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Shivkumar
// नदी के किनारे// वे नदी के किनारे पड़े रहतें हैं बिना किसी मछली के सहारे | एक भी कभी अगर मछली मिले वे सभी को बस ताकते रहतें हैं | कभी मिली तो कभी नहीं भी कहीं नदी में हो या तालाब में न मिली तो जातें है | उन मछलियों की तलाश में बस एक वो मछुआरा ही तो रहता है | उनके हाथों से कभी नहीं निकली मछली | मछुआरों की जिंदगी ही वो मछली ही है ©Shivkumar #fisherman #fishing #Nojoto // नदी के किनारे// वे #नदी के किनारे पड़े रहतें हैं बिना किसी मछली के #सहारे |
Santosh Narwar Aligarh
शीश के दानी की सदा ही जय हो हारे के सहारे की सदा ही जय हो लखदातार की सदा ही जय हो मौलवी के लाल की सदा ही जय हो तीनबाणधारी की सदा ही जय हो जय श्री श्याम जय श्री श्याम। ©Santosh Narwar Aligarh #हारे#के#सहारे#की#सदा#ही#जय#हो#नोजोटो
Shubham Bhardwaj
यादों के सहारे, उम्र गुजर जायेगी। यह माना मोहब्बत है,कुछ तो तड़पायेगी।। ©Shubham Bhardwaj #Chhavi #याद #के #सहारे #उम्र #गुजर #जायेगी #मोहब्बत
Self Made Shayar
मानव बदायूँनी
उम्मीदों ने बांध रखा है अपने सहारे, कभी न कभी तो लगेंगे हम किनारे। ©मानव बदायूँनी #KhulaAasman #उम्मीदों #सहारे #किनारे उम्मीदों ने बांध रखा है अपने सहारे, कभी न कभी तो लगेंगे हम किनारे।
Shubham Bhardwaj
मेरी जिंदगी के मालिक, मेरी तकदीर के सितारे। हर लम्हा मेरा समर्पित, मेरे गुरु जी के सहारे ।। ©Shubham Bhardwaj #Gurupurnima #मेरी #जिंदगी #के #मालिक #तकदीर #सहारे
Shubham Bhardwaj
उनकी यादों के सहारे, गुजरने दे मुझको। वह आयेंगे मेरी गली एक दिन,संवरने दे मुझे।। ©Shubham Bhardwaj #WoRaat #उनकी #यादों #के #सहारे #गुजरने #दे #मुझे
Shubham Bhardwaj
एक उम्मीद के सहारे जी रहे हैं। तन्हा हैं और तन्हाई को पी रहे हैं।। ©Shubham Bhardwaj #एक #उम्मीद #के #सहारे #रहें #हैं
तुषार"आदित्य"
ये जो कठिन समय है बताने आया है, तुम सब एक हो। एक जैसे चेहरे हो,एक जैसे मोहरे हो। एक जैसी शिद्दत है,एक जैसी दिक्कत है। एक जैसा ज़हन है,एक सा जहान है। एक जैसी ज़िन्दगी है,एक सी जान है। ये कह रहा है चीख़ कर हर एक से, कि तुमनें जो अलग की रट लगाई है। जो भेद,ज़ात,धर्म और ओहदा, ऐसी जितनी सब हठें बताई है। मैं उसका ही जवाब देंने आया हूँ। मैं नफरतों का हिसाब लेने आया हूँ। मैं ये बताने आया हूँ कि सारे तुम, अपने-अपने स्वार्थ के हो मारे तुम। हाँ!दुनिया की बेचारगी पे हँसते थे, हो अब उसी बेचारगी के मारे तुम। जो बन रहे थे तुम सहारे राम के, हो अब सहारे तुम उसी के नाम के। ये जो कठिन समय है बताने आया है, तुम सब एक हो। एक जैसे चेहरे हो,एक जैसे मोहरे हो। एक जैसी शिद्दत है,एक जैसी दिक्कत है। एक जैसा ज़हन है,एक सा जहान है। एक जैसी ज़िन्दगी है,एक सी जान है।
Hum
जिस वक्त सहारे की जरूरत थी मुझे, तू थी अपनी दुनिया में मस्त, अब मैं तेरे बोझ का क्या करूँ...... #सहारे #ज़िंदगी