Find the Best sahajyoga Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutgulzar sahab shayari on love, saheli love shayari, saheli images with quotes, yaad sahar with nilesh mishra, gulzar sahab shayari on life,
Rakhi Om
क्यों मन तू कभी काशी जाए कभी वृंदावन जाए क्यों न तू सहज़ समाधि लगाए क्यों मन तू कभी गंगा जाए कभी जमुना जाए क्यों न तू परम चैतन्य से नहाए क्यों मन कभी तू इड़ा जाए, कभी पिंगला जाए क्यों न तू सुषुम्ना मे समाए क्यों तु एक विचार से अनेक विचारों में जाए क्यों न तू निर्विचारिता चाहे क्यों मन तू आकाश चाहे अंतरिक्ष चाहे क्यों न तू ब्रह्मांड चाहे क्यों तू कभी एक स्थान जाए, कभी दूसरा क्यों न तू सदाशिव में समाए क्यों न मन तू शून्य हो पाए ©Rakhi Om #sahajyoga
Rakhi Om
तेरी शरण में आए हैं कर कृपा श्री माँ शरण में तेरी रहे सदा माँ चित्त जाए न कहीं और तेरी सिवा श्री मां निर्मल रंग में रंग दे तू मां नहाते रहे परम चैतन्य में हर पल माँ सहस्रार खोल के ब्रह्मानंद मे मुझको समा माँ ©Rakhi Om #sahajyoga
Rakhi Om
White अनुभूति कभी तू हवा बन के परम चैतन्य का एहसास कराती कभी तू परम चैतन्य को मां गंगा जैसा मुझ में बाहती कभी तू हृदय में अपनी प्रेम की अनुभूति करवाती कभी सहस्रार में अपना सिंहासन ले बैठती कभी तो हृदय में सहस्रार का आवाहन करती कभी तू ही सहस्रार में हृदय बन के धड़कती कभी तो चित्त को हिमालय ले जाती कभी हिमालय को सहस्रार ले आती कभी तू सूक्ष्म यंत्र बनाकर शून्य करती कभी तू शून्य में मुझको विलन करती ©Rakhi Om #sahajyoga
Rakhi Om
चित्त को कृपा कर माँ बिखरने न दे निर्विचारिता में मुझ को माँ रहने दे सहस्रार से प्रदक्षिणा तक मुझे वलीन कर शून्य कर, शून्य कर श्री माताजी मुझे शून्य कर ©Rakhi Om #sahajyoga
Rakhi Om
तू रक्षा करी, तू वीर माता, तू मोक्षदायिनी माता है तू चंड मुंड का विनाश करती और एकादशी रूद्र बनाकर रक्षा करती तू चैतन्य को चेतना में विलीन करती और सहस्रार में हृदय को धड़काती तू सहस्रार से प्रदक्षणा तक निर्विकल्प की स्थिति को जाग्रत करती है प्रदक्षणा से अपने चरणों तक तू मौन की स्थिति को जाग्रत करती ©Rakhi Om #sahajyoga
Rakhi Om
अनुभूति तू रक्षा करी, तू वीर माता, तू मोक्षदायिनी माता तू चंड मुंड का विनाश करती और एकादशी रूद्र बनाकर रक्षा करती तू चैतन्य को चेतना में विलीन करती और सहस्रार में हृदय को धड़काती तू सहस्रार से प्रदक्षणा तक निर्विकल्प की स्थिति को जाग्रत करती है प्रदक्षणा से अपने चरणों तक तू मौन की स्थिति को जाग्रत करती ©Rakhi Om #sahajyoga