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Chanchal Jaiswal
तेरी लौ में तुझे ढूँढती है नज़र बोल फिर क्यों कहीं तू न आता नज़र चारों सिम्त फैली है बस बेबसी क्या दुआ में नहीं कोई होता असर देने वाले है सबकुछ तेरा ही दिया छीन ही लेना था बोल फिर क्यों दिया रूह कैसे करे...और कितना सबर बोल दे, बोल दे तू कहीं हो अगर #toyou#poeticjustice#callings#prayers#yqdejection#hopevshoplessness#yqdivinity
Rasmeet Bhatia
कभी कभी कुछ लोगों को कुदरत देने के बाद आज़माती है, फिर चाहे वो शोहरत हो,प्रेम हो या पैसा.... #fame #name #money #love #poeticjustice #quoteoftheday #quotebaba #quotestitchers
R.k. Swati
इस बार जन्मदिन कुछ यूँ मनाना, किसी ग़रीब के घर का चूल्हा जलाना | #instawriters #poeticjustice #Change #garib #BirthDay #socialissues #Motivational quote #quoteoftheday #Nojoto What causes matter to you? Whether your cause of choice is childhood literacy, no-kill animal shelters, or civil rights, find an organization in your area that you can wholeheartedly endorse to your friends and family. "Give something that mean something"
Shad
Ajab dastaan hai justuju-e-jism ki.. Apne kirayedaar ke jaane se mar hi jaata h. @SHAD #InspireThroughWriting #Life #Death #poeticjustice
aapkaa_aapnaa
neerajthepoet
औ' खूनी मंसूबे दिल्ली के समझो लोगों यों आने वाली नस्लें आँसूं के हिस्से है। ©neerajthepoet औ' खूनी मंसूबे दिल्ली के समझो लोगों यों आने वाली नस्लें आँसूं के हिस्से है। ©neerajthepoet #neerajthepoet #शेर #nojotoshayari #delhiriots #poeticjustice
neerajthepoet
कुछ तेरे हक़ में नही बोलेंगे, तेरे खिलाफ भी नही बोलेंगे। हमसे कुछ और बुलवा लो, हम इंकलाब भी नही बोलेंगे। कोई सवाल नही इंसानियत पे, लेकिन जवाब भी नही बोलेंगे। शहर में कुछ भी अच्छा नही, पर सब ख़राब भी नही बोलेंगे! तुम जो कह रहे ना-मुमकिन है, ख़्वाब?,उसे ख़्वाब भी नही बोलेंगे। कुछ तेरे हक़ में नही बोलेंगे, तेरे खिलाफ भी नही बोलेंगे। हमसे कुछ और बुलवा लो, हम इंकलाब भी नही बोलेंगे। कोई सवाल नही इंसानियत पे, लेकिन जवाब भी नही बोलेंगे।
neerajthepoet
भरे पेट से भूख पर लिखी गई नज़्में खोखली होती है इतनी खोखली कि उनसे एक बच्चे के लिए रोटी भी नही खरीदी जा सकती.! हाँ, मगर घर बैठे भूख और दंगे पर लिखने वालों को मिल जाती है रोटियाँ, नौकर-चाकर, शोहरत और साथ ही तमगा श्रेष्ठ कवि का..!! बहरहाल मैं प्रेम पर लिखता हूं.. पर भूख क्या है,मालूम है.. दंगे में मरनेवाला कोई अपना भी था.. पर फिलहाल मैं नही लिख सकता चीख़ पर कोई नज़्म... मुझे नही आता सीने को छल्ली करती चीखों पर नज़्म लिखना..! भरे पेट से भूख पर लिखी गई नज़्में खोखली होती है इतनी खोखली कि उनसे एक बच्चे के लिए रोटी भी नही खरीदी जा सकती...! हाँ, मगर घर बैठे भूख और दंगे पर लिखने वालों को मिल जाती है रोटियाँ, नौकर-चाकर, शोहरत और साथ ही तमगा श्रेष्ठ कवि का..!! बहरहाल मैं प्रेम पर लिखता हूं.. पर भूख क्या है,मालूम है.. दंगे में मरनेवाला कोई अपना भी था.. पर फिलहाल मैं नही लिख सकता चीख़ पर कोई नज़्म... मुझे नही आता सीने को छल्ली करती चीखों पर नज़्म लिखना..!
Piyush Anand
कोशिश तो है मेरी...... . . . . . #jazbaat .