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पूर्वार्थ

धर्म सत्संग प्रवचन या फिर ईश्वर पर अंधविश्वास जो श्रद्धा से कही अधिक हो... मैं श्रद्धा और अंधविश्वास को ईश्वर के लिए दो  अलग अलग भाव से देखती हूं.... अगर आप ईश्वर के भरोसे बैठे रहे की वो जो करेंगे अच्छा करेंगे या वो एकदिन जरूर समय बदलेंगे तो मैं इसे अंधविश्वास मानती हूं... लेकिन अगर आप अपने कर्मो और अच्छे विचारों के साथ पूरी ईमानदारी से तत्परता के साथ ईश्वर को भी मानते है तो मैं इसे श्रद्धा कहूंगी, 
    गौतम बुद्ध ने जब धर्म को अपनाया तो उन्होंने दाम्पत्य और गृहस्थ जीवन का त्याग कर दिया... उन्होंने अपने समस्त ध्यान धर्म सत्संग अच्छे विचारों में लगाया... यशोधरा को दुख तो जरूर हुआ क्युकी वो उनको कुछ कहकर नही गए लेकिन यशोधरा की उम्मीदें और इच्छाएं आत्मनिर्भर हो गई उन्हे बुद्ध से कोई आशाएं नहीं रह गई.....
और बुद्ध ने भी इनपर कभी भाव व्यवहारिकता का बंधन नहीं डाला .....
 एक स्त्री के लिए धर्म सत्संग असमय पूजा पाठ मंदिर या व्रत जप तप गृहस्थ जीवन में रहकर नामुमकिन बातें है या अधकुचली रीति रिवाज है, अकसर औरतें औसत उम्र ढल जाने के बाद ईश्वर को समझ पाती है... वो हमेशा वक्त नहीं मिलता का ही दुख रोती रहती क्युकी उनके लिए प्राथमिक धर्म और पूजा उनका परिवार होता है, कभी बच्चे छोटे होते तो कभी घर पर कोई बीमार होता, कभी लंच की जल्दी रहती तो कभी शाम रिश्तेदार आ जातें....
लेकिन एक पुरुष गृहस्थ जीवन से ऊब कर सन्यासी या धर्म का अनुयायी बनता है ...
  धार्मिक होना अच्छी बात है लेकिन धर्म के नाम पर कायर होना या जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेना धर्म का अपमान है.... इससे अच्छा है बुद्ध बनो और एक रात घर छोड़ दो फिर समझ आएगा धर्म का रास्ता इतना  सरल नहीं है...
गौतम बुद्ध कितने दिनों तक भूखे प्यासे रहे होंगे,, कितनी राते जाग कर काटी होंगी, मीलो पैदल चलते रहे होंगे , कितने कंकड़ कितने लोगो और कितने स्थानों पर वो एक अकेला शरीर कितना चुभता होगा... जिसे सन्यास कहा जाता है,
धार्मिक जीवन बहुत कठिन है अपनाना तो दूर इसे ईमान दारी  से छुआ भी नहीं जा सकता ।।

©पूर्वार्थ #सत्संग
#वेदज्ञान

Vandana

बसंत की सुबह नवचेतना को संचार करती है, जिस तरह से शाखों में आते हैं नए पत्ते, पुष्पों से भर जाता है उपवन, उसी तरह हमारे मन में भी, खुशबू की बयार आती है,, पुष्प खिलते हैं शाखों पर नए पत्ते आते हैं, उर्जा का नया संचार होता है, और हमारा तन मन भी फिर से जीवंत हो उठता #नवनिर्माण #फुलवारी #वेदज्ञान #नवउमंग #फुलोंकाखिलना #फुलो_की_बरसात

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हर सुबह मेरी खास है इस पल में बस तेरा 
ही एहसास है,खिलाता है,बगिया में फूल 
वो भी तेरा ही रहस्य है,
मन को मोह लेता प्रातःकाल का ये 
मनोरमदृश्य है,अद्भुत विचारों से भर देता है 
मस्तिक को,
मन में नए उत्साह का संचार होता है,
सूरज की किरणों को फिर कण-कण से 
प्यार होता है,,
अंकुरित होता जीवन का सरोकार होता है,, बसंत की सुबह नवचेतना को संचार करती है, 
जिस तरह से शाखों में आते हैं नए पत्ते,
पुष्पों से भर जाता है उपवन,
उसी तरह हमारे मन में भी,
खुशबू की बयार आती है,, 
पुष्प खिलते हैं शाखों पर नए पत्ते आते हैं,
उर्जा का नया संचार होता है,
और हमारा तन मन भी फिर से जीवंत हो उठता

manoj kumar jha"Manu"

#वेदज्ञान हमारे पाप नष्ट हों।

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विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव।
यद् भद्रं तन्न: आसुव।।
हे सूर्यदेव! हमारे सम्पूर्ण पापों का नाश कीजिए और जो कल्याणकारी हो, वह हमें प्रदान कीजिए।।
वेद #वेदज्ञान 

हमारे पाप नष्ट हों।

manoj kumar jha"Manu"

#वेदज्ञान सभी एकमत होकर कार्य करें।

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सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम।
देवा    भागं यथा  पूर्वे संजनाना    उपासते।।

साथ साथ चलो, साथ साथ बोलो और अपने मनों को एक मन हो ज्ञान प्राप्त करो। जिसप्रकार श्रेष्ठ जन एकमत होकर ज्ञानार्जन करते हुए ईश्वर की उपासना करते हैं, उसी प्रकार आप भी एक मत होकर विरोध त्यागकर आपना कार्य करें।

ऋग्वेद, १०/१९१/२ #वेदज्ञान 
सभी एकमत होकर कार्य करें।

manoj kumar jha"Manu"

इहैव स्तं मा वियौष्टम।।

पति पत्नी अविच्छिन्न प्रेम सूत्र में बंधे रहें।।

अथर्व० १४/१/२२ #वेदज्ञान

manoj kumar jha"Manu"

#वेदज्ञान गृहस्थ आश्रम की गम्भीरता को समझें और आनन्द लें।

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एष यज्ञानां विततो वहिष्ठो

गृहस्थ आश्रम यज्ञ सभी यज्ञों से महान यज्ञ है, इसका सावधानी पूर्वक प्रयोग करो।

अथर्व० ४/३४/५ #वेदज्ञान 
गृहस्थ आश्रम की गम्भीरता को समझें और आनन्द लें।

manoj kumar jha"Manu"

#वेदज्ञान दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाओ

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जाया पत्ये मधुमती वाचं वदतु शांतिवाम।

पत्नी पति के लिए मधुर वाणी का प्रयोग करे तथा दम्पति में शांति, संतोष एवं प्रेम बना रहे।
अथर्व० ३/३०/१ #वेदज्ञान

दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाओ

manoj kumar jha"Manu"

#वेदज्ञान माँस और शराब का सेवन न करें।

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माँस व शराब का सेवन करने वाले पूर्वजन्म में राक्षस या पशु रहे होंगे।
वर्तमान में उन्हें क्या संज्ञा दी जाए? #वेदज्ञान
माँस और शराब का सेवन न करें।

manoj kumar jha"Manu"

#वेदज्ञान शराब न पिएं।

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शराब को पीने वाले दुष्ट लोग आपस में लड़ते हैं और नंगे होकर व्यर्थ बड़बड़ाते हैं, इसलिए शराब का सेवन बुरा है।
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ऋग्वेद
८/२/१२ #वेदज्ञान
शराब न पिएं।


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