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vks Siyag

heart  "ये प्रेम तुम्हारे बस का नहीं"

चाँद के मुखडे़ सन्मुख मुस्काती चाँदनी -सा प्रेम,
सिंदुरी संध्या की चटपटाती रागिनी- सा प्रेम।

खामोशी में ओझल संमदर की गहराई-सा प्रेम,
वेदना की चादर ओढ़ सिसकती हुई तन्हाई-सा प्रेम।

प्रेमपुर में वासित पुष्प रति की मालिनी-सा प्रेम,
स्वतंत्र प्रफुल्लित होता दिवस-यामिनी-सा प्रेम।

युगों-युगों की आस की मशक्कत के फल-सा प्रेम,
कल-कल,छल-छल बहती पावन गंगा जल-सा प्रेम।

सुंदर एहसास बन श्वांस-श्वांस में संचरित स्फुर्ति-सा प्रेम,
ईश्वर का अनुफम उपहार और खिलती प्रकृति-सा प्रेम।

चित्त में विचरित हर पल उज्ज्वलित संदीप-सा प्रेम,
सत् रज् तम् से परे सर्जितअन्तर्मन में संकल्पित-सा प्रेम।
@Vimla Choudhary

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SA Sa

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