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Anmol Dubey (nikky)
मोहब्बत है क्या चीज़ ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया #Love
Nehru Katariya {ajnabi}
वक़्त दो मुझ पर कठिन गुज़रे हैं सारी उम्र में इक तिरे आने से पहले इक तिरे जाने के बाद...!! वक़्त दो मुझ पर कठिन गुज़रे हैं सारी उम्र में इक तिरे आने से पहले इक तिरे जाने के बाद...!!
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
शकील बदायुनी की कलम से- ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया #ShakeelBadauni #KalamSe
Navneet Sachan
वक़्त दो मुझ पर कठिन गुज़रे हैं सारी उम्र में इक तिरे आने से पहले इक तिरे जाने के बाद ✍️navneet.sachan✍️
ankahe_.alfazz
*ग़ज़ल* *बहर- 1222 1222 1222* ग़ज़ल लिखता है वो या ख्वाब लिखता है, तिरी नजरों को वो नायाब लिखता है। तिरे माथे पे सजती है जो इक बिंदी, फलक का वो उसे महताब लिखता है। नहीं है कुछ खबर अपने ही ख्वाबों की, मगर वो जुगनुओं के ख्वाब लिखता है। उसे तो है श़ग़फ उर्दू जुबां से ही, कि अक्सर वो पानी को आब लिखता है। तिरा लहजा नहीं है काम का ही अब, तिरे लहजे में वो रूआब लिखता है। ज़िक्र करता वो इक अल्हड़ सी लड़की का, हमेशा ही उसे कज्जाब लिखता है। ग़ज़ल में खत में क्यों अब 'दास' अक्सर ही, तिरे ही नाम पर आदाब लिखता है। -ओमकार भास्कर 'दास' *ग़ज़ल* *बहर- 1222 1222 1222* ग़ज़ल लिखता है वो या ख्वाब लिखता है, तिरी नजरों को वो नायाब लिखता है। तिरे माथे पे सजती है जो इक बिंदी,
Manish Rohit Garai
अफ़सोस ग़ज़ल गए हो छोड़ के जबसे कहाँ अब होश रहता है तुझे खोने का मुझको आज भी अफ़सोस रहता है तुम्हारी याद में घुट घुट के पत्थर सा हुआ हूँ मैं मिरे आँखों का बहता अश्क भी अब ठोस रहता है फ़क़त मय नाम से बदनाम है सुन लो मिरी जानां तिरे आँखों मे डूबा शख़्स भी मदहोश रहता है अजब सा शोर करती है मिरी साँसें तिरी साँसें तिरे आरिज़ को छूकर लब मिरा ख़ामोश रहता है "गराई" हार जाता है, लड़ाई तुम जो करती हो हराने का नहीं ज़ज्बा नहीं अब जोश रहता है #ग़ज़ल #अफ़सोस #ख़ामोश #होश #जोश #NojotoGhazal #NojotoHindi #MrgGhazal #Ghazal #Mrgwrites
Ajay Raj Sant
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया #मुहब्बत Payal Singh Jyoti Yadav
Zafar Shareef
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया - शकील बदायुनी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया - साहिर लुधियानवी
Rizwan Khan
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा - बशीर बद्र यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे - जौन एलिया दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं - जिगर मुरादाबादी लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से - जाँ निसार अख़्तर बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर पलकों से लिख रहा था तिरा नाम चाँद पर - अज्ञात अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो - अमीर मीनाई एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता - जावेद नसीमी अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले - सालिम सलीम इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते - फ़रहत एहसास तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे - क़ैसर-उल जाफ़री तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना - शकील बदायुनी तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने - मुनव्वर राना जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगा तिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा - शहरयार यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है - शहज़ाद अहमद दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ कोई रहता है इस मकाँ में अभी - अंजुम रूमानी क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ ऐ चाँद बता किस से तिरी आँख लड़ी है - साहिर लखनवी शाम ढले ये सोच के बैठे हम अपनी तस्वीर के पास सारी ग़ज़लें बैठी होंगी अपने अपने मीर के पास - साग़र आज़मी इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो - इफ़्तिख़ार नसीम #urdushari
Rizwan Khan
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा - बशीर बद्र यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे - जौन एलिया दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं - जिगर मुरादाबादी लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से - जाँ निसार अख़्तर बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर पलकों से लिख रहा था तिरा नाम चाँद पर - अज्ञात अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो - अमीर मीनाई एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता - जावेद नसीमी अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले - सालिम सलीम इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते - फ़रहत एहसास तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे - क़ैसर-उल जाफ़री तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना - शकील बदायुनी तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने - मुनव्वर राना जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगा तिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा - शहरयार यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है - शहज़ाद अहमद दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ कोई रहता है इस मकाँ में अभी - अंजुम रूमानी क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ ऐ चाँद बता किस से तिरी आँख लड़ी है - साहिर लखनवी शाम ढले ये सोच के बैठे हम अपनी तस्वीर के पास सारी ग़ज़लें बैठी होंगी अपने अपने मीर के पास - साग़र आज़मी इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो - इफ़्तिख़ार नसीम #urdushari