाकारी #रोना #लोग #heartbreak #udquotes
Uttam Dixit
अदाकार होने का ये नुकसान है मुझे, मेरे रोने को लोग अदाकारी समझते हैं.. #नुकसान हो रहा है यार,,,, 🤗💔 #अदाकार #अदाकारी #रोना #लोग #heartbreak #udquotes
Swati Tyagi
Dr. Afsar Safar
Jaidev Joshi
Shayri &Motivation.#Diary
झूठी सियासतों का अदाकार कौन है मारा है जिसने गांधी को वो गद्दार कौन है होकर शहीद देश पेअब्दुल हमीद ने दुनिया को ये बता दिया कि वफादार कौन है। #Happy #Republicday #झूठी #सियासतों का #अदाकार कौन है मारा है जिसने #गांधी को वो गद्दार कौन है होकर #शहीद देश को #अब्दुल #हमीद ने दुनिया को ये बता दिया कि #वफादार कौन है। #Happy #Republicday miss pahadan pooja negi# Suman Zaniyan Suprabha Preeti Shah
Qalb
घर से निकलते ही मिल जाते हैं हमदर्द हजारों, लगता है मेरी बस्ती में अदाकार बहुत है ॥ #अदाकार
Royal Rajpoot
#OpenPoetry ताबीर से महरूम मेरे ....ख़्वाब बहोत हैं..... छोटी है कहानी....मगर #बाब बहोत हैं..... हर मोड़ पर मिल जाते हैं #हमदर्द हज़ारों..... लगता है इस बस्ती में #अदाकार बहोत हैं.....!!
रजनीश "स्वच्छंद"
फक्कड़।। मैं एक फक्कड़ अदाकार हूँ, बात छुपा नहीं पाता हूँ। कभी पुष्प तो कभी खार हूँ, जात छुपा नहीं पाता हूँ। तू डाल डाल, मैं पात पात, कैसे बने फिर बोलो बात। लोग कहें ये ज़ुबां है काली, मिथ्या अभिनन्दन हुआ नहीं। एक जगह बतलाओ मुझको, जहां ये क्रंदन हुआ नहीं। कलम मेरी पहचान रही, हमसाया हमसंगी है। स्वर विरोध के फूटे इससे, विद्रोही बड़ी ये जंगी है। किस ख़ातिर तेरा सम्मान करूँ, जो ये दरबार सजाया है। किस डर मैं कर लूं वंदन, अपना घरबार जलाया है। है तेरा क्या जो दान करे, सब मिट्टी में मिल जाना है। तुम कांटे जितने बोओगे, ये पुष्प वहीं खिल जाना है। आदि अनन्त से मुक्त रहा, मैं मोक्षधाम का वासी हूँ। धनातुर हो हवन ये कैसे, मैं कलम लिया सन्यासी हूँ। न वानप्रस्थ न चौदह बरस, यहीं मैं लंका जलाऊंगा। शब्दों की रणभेरी बना, युद्ध का डंका बजाऊंगा। रक्तपुरित ये आँख लिए, मैं लाल जहां कर जाऊंगा। ढली सुबह की लाली जब जब, मैं पुनः लौट कर आऊंगा। दे अमरत्व का वर शब्दों को, निर्मित लौह-स्तंभ करूंगा। ले प्रेरणा दिनकर से फिर, मैं शब्दों में दम्भ भरूंगा। वज्रित होगा हर एक प्रहार, जरा की संधि खण्डित होगी। फिर गांधारी का होगा श्रृंगार, ना बन अंधी दण्डित होगी। एकलव्य अंगूठा नहीं कटेगा, कवच कर्ण का रक्षित होगा। ब्रह्मास्त्र चलेगा कोई नहीं, न गर्भ शिशु से वंचित होगा। रौशनी की चकाचौंध में, रात छुपा नहीं पाता हूँ। मैं एक फक्कड़ अदाकार हूँ, बात छुपा नहीं पाता हूँ। ©रजनीश "स्वछंद" फक्कड़।। मैं एक फक्कड़ अदाकार हूँ, बात छुपा नहीं पाता हूँ। कभी पुष्प तो कभी खार हूँ, जात छुपा नहीं पाता हूँ। तू डाल डाल, मैं पात पात,