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Abinand Abi
Nitin Kr Harit
कौन किससे कितना जुड़ा रहेगा अब? तुम अपना देखो, मैं अपना देखूं !!! #yqdidi #yqbaba #yqhindi #satire #hotstar #apnadekho #nitinkrharit
Lucky 800kr
“मां, मैं आप से बारबार कह चुकी हूं कि अभी शादी नहीं करूंगी. मुझे अभी आगे पढ़ाई करनी है,” सुदी ने मां के समीप जा कर बड़े प्यार से कहा. “सुदी बेटा, क्या खराबी है लड़के में? इंजीनियर है, ऊंचे खानदान और रसूख वाला है. तेरे पापा के मित्र का लड़का है और अच्छी आमदनी है उस की. शुक्र मनाओ कि जिस शानदार और आरामदायक जिंदगी जीने के लिए अधिकतर लड़कियां केवल सपने देखती आई हैं, वे सारी खुशियां तुम्हें बिना मांगे ही मिल रहा है. 5 हजार गज में बनी शानदार कोठी है उन की… “दसियों नौकरचाकर वहां एक आवाज पर हाथ बांधे खडे रहते हैं. इतने योग्य और गुणवान लड़के का रिश्ता खुद चल कर तुम्हारे पास आया है. सारे सुख व ऐश्वर्य हैं उस घर में. और क्या चाहिए तुम्हें…” मां ने नाराजगी जाहिर करते हुए सुदी के गाल पर हलकी सी चपत लगाई . मां के गले से लिपटती सुदी बोली,”मेरी प्यारी मां, मुझे आगे बढ़ने के लिए पढ़ाई करनी है अभी. मुझे अभी योग्य शिक्षिका बनना है, जिस से कि अपने भीतर समाए ज्ञान को अन्य को बांट सकूं,” सुदी मां को मनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही थी, क्योंकि मां के इनकार करने पर ही यह रिश्ता टल सकता था.सुदी, तुम एक बार उस लड़के से मिल कर देख तो लो,” सुदी को विचार में डूबा देख कर मां ने उस पर आखिरी बात छोड़ते हुए कहा. एमए की हुई सुदी गोरीचिट्टी, लंबी, छरहरी काया वाली आकर्षक युवती थी. संगीत विशारद में विशेष योगदान हेतु गोल्ड मैडलिस्ट थी. उस के पड़ोसी, परिचित, नातेरिश्तेदार आदि सभी सुदी के सुंदर व्यक्तित्व एवं हंसमुख व्यवहार की प्रशंसा किए बिना नहीं रहते थे. जैसे अधिकतर लोग रूपसौंदर्य और सुगढ़ता को देख कर अनायास ही कह उठते हैं कि कुदरत ने इसे बहुत फुरसत में गढ़ा होगा, ऐसे ही रूपवती सुदी जब गजगामिनी चाल की मंथर गति से चलती थी तब अनेक चाहने वाले उसे पाने की तमन्ना रखते थे. इसलिए मम्मीपापा का दिल रखने के लिए उस ने सगाई की हामी भर दी. नौकरी पर जाने से पहले ही दोनों की धूमधाम से सगाई हो गई थी.  सुदी के मम्मीपापा सगाई कर के ही उसे नौकरी पर जाने देने की जिद कर रहे थे. कोमल कुआंरे मन में सुंदर जीवन के अनेक रंगीन सपने सजाए सुदी कालेज में पहुंच गई. वह दिल्ली शहर की एक सोसायटी फ्लैट में किराए पर रहने लगी. सगाई हो जाने के कारण समीर काम के सिलसिले में जब दिल्ली आता तो सुदी से मिलने चला आता था. दोनों तरफ से रिश्ते की डोर मजबूत हो जाए, एकदूसरे को अच्छी तरह से जानसमझ लें, इस के लिए वे किसी रेस्तरां में कौफी पीने या कभी डिनर करने चले जाते थे. कभीकभी कोई अच्छी और नई मूवी साथ देखने के लिए मौल भी चले जाते थे. ऐसे ही उन के बीच प्यार भरी मेलमुलाकातों का सिलसिला जारी था. अब सुदी और समी के बीच घनिष्ठता भरे संबंध पनपने लगे थे. मगर इधर कुछ दिनों से सुदी ने एहसास किया था कि समी में शिष्टाचार और विनम्रता जैसे संस्कारी गुण बहुत कम थे. उस ने कई बार समी को फोन पर अपनी बात मनवाने के लिए सामने वाले को दबंग टाइप से हड़काते हुए भी सुना था.सुदी के साथ होने पर भी लापरवाह सा समीफोन पर अकसर गालीगलौच कर दिया करता था. सुदीआधुनिक और खुले विचारों को दिल में जगह देने वाली संस्कारी और मृदुभाषी लडकी थी.मन ही मन उसे चाहने वाले आहें भरते थे और सुदीसे मिलने के बहाने ढूंढ़ा करते थे. वह तो अपनेआप में खुश रहने वाली मस्त लड़की थी. सुदी की कमर तक लहराते बाल बिजलियां गिराती थीं. पतलीपतली और लंबी उंगलियां जब सितार पर राग छेड़तीं तो उसे देखनेसुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते.मां का कहना मान कर एक दिन सुदी समी नाम के उस लड़के से मिली. वह लड़का उसे सुंदर लगा. रूपरंग, व्यक्तित्व के अनुसार वह सुदर्शन नवयुवक था. 2-4 मुलाकातों के बाद सुदी को समी पसंद आ गया था. संयोग से तभी सुदी को कालेज में अध्यापिका की नौकरी भी मिल गई थी.  एक दिन सुदी कुछ खरीदारी कर के सोसायटी में प्रवेश कर रही थी. उस के दोनों हाथों में सामान था कि तभी अचानक हाई हील सैंडिल के कारण उस का संतुलन बिगड़ गया और वह डगमगा कर नीचे गिर पड़ी.तभी अचानक एक हाथ ने सहारा दे कर उसे उठाया,”अरे, आप को तो काफी चोटें लगी हैं. मैं आप का सामान समेट देता हूं…” अपने सामने गोरेचिट्टे, लंबे कद के सुंदर नाकनक्श वाले लड़के की आवाज सुन कर वह अचकचा गई. उस की कुहनियां छिल गई थीं. पैर में मोच आ गई थी. उस लड़के ने अपने कंधे पर उस का हाथ पकड़ कर सहारा दिया,”आइए, मैं आप को कमरे तक छोड़ देता हूं,” वह चुपचाप लगंडाते हुए उस के साथ चल पड़ी. टेबल पर सामान रख कर लड़के ने कहा,”मैं फस्ट ऐड बौक्स ला कर पट्टी बांध देता हूं,” अब वह लड़का ड्रैसिंग कर रहा था. वह अब तक स्वयं को काफी संभाल चुकी थी. अकेले कमरे में अनजान लड़के के हाथ में अपना हाथ देख कर सुदी के मन को भारतीय संस्कार और परंपराएं घेरने लगीं. लेकिन वह लड़का बड़ी सहजता से उस के हाथ पर दवा लगा कर पट्टी बांध रहा था. उस लड़के के स्पर्श से सुदी असहज और रोमांचित हो रही थी,”अब तुम आराम करो मैं चाय बना लाता हूं,” थोड़ी देर में वह ट्रै में चाय और बिस्कुट ले आया. वे दोनों कुछ देर एकदूसरे के परिवार के बारे में बात करते रहे. चलते समय उस ने एक गहरी नजर डाली और अपना फ्लैट नंबर बता कर बोला,”कोई भी जरूरत हो तो मुझे बता देना. संकोच मत करना…” जब तक उस के पैर की मोच ठीक नहीं हो गई तब तक वह रोज उस के लिए कभी चाय बना कर लाता, तो कभी सैंडविच ले आता. बाहर से एकसाथ खाना भी और्डर कर देता फिर दोनों साथ ही खाना खाते.  सुदीके के मन में प्रेम का पहला एहसास फूटा था. एक अनजान कोमल स्पर्श दिल में तरंगित हो कर रमने लगा था. वह अपने घरसमाज की वर्जनाएं जानती थी. संस्कारित परंपराओं के बंधन में बंधने के बाद भी रूमानियत से भीगा एहसास बंजर मरूस्थल में हरा होने लगा था. समी का साथ पा कर उस ने कभी ऐसा स्पर्श, स्नेह व अपनेपन का एहसास नहीं जाना था. सुदी के मन की भीतरी परतों में शेखर के प्रति रोमांस का बीज पनपने लगा. शेखर बहुत अपनेपन से उस की देखभाल कर रहा था. उस का साथ मिलने के कारण उसे किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई थी . अब वह ठीक हो कर कालेज जाने लगी थी. रात के 8 बज रहे थे. गुलाबी रंग की कैप्री के साथ मैंचिग टौप में लंबी खुली केशराशि के बीच सुदी ऐसी लग रही थी जैसे श्यामल घटाओं के बीच दूधिया चांद खिला हो. उस ने मैंचिग ईयर टौप्स के साथ गले में छोटे मोतियों की माला पहनी थी. आज वह बहुत खुश थी. उस का गुलाब की तरह खिला खिला रूप सौंदर्य चित्ताकर्षक था. खुद को आईने में देख कर वह स्वयं ही लजा गई. वह रसोईघर में जा रही थी कि अचानक से बेल बजी. दरवाजा खोल कर देखा तो सामने समी खडा था,”अरे, समीतुम?” अकस्मात समी को सामने देख कर वह अचकचा गई. “हां मेरी जान, तुम्हारा समी…” कहतेकहते समीने उसे बांहों में उठा कर 3-4 गोल चक्कर से घुमा दिया. “आज तो तुम बेहद खूबसूरत और रूप की रानी लग रही हो. किस पर बिजली गिराओगी,” समीर ने रोमांटिक अंदाज में कहते हुए खींच कर उसे अपने सीने से लगाना चाहा. तेज शराब के भभके से सुदी का तनमन जलने लगा. वह चिहुंक कर दूर जा खडी हुई. समीने आगे बढ़ कर उस की कलाई पकड़ ली. उस ने हाथ छुड़ा कर दूर जाने का प्रयत्न किया, लेकिन समी की पकड़ से छूट नहीं सकी. समी जोरजबरदस्ती करने लगा. यों अचानक ऐसे किसी हालात का सामना करना पड़ेगा, उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.सुदी का दिलदिमाग सुन्न हो गया. समी की बांहों में कसमसा कर दरवाजा खोलते हुए बोली,”समी अभी तुम होश में नहीं हो, जाओ.अभी होटल चले जाओ और कल आना.”  “क्यों, कल क्यों मेरी जान, जो होना है आज ही होने दो न. अब तो हम दोनों की शादी भी होने वाली है. इसलिए तुम तो मेरी हो.” शादी होने वाली है, हुई तो नहीं है न. फिलहाल, मैं तुम से कोई बात नहीं करना चाहती. प्लीज, तुम यहां से चले जाओ,” सुदी ने संयत स्वर में उसे समझाने की कोशिश की. मगर अपनी मनमरजी पर उतारू समीने उस की एक नहीं सुनी. पुरुषत्व के दर्प में चूर, शराब के नशे में मदहोश, समी के भीतर का जानवर जनूनी हो गया. अपने मंसूबे पूरे न होते देख अब समी बदतमीजी पर उतर आया. उस के हाथ में सुदी का टौप आ गया. जबरदस्ती खींचते हुए टौप चर्रचर्र… कर फटता चला गया. “यू ब्लडीफूल, तेरी इतनी हिम्मत. तू मुझे मना करती है… अरे, तेरे जैसी पचासों लड़कियां मेरे आगेपीछे घूमती हैं. तू समझती क्या है अपनेआप को…मैं जिस चीज पर हाथ रख देता हूं, वह मेरी हो जाती है…” नशे में समी की लड़खड़ाती जबान से अंगार बरसने लगे. जैसे ही वह सुदीको पकड़ने के लिए बढ़ा नशे की झोंक में लहराते हुए पीछे को गिर पड़ा. अपनी अस्मिता पर प्रहार होता देख सुदीपा रणचंडी बन गई. उस में न जाने कहां से इतनी शक्ति आ गई कि त्वरित ताकत से मेज पर रखा चाकू हाथ में ले कर डगमगाते समी को पूरी शक्ति से बाहर धकेल दिया और बिजली की फुरती से दरवाजा बंद कर लिया. समी बहुत देर तक दरवाजे पर आवाजें देता रहा, लेकिन उस के कान जैसे बहरे हो चुके थे. वह दरवाजे से लगी फूटफूट कर रोने लगी. वह स्वयं को संयत कर उठी और कटे पेड़ की भांति पलंग पर गिर पड़ी. बिस्तर पर लेटी तो लगा जैसे समी की ओछी सोच में लिपटे हाथ लंबे हो कर उस की ओर बढ़ रहे हैं. उस ने घबरा कर आंखे बंद कीं तो समी की लाल घूरती आंखें देख सूखे पत्तों सी कांपने लगी. र के साथ उस की सगाई हुई थी. लगाव रूमानियत से भीगे मीठे एहसास का प्रेममयी भाव सोच कर शेखर का चेहरा उस की आंखों के समक्ष तैर उठा. उसे इन दोनों की जेहनी सोचसमझ में जमीनआसमान का फर्क नजर आ रहा था. मोबाइल की घंटी बजने पर न चाहते हुए भी देखा तो मां का फोन था,”मां खुशी से चहकते हुए बता रही थीं,”बेटा, सुबह तुम्हारे पापा के पास समी के पापा का फोन आया था. वह इसी महीने शादी करने के लिए जोर डाल रहे हैं. कहते हैं कि अगले माह समी विदेश जा रहा है. वह जल्दी ही तुम दोनों को विवाह बंधन में बांधना चाहते हैं.” “नहींनहीं… मां, मैं समी से शादी नहीं करूंगी. मैं उस की शक्ल भी देखना नहीं चाहती. आप मुझे समी के साथ विवाह की सूली पर मत टांगना. मैं जी नहीं सकूंगी,” कहतेकहते उस की रुलाई फूट पड़ी. “क्या बात है बेटा? तुम बहुत परेशान लग रही हो,” मां के स्वर में चिंता झलकने लगी. “हां मां, यहां बहुत कुछ घटा है,” और उस ने मां को रात की सारी घटना बता दी,”मां, पत्नी का दिल जीतने के लिए पति के मन में भावनात्मक लगाव होता है. पर समी केवल वासना का लिजलिजा कीडा़ निकला.उसे बस मेरा जिस्म चाहिए था, जिसे वह जबरदस्ती हासिल कर के अपनी मर्दानगी की मुहर लगाना चाहता था. उसे मेरी खुशियों से कोई सरोकार नहीं है… “मेरी अपनी मंजिल समी कभी नहीं हो सकता,” कह कर वह बच्चों की तरह बिलखने लगी. सारी सचाई जान कर मां की आंखों से समी के गुणी और लायक वर होने का परदा हट चुका था,”अच्छा सुदी बेटा… तू रोना बंद कर और बिलकुल चिंता मत कर. अच्छा ही हुआ कि हमें उस की औकात शादी से पहले पता चल गई,”मां ने बेटी को धीरज बंधाया,” मैं और पापा आज तुम्हारे पास आ रहे हैं. मैं हूं न… तुम्हारी मां अब सब संभाल लेगी…”  सुदी ने इत्मीनान की सांस ले कर फोन रख दिया ©Lucky 800kr Sudi ke sadi ke thik pahle ki ghatna #AloneInCity #lover #sexy #Romantic #romance #suspense #hotstar #crime with girl#deshi#story
नितिन कुमार 'हरित'
अत्यंत दुखद कौन किससे कितना जुड़ा रहेगा अब? तुम अपना देखो, मैं अपना देखूं !!! ~ नितिन कुमार हरित /@NitinKrHarit #Hotstar #Painfull #hotstar #lightindark
Sanjeev Prajapati
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saif ali live
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