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𝕸𝖉_𝖀𝖒𝖆𝖗_𝕶𝖍𝖆𝖓
MD Umar Asharfee अगर कोई शराब खरीदता है तो उसे कम से कम #लॉक_डाउन के दौरान #चुनाव वाली #स्याही लगा देनी चाहिए ताकि ऐसे व्यक्ति को किसी भी प्रकार का #राशन अथवा #राहत_सामग्री नहीं दी जाए, अगर उसके पास शराब खरीदने के पैसे हैं तो उसे मुफ्त में सामान क्यूं बांटा जाए, इससे कई #जरूरतमंदों को अतिरिक्त राहत दी जा सकेगी। #Success Chintan SingerRahulOfficial (CharmingCreationRahul) Aman Tekaria Satyaprem Upadhyay Dr Imran Hassan Barbhuiya
""Mantu Kumar
रास्ते बनाने और उस पर चलाने का हूनर तो सिर्फ हमारे बिहारी बाबू को ही आते हैं बंदी होतीं है शराब की और बाजार में महंगे बिक जाते हैं , कहना गलत न होगा प्रशासन को राशन और युवाओं को रोजगार मिल जाते हैं, व्हिस्की, रम, वोडका जब अपना रंग दिखाएंगे,तो क्या पान मसाला अपना रंग न दिखाएंगे, तुम न शरमाओ पान मसाले तुमसे भी राशन और रोजगार मिलेंगे ऐसी ही उम्मीद हम जताते हैं #रास्ते
Ankit Mishra
#लघु #कथा #शीर्षक शर्मा जी का lunch box ---------------------------------------------------- शर्मा जी को नीद नही आ रही थी।और रात काफी हो चुकी थी। बगल मे लेटी उनकी पत्नी कुछ बड़बड़ा रही थी। जो अपने पॉच साल के बेटे को गोद में किसी कम्बल कि तरह लपेटे थी। कि अचानक से बहस सुरू हो गयी। शर्मा जी और उनकी पत्नी एक दूसरे कि और पीठ कर के लेटे थे। और बड़ी ही मन्द आवाज में बहस चल रही थी। कि अगर राजू को अगर अच्छी पढाई करानी है तो घर की आय बढानी होगी। पत्नी के इस विचार के साथ
Deependra Singh
कठिन हुआ है जीवन जीना, स्वपन हुए बेकार कोई तो बतादो अच्छे दिन ,कब आएंगे सरकार राशन महंगा सब्जी महंगी ,पेट्रोल चौराशी पार कोई तो बतादो अच्छे दिन ,कब आएंगे सरकार पढ़ लिखकर क्या करे नोजवां ,डिग्री बनी जंजाल रोजगार की आस में भटकत, युवा हुआ बेहाल रिश्वतखोरी सुरसा बनकर ,खड़ी हमे है खाने ऊपर से नीचे तक ,अब तो सब लगे हमे सताने कैसे हम एक सुखद भविष्य का, सपना आंखों में पालें महंगाई डायन बनगई, इससे अब कोई हमे बचाले अच्छे दिन आने वाले है, सुना था हमने नारा चार बरस तो बीत गए ,अब तक न लगा किनारा ये कैसे अच्छे दिन है भैया ,कोई तो हमे समझादो न चाहूँ अच्छे दिन, मुझे मेरे बुरे दिन फिर लौटादो वो बुरा वक्त ही सही था ,जिसमे जीवन तो जी लेते थे रूखी सूखी ही खाकर के ,दो पल तो चैन के जीते थे सौ रुपया की सब्जी में ,पूरा थैला तो भर जाता था महगाई रूपी डायन का, भय ज्यादा नही सताता था अब तो सौ रुपया में केवल ,आलू ही हम ला पाते हैं गर सब्जी बनी हो भोजन में, तो दाल नही बनाते हैं घर का राशन ही लाने में, पूरा पैसा लग जाता है मेहमान को घर आ देखें तो ,तन मन थर्रा सा जाता है पैसा सोडियम से हल्का हुआ ,झट आया और उड़ जाता है क्या खाएं और बचाये क्या ,ये समझ हमे न आता है महंगाई मारने होगा क्या, भगवान का अब अवतार मेरे अच्छे दिन कब आएंगे ,जागो मेरी सरकार| #अच्छेदिन#सपना#महंगाई
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