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Madhvendra Pratap Singh
तेरे संग रहकर मेरे रहबर तेरे रंगत में रंग गए वरना इश्क को हमने भी धुएँ में उड़ाया है बहुत है #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी
Madhvendra Pratap Singh
कुछ कहना है क्या सुनोगे तुम क्या जैसे तुमने मेरे साथ ख्वाब बुने वैसे ही उनके साथ भी बुनते हो रात रात भर क्या उनके भी कन्धे पर सिर रखकर हर दर्द बयाँ कर लेते हो तुम क्या वो बातें जो किसी से नहीं कहीं तुमने सिवाय मेरे उनसे भी कह लेते हो तुम क्या वो भी तुम्हारी आँखों में देखकर पढ़ लेते है तुम्हारे मंसूबे को क्या तुम्हारे ओंठ देखकर वो तुम्हारी प्यास और जबाब समझ जाते है क्या वो भी मेरे तरह तुम्हारी जुल्फों में अपनी उंगलिया उलझा कर उन्हें सुलझाते है क्या तुम उतनी ही नादानी से अपनी हर कहानियाँ उन्हें भी सुना दिया करती हो कुछ कहना है तुमसे सुन सकोगे क्या? तुम्हारे साथ इतना अर्से बीते हर लम्हें संजोये है मैंने अपने दिल के अजायबघर में दिल का हर वो पन्ना जो फाड़कर फेंक दिया था तुमने उसे सम्भाल कर रखा है मैंने तुम्हारे हर सवाल जो अक्सर परेसान करते थे उनके जबाब है मेरे पास सुनोगे बारिश के मौसम में भीगकर जब तुम बीमार होते थे और फिर मुझमें दवा ढूढ़ते थे मेरी हर आदत तुम्हारी पसंद हुआ करती अगर बदलूँ तो बिगड़ जाया करते थे आज बहुत बदल गया हूँ मैं पर कोई खफा नहीं होता कुछ कहना है एक बार तुमसे सुनोगे क्या?? #अधूरे_एहसास #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी
#माधवेन्द्र_फैज़ाबादी #अधूरे_एहसास
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कभी खुद से मिलकर रोये हो ? कभी अपनी गलतियों पर खुद से नजर न मिला सको तब ठीक से सोये हो ? कभी यूँ ही वेवजह किसी की खातिर रात भर जाग कर सपने संजोए हो? कभी मंदिर में बैठकर किसी अंजान कि खातिर भजन में खोए हो ? कभी अपने अच्छे कर्मों से कुछ जख्म खुद के धोए हो ? कभी टूटे हुए कतार से नीचे लोगों को खुद में पिरोए हो? जो गिर रहे थे दबाए हुए लोग उनका हाथ थामकर उनकी तकलीफों को डुबोये हो? कभी दूसरों की खुशी की खातिर खुद को खंजर चुभोए हो ? अगर हाँ तो इंसान हो तुम । और दुआ है कि तुममें ये असर जिंदा रहे। #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी
Madhvendra Pratap Singh
सिर्फ नुक़्ता या ज़ेर ज़बर की बात नहीं थी साहेब वहां तो कई अल्फ़ाज़ बदले बदले से थे जरा सा रईसों के साथ बैठे क्या महफ़िल में चार रोज उनके मिज़ाज बदले बदले से थे। #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी
Madhvendra Pratap Singh
जो लोग सवाल नहीं करते बहुत अच्छे होते हैं ? सवाल सत्ता से ? सवाल नेता से सवाल शोषण के खिलाफ? सवाल गलत परम्पराओं नियमों के खिलाफ? सवाल हर एक जिम्मेदार से ? मौन होकर शोषण सहने वाले और अच्छे होते हैं ? बुरे होते हैं तो मुखर लोग जो सवाल करते हैं या फिर लड़ते हैं। हमें बुरे लोग पसन्द हैं । हम बुरा बनना पसन्द करेंगे। तमाशा बीन लोग हाशिये पर हैं वो अच्छे होते हैं क्योंकि वो तालियां बजाते हैं। #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी
Madhvendra Pratap Singh
अक्सर अपने दिल की बातें कह लेता था खुलकर मैं जब भी दर्द जरा होता था रो लेता था मिलकर मैं तब शायद मेरे दिल में एक बच्चा होता था जब भी परेशान हो तो वो रोता था अब शायद वो बड़ा हो गया घुट घुट जीना सीख गया दिल की बातें दिल में रखकर उस दर्द को पीना सीख गया पर आज अकेले जब भी होता तब वो रोता है तब शायद दिल से फिर बच्चा होता है #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी
Madhvendra Pratap Singh
ये रस्म है एक फरियाद नही मैं क्या हूँ मुझको याद नहीं तुम समझ गए हो इस दिल को तो फिर क्यों कोई आगाज़ नही तुम लाख मुकम्मल बादल हो पर मुझको तेरी प्यास नहीं बरसो जाकर उस महफ़िल में जिसका कल था पर आज नहीं तू रोज बहाने करता चल क्या होगा शायद अंदाज नही ये आसमान तो होगा पर होगी तेरी परवाज़ नहीं मैं तो आवारा शायर हूँ मुझमें है कोई बात नहीं तू तो निज़ाम है मलिक है पर तेरी भी तो औकात नहीं #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी
Madhvendra Pratap Singh
मुझे खोये हुए अर्सा हुआ है ..........मैं खुद को ढूंढता हूँ #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी
Madhvendra Pratap Singh
तुम गए फिर हम गए ये सिलसिला चलता रहा इश्क़ यूँ लुटता रहा और काफिला चलता रहा। बेखबर थे सब मुसाफिर उस लुटेरे शाह से बस्तियां जलती रही और कारवां चलता रहा। #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी।
Madhvendra Pratap Singh
वक्त की तारीफ में क्या लिखे साहेब गुरूर में हो तो औकात बता देता है #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी