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Satya Prakash Upadhyay
#DaughtersDay क्यों होतीं हैं बेटियां ख़ास? जब समाज प्रश्न ये करता है,तब समझो उनकी स्थिति दयनीय है। है अवतार जो सरस्वती लक्ष्मी शक्ति की वो तो बस वन्दनीय हैं।। बेटियों से आता संस्कार,संस्कृति की वो जननी है। जिस घर मे हों बेटियां शुभता अवश्य हीं होनी है।। पायलों की रुनझुन बोली हो या मीठी तोतली बोली हो। माँ के आंचल की भोली हो या भाई के सर की रोली हो।। बचपन की प्यारी होली हो या परिवार के साथ दीवाली हो। सब की आंखे नम हो जाती जब आंगन से उठती डोली हो। सब खुशियों की झोली है,रौनक की मानो टोली है। पिता के आंगन की लाडली वो,सब तनाव हटाने की गोली है।। बड़ी बेटी होती जिस घर में,छोटों को होता दूसरी माँ का एहसास। कितना भी कर लूं वर्णन नहीं बता सकता क्यों बेटियाँ होतीं हैं ख़ास।। क्यों होतीं हैं #बेटियां ख़ास? जब #समाज #प्रश्न ये करता है,तब #समझो उनकी #स्थिति #दयनीय है। है #अवतार जो #सरस्वती #लक्ष्मी #शक्ति की वो तो बस #वन्दनीय हैं।। बेटियों से आता #संस्कार,#संस्कृति की वो #जननी है। जिस #घर मे हों बेटियां #शुभता #अवश्य हीं होनी है।।
ittu Sa
इत्तु सा_-` मंज़िल का पता नहीं... सफ़र मज़ेदार था, लगा ऐसा की ख़्वाब देख रहा था। जो ब्यान ना कर सका शब्दों से... उसे मैं कैद कर रहा था, फ़ोन में मैं अपनी इत्तु सी दुनियाँ बना रहा था। @j_$tyle read more line's... 👇👇👇 इत्तु सा पैगाम सफ़र के नाम। मंज़िल का पता नहीं... सफ़र मज़ेदार था, लगा ऐसा की ख़्वाब देख रहा था। जो ब्यान ना कर सका शब्दों से... उसे मैं कैद कर रहा था, फ़ोन में मैं अपनी इत्तु सी दुनियाँ बना रहा था। सफ़र में कुछ Bluetooth के पीछे भाग रहे थे, तो कुछ गानों में अपनी कहानी बता रहे थे।। कुछ उनको देख ख़ुश हो रहे थे ,तो कुछ उनकी खुशी में अपनी खुशी बसा रहे थे। कुछ खिड़की से बाहर बारिश की बूंदों से दोस्ती कर रहे थे ,तो कुछ हरियाली को दिल में बसा रहे थे। कुछ sandwich से अपनी भूख मिटा रहे थे मानो sandwich ही
Subhash Shrivastava
हर रोज जो गगन के नीड़ में, नव रूप गढ़ती , साहस से चलती , हौंसलों से उड़ान भरती है। वह यारों की टोली,याद आती हैं। इस शहर के कोलाहल में, मन के एकाकीपन में नयनों से ओझल होती , यारों की ......! उमंग के संग में , व्यंग्य में जीवन के हर रंग -विरंग में,उत्सव करती। वह टोली याद आती है। जीवन के कठिन क्षण में, प्रेरणा देती। यारों की टोली.....✍️ सुभाष #Love
sushma Nayyar
फाइनल वाले दिन खेलेंगे विजय की होली और क्या कहेंगे बताओ कैप्टन कोहली पाने को वर्ल्ड कप बेताब है अपनी पूरी टोली जोश भर रहे हैं उनमें कैप्टन कोहली न ऑस्ट्रेलिया, न इंग्लैंड, न किसी और की टोली वर्ल्ड कप ले जाइएगा हिंदुस्तान बता रहे हैं कैप्टन कोहली ।। https://nojoto.com/post/a2553cc01bbaf336dc35b538486e0759/फाइनल-वाले-दिन-खेलेंगे-विजय-की-होली-और-क्या-कहेंगे-बताओ-कैप्टन-कोह
aayushi bhandari
विरह की पीड़ा जब लगी, सताने,अधरों ने खींची लाली.. रात तले अंधियारा, मुझसे रह रह पूछे.. तू कोन है ? पर मेरे........ शब्द सब मौन है। खिड़की से हवाये, घुटन साथ लाई.. सूरज के जलते, पैर....रात अंधेरे को भटका आई... दबे पांव ,चंदा जो, मेरे आंगन आया... तारों का सरदार , मुझसे रह रह पूछे .. तु कौन है ? पर मेरे......... शब्द सब मौन है। धूप खड़ी, चिलमिला रही, पेड़ छाया को ,तरस रहे सागर भीगा ,ठिठुर रहा धरा शून्य सी ,ताक रही कोयल की टोली, मुंडेर पर बैठे,... मुझसे रह रह पूछे.. तू कौन है ? पर मेरे........... शब्द सब मौन है विरह वेदना ,सुलग रही अग्नि तपिश में , झुलस रही ....... मछलियां जल में डूब रही जल भवँर में फंसा हुआ परियो की टोली आ, मुझसे रह रह पूछे... तू कौन है ? पर मेरे......... शब्द सब मौन है। (आयुषी भंडारी) (इंदौर मप्र) विरह की पीड़ा
prajjval
राष्ट्र बेंच कर खाने वाली बोली फिर तैयार हुई है। हाँथ पसारे भीख मागंते टोली फिर तैयार हुई है। राष्ट्र बेंच कर खाने वाली बोली फिर तैयार हुई है। हाँथ पसारे भीख मागंते टोली फिर तैयार हुई है। देश बचाना है हमको ये खेल वही दोहराएँ। आज इन्हें जी भर देखो,फिर पाँच बरस ना आएंगे। जयकारों में अक्सर असली मुद्दे भी दब जाते हैं। राजनितियों में सेना के नारे भी लग जाते हैं। कितना खून गिरा सीमा पर ये बिसात क्या पाओगे।
Ajay Amitabh Suman
हिप हिप हुर्रे पिछले एक घंटे से उसके हाथ मोबाइल पर जमे हुए थे। पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। आखिकार लेबल 30 पार कर हीं लिया। डेढ़ घंटे की जद्दोजहद के बाद उसने पबजी गेम का 30 वां लेबल पार कर लिया था। उसी जीत का जश्न मना रहा था। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। कड़ी मेहनत के बाद फ्लैट की बॉलकोनी में जाकर आती जाती कारों को निहारने लगा। एक कार, फिर दूसरी, फिर त
Khushboo Jain ( मेरी कलम से )
आया है आया है गणपति वप्पा आया है धूम मचाने आया है खुशियां भर भर लाया है शोर मचेगा गलियों मे नाचेगी टोली मस्ती मे रंग हवा मे छाएगा बदरा धूम मचाएगा खुशबू मोदक की फैलेगी मस्ती मे टोली बोलेगी मोरिेया रे वप्पा मोरिेया रे मोरिया रे वप्पा मोरिया रे
Anurag Rai
आज मुझसे मिलने एक गाफिर आया है। शादियों बाद एक मुसाफिर आया है। वो बचपन का जागीर्द था मेरे जो मुझसे रुठ गया, हम समझ न पाये समय की कसमकस को और वो जागीर्द छूट गया। आज फिर एक गाफिरो की टोली आयी है, जिसमे उस जागीर्द की भी एक बोली आयी है। तख्त-ए-समय ने बदल दिया उसको चला गया वो गफिर नकार कर मुझको, आज वो उस गाफिरो की टोली छोड़ आया है, बचपन का वो जगिरद आज अपनो के पास लौट आया है। आज वो गाफिर आया है, मुझसे मिलने शादियों बाद एक मुसाफिर आया है। आज मुझसे मिलने एक गाफिर आया है। शादियों बाद एक मुसाफिर आया है। अनुराग राय
Yogesh Kumar Mishra"yogi
मिलने को हो कितने रंग, भरते हो मन मे ये उमंग। ऐसी मिली है मुझे टोली, दिव्य दुर्लभ पूरित टोली।। योगेश कुमार मिश्र"योगी" मेरे मित्र.....