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Kulbhushan Arora

Dr. Naren ने आनंद के कांधे पर हाथ रख कर मौन से साहस देने का प्रयत्न किया और बोले *आनंद, सर्जरी के बाद भाभी के दो वर्ष तो बिना किसी बाधा के निकल गए, शायद सब भूल भी गए होंगे की भाभी को ऐसे भयानक तकलीफ़ भी है।* जी *...dr. Ashok ने क्या कहा है?* कहने को तो 6_7 महीने बोला है.... *मगर आंनद तुम्हें तो अंदाज़ा था ही न की ऐसा सब होने वाला है...* अंदाज़ा ही नहीं पूरा विश्वास था की यही सब होगा। *हम्म...आनंद असल में ये तुम्हारी भी कठिन परीक्षा है, तुम्हें सब सहना है...करना है सब व्यवस्थित रखना है।* #yqdidi #yqquotes #yqकुलभूषणदीप #yqउपन्यास #प्रश्नचिन्ह_उपन्यास #yqयथार्थ

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प्रश्नचिन्ह
एक उपन्यास
वास्तविक जीवन की
पीड़ा संघर्ष की कहानी
....अब आगे...
पृष्ठ ३ Dr. Naren ने आनंद के कांधे पर हाथ रख कर मौन से साहस देने का प्रयत्न किया और बोले
*आनंद, सर्जरी के बाद भाभी के दो वर्ष तो बिना किसी बाधा के निकल गए, शायद सब भूल भी गए होंगे की भाभी को ऐसे भयानक तकलीफ़ भी है।*
जी
 *...dr. Ashok ने क्या कहा है?*
कहने को तो 6_7 महीने बोला है....
*मगर आंनद तुम्हें तो अंदाज़ा था ही न की ऐसा सब होने वाला है...*
अंदाज़ा ही नहीं पूरा विश्वास था की यही सब होगा।
*हम्म...आनंद असल में ये तुम्हारी भी कठिन परीक्षा है, तुम्हें सब सहना है...करना है सब व्यवस्थित रखना है।*

Kulbhushan Arora

नीती के मन में आसहनीय पीड़ा थी,उसने अभी कुछ पल पहले ही अपने सशक्त भैया की आंखों में बेबसी देखी,बेबसी का साकार रूप देखा, बेबसी छलकी तो नहीं आनंद ने आंखे भींच कर सोखने का यत्न किया।मगर उसमे जो कड़वाहट और कसैलापन था उसे नीति के मन ने भी अनुभव किया।उसे समझ ही नहीं आया कि वो क्या करे,क्या ऐसा करे कि अपने भैया की पीड़ा में से थोड़ी सी पीड़ा वो पी सके। अचानक उसके मन ने बोला *तू भैया के पास ही रुक जा आज* इस विचार ने उसके मन की उथल पुथल को हल्का सा शांत किया और उसे लगा कि उसमे साहस भर रहा है।उसकी कल्पन #yqdidi #yqquotes #yqkulbhushandeep #yqउपन्यास #प्रश्नचिन्ह_उपन्यास

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प्रश्नचिन्ह??





पृष्ठ २

 नीती के मन में आसहनीय पीड़ा थी,उसने अभी कुछ पल पहले  ही अपने सशक्त भैया की आंखों में बेबसी देखी,बेबसी का साकार रूप देखा, बेबसी छलकी तो नहीं आनंद ने आंखे भींच कर सोखने का यत्न किया।मगर उसमे जो कड़वाहट और कसैलापन था उसे नीति के मन ने भी अनुभव किया।उसे समझ ही नहीं आया कि वो क्या करे,क्या ऐसा करे कि अपने भैया की पीड़ा में से थोड़ी सी पीड़ा वो पी सके।
अचानक उसके मन ने बोला 
*तू भैया के पास ही रुक जा आज*
इस विचार ने उसके मन की उथल पुथल को हल्का सा शांत किया और उसे लगा कि उसमे साहस भर रहा है।उसकी कल्पन


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