Find the Best गांधी Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutगांधी को महात्मा की उपाधि, महात्मा गांधी के बारे में, इंदिरा गांधी के बारे में, राहुल गांधी और मोदी का भाषण, युगावतार गांधी कविता की व्याख्या,
Asheesh Mishra
गांधी को किसने मारा सबको पता है गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों को किसने मारा नही पता ये है आज के इतिहासकार . ©Asheesh Mishra #गांधी #गुरुगोविंद_सिंह #साहिबजादे #hindu #hindustan #bharat
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read moreGanesh Din Pal
White मेरा जीवन संघर्ष बना आजादी में हो गया फना जीवन का तान बना चरखा आजादी का रंग मैंने परखा तुम भूखे नंगे मत रहना जब आन पड़े तो लड़ पढ़ना औजार अहिंसा का लेना मानवता को जीने देना। ©Ganesh Din Pal #गांधी जी और अहिंसा
#गांधी जी और अहिंसा
read moreMukesh Poonia
White शून्य से बहुमूल्य होने तक का सफर अनगिनत ठोकरो से होकर गुजरता है महात्मा गांधी जी की जयंती की शुभकामनाएं ©Mukesh Poonia #gandhi_jayanti #शून्य से #बहुमूल्य होने तक का सफर #अनगिनत #ठोकरो से होकर #गुजरता है #महात्मा #गांधी जी की #जयंती की #शुभकामनाएं आज शुभ विचार बेस्ट सुविचार सुविचार इन हिंदी आज का विचार नये अच्छे विचार
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read moreअदनासा-
लोगों को मोटिवेट करने वाले एक मोटिवेशनल बंदे ने लिखा है, " हमें आज़ादी चरखे से नही शहिदों से मिली है" इसलिए इस ओवर मोटिवेशनल बंदे को, मजबूरन जवाब हेतु लिखना ही पड़ा, वो यह कि👇 देश को आज़ादी मिले इसकी खातिर बलिदान बहुत से लोगों ने दिया है, किसी का नाम हुआ तो कोई बिना अपने नाम के गुमनाम हो गया, उन गुमनामों की चर्चा ना तुम कर सकते हो ना मैं, रही बात चरखे की, तो जिसने चरखा चलाया वह भारतीय व्यक्ति थे महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता, देश के लिए चरखा चलाने वाले इस महात्मा को एक भारतीय हत्यारे व्यक्ति गोड़से ने गोली मारी थी, इसलिए आज़ादी के लिए यह चरखा चलाने वाले महात्मा गांधी भी शहीद हुए, वह भी अपने ही भारतीय बंदे के हाथों, अतः आपसे निवेदन है चरखे का इस्तेमाल अनमोटिवेशनल शब्दों के लिए ना करो। मोटिवेशनल बनना है बनो परंतु पॉलिटिकल बनने का प्रयास ना करो। ©अदनासा- #हिंदी #जवाब #बंदा #अनमोटिवेशनल #पॉलिटिकल #चरखा #गांधी #गोडसे #Instagram #अदनासा
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read moreSunil Kumar Sharma
76th Mahatma Gandhi Punyatithi गांधी जी की पुण्यतिथि पर, उन्हे शत शत नमन, जय हिंद जय भारत। 🇮🇳🙏 ©Sunil Kumar Sharma #NojotoHindistory #गांधी....................
Hindistory #गांधी....................
read moreLovely Love
76th Mahatma Gandhi Punyatithi नपुंसक जन्मे थे घर घर, गुगो से दुनिया भारी थी। अरे भगत और सुखदेव को अंधों ने गोली मारी थी। थे बहरे भारत के हर एक बसी, न सुनाई देती थी उस वक्त बिलकती आबादी। कायरता थी इतनी की बने थे तीन बंदर। वो आर्यवत नही था उस वक्त, न जिन्दा था सनातन। ©Lovely Love #गांधी
अदनासा-
Mukesh Poonia
खादी मेरी शान है, कर्म ही मेरी पूजा है, सच्चा मेरा करम है और हिंदुस्तान मेरी जान है गांधी जयंती की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ©Mukesh Poonia #गांधी #जयंती की #हार्दिक #शुभकामनाएं
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read moreकुलदीप शर्मा
इंक़लाब से वतन जगाया, अहिंसा एक सूखी 'आंधी' है। फांसी चूम कर 'भगत' बना, नाज़ुक गालों पर चांटे 'गांधी' है। © faujikealfaaz #गांधी #भगतसिंह #faujikealfaaz #diltofaujihaiji #nationfirst #kuldeepsharma #ballpen #yourquote
pramod malakar
#इतिहास_के_गलियारों_का_सच 🇮🇳45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और छिलके कूटवाते हैं। वो तमाम कैदियों को शिक्षित कर रहा होता है, उनमें राष्ट्रभक्ति की भावनाएँ प्रगाढ़ कर रहा होता है और साथ ही दीवालों कर कील, काँटों और नाखून से साहित्य की रचना कर रहा होता है। उसका नाम था- विनायक दामोदर सावरकर। वीर सावरकर। उन्हें आत्महत्या के ख्याल आते। उस खिड़की की ओर एकटक देखते रहते थे, जहाँ से अन्य कैदियों ने पहले आत्महत्या की थी। पीड़ा असह्य हो रही थी। यातनाओं की सीमा पार हो रही थी। अंधेरा उन कोठरियों में ही नहीं, दिलोदिमाग पर भी छाया हुआ था। दिन भर बैल की जगह खटो, रात को करवट बदलते रहो। 11 साल ऐसे ही बीते। कैदी उनकी इतनी इज्जत करते थे कि मना करने पर भी उनके बर्तन, कपड़े वगैरह धो देते थे, उनके काम में मदद करते थे। सावरकर से अँग्रेज बाकी कैदियों को दूर रखने की कोशिश करते थे। अंत में बुद्धि को विजय हुई तो उन्होंने अन्य कैदियों को भी आत्महत्या से विमुख किया। लेकिन नहीं, महा गँवारों का कहना है कि सावरकर ने मर्सी पेटिशन लिखा, सॉरी कहा, माफ़ी माँगी..ब्ला-ब्ला-ब्ला। मूर्खों, काकोरी कांड में फँसे क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने भी माफ़ी माँगी थी, तो? उन्हें भी 'डरपोक' करार दोगे? बताओ। उन्होंने भी माफ़ी माँगी थी अंग्रेजों से। क्या अब इस कसौटी पर क्रांतिकारियों को तौला जाएगा? शेर जब बड़ी छलाँग लगाता है तो कुछ कदम पीछे लेता ही है। उस समय उनके मन में क्या था, आगे की क्या रणनीति थी- ये आज कुछ लोग बैठे-बैठे जान जाते हैं। कौन ऐसा स्वतंत्रता सेनानी है जिसे 11 साल कालापानी की सज़ा मिली हो। नेहरू? गाँधी? कौन? नानासाहब पेशवा, महारानी लक्ष्मीबाई और वीर कुँवर सिंह जैसे कितने ही वीर इतिहास में दबे हुए थे। 1857 को सिपाही विद्रोह बताया गया था। तब इसके पर्दाफाश के लिए 20-22 साल का एक युवक लंदन की एक लाइब्रेरी का किसी तरह एक्सेस लेकर और दिन-रात लग कर अँग्रेजों के एक के बाद एक दस्तावेज पढ़ कर सच्चाई की तह तक जा रहा था, जो भारतवासियों से छिपाया गया था। उसने साबित कर दिया कि वो सैनिक विद्रोह नहीं, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था। उसके सभी अमर बलिदानियों की गाथा उसने जन-जन तक पहुँचाई। भगत सिंह सरीखे क्रांतिकारियों ने मिल कर उसे पढ़ा, अनुवाद किया। दुनिया में कौन सी ऐसी किताब है जिसे प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया था? अँग्रेज कितने डरे हुए थे उससे कि हर वो इंतजाम किया गया, जिससे वो पुस्तक भारत न पहुँचे। जब किसी तरह पहुँची तो क्रांति की ज्वाला में घी की आहुति पड़ गई। कलम और दिमाग, दोनों से अँग्रेजों से लड़ने वाले सावरकर थे। दलितों के उत्थान के लिए काम करने वाले सावरकर थे। 11 साल कालकोठरी में बंद रहने वाले सावरकर थे। हिंदुत्व को पुनर्जीवित कर के राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले सावरकर थे। साहित्य की विधा में पारंगत योद्धा सावरकर थे। आज़ादी के बाद क्या मिला उन्हें? अपमान। नेहरू व मौलाना अबुल कलाम जैसों ने तो मलाई चाटी सत्ता की, सावरकर को गाँधी हत्या केस में फँसा दिया। गिरफ़्तार किया। पेंशन तक नहीं दिया। प्रताड़ित किया। 60 के दशक में उन्हें फिर गिरफ्तार किया, प्रतिबंध लगा दिया। उन्हें सार्वजनिक सभाओं में जाने से मना कर दिया गया। ये सब उसी भारत में हुआ, जिसकी स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अपना जीवन खपा दिया। आज़ादी के मतवाले से उसकी आज़ादी उसी देश में छीन ली गई, जिसे उसने आज़ाद करवाने में योगदान दिया था। शास्त्री जी PM बने तो उन्होंने पेंशन का जुगाड़ किया। वो कालापानी में कैदियों को समझाते थे कि धीरज रखो, एक दिन आएगा जब ये जगह तीर्थस्थल बन जाएगी। आज भले ही हमारा पूरे विश्व में मजाक बन रहा हो, एक समय ऐसा होगा जब लोग कहेंगे कि देखो, इन्हीं कालकोठरियों में हिंदुस्तानी कैदी बन्द थे। सावरकर कहते थे कि तब उन्हीं कैदियों की यहाँ प्रतिमाएँ होंगी। आज आप अंडमान जाते हैं तो सीधा 'वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट' पर उतरते हैं। सेल्युलर जेल में उनकी प्रतिमा लगी है। उस कमरे में प्रधानमंत्री भी जाकर ध्यान धरता है, जिसमें सावरकर को रखा गया था। सावरकर का अपमान करने का अर्थ है अपने ही थूक को ऊँट के मूत्र में मिला कर पीना। हजारो झूले थे फंदे पर, लाखों ने गोली खाई थी क्यों झूठ बोलते थे साहब, चरखे से आजादी आई थी.... 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻। ©pramod malakar #गांधी कौन ...??
#गांधी कौन ...??
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