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करन सिंह परिहार
सांसों के रुकने से पहले, मानवता की पृष्ठभूमि पर। निर्धनता से आहत मन की, सदा बिलखती पीर लिखूँगा ।। कर्तव्यों पर मार कुल्हाड़ी , मठाधीश सब बुद्ध हो गये। और चीथडों की रोटी के, ग्रास निगल कर शुद्ध हो गये। सहकारी गोदाम समिति में, खाद्यान्न सड़ने से पहले । हँसिया खुरपी की मूठों पर, भूखों की तकदीर लिखूँगा । सांसों ------ - - - - - - - - - - - - - - - - - - - ( 1 ) स्वाहा होते रहे मृत्यु तक, अग्नि कुण्ड के सातों फेरे । अवशोषण के बंधक बनकर , आशाओं के पडे सवेरे । झोपड़ियों में व्यथित हृदय की, धडकन के रुकने से पहले । ग्राम्य क्षेत्र पर ऊँच-नीच की, खींची हुई लकीर लिखूँगा । सांसों - - - - - - - - - - - - - - - - - - - ( 2 ) दस्तावेजों की फाइल में, कैद पडी हर कृषक योजना। मनरेगा के चरण पकड़कर, चीख रही है श्रमिक वेदना। ठेकेदारों के प्रांगण में , बालू के डम्पिंग से पहले। आवासों की ईंट ईंट पर, बिकता हुआ वज़ीर लिखूँगा । सांसों - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - ( 3 ) - - - - - - - - - - - - - - - - - रचनाकार - करन सिंह परिहार ग्राम - पोस्ट - पिण्डारन जिला - बाँदा ( उत्तर प्रदेश ) सम्पर्क - 9619070195 ©करन सिंह परिहार #विलखती पीड़ा संवेदिता "सायबा" Amit Pandey सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) Shubham Gupta Anjali Maurya
#विलखती पीड़ा संवेदिता "सायबा" Amit Pandey सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) Shubham Gupta Anjali Maurya
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