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Sudhir Sky
मेरी अनकही व्यक्त-अव्यक्त अनूठी दुनियां तुम हो। फ़िजां में जो रंग है उस गुलिस्तां की ख़ुशबू तुम हो।। हमारी हर धड़कन पर बस ज़िक्र ए फ़िक्र है तुम्हारा। कैसे बतायें की हर सांस में समायी ज़रूरत हो तुम।। मेरे हो कह देने भर से कोई हमसफ़र नहीं हो जाता। हमने जिया है तभी तो #प्रियम के हरपल में हो तुम।। ©Sudhir Sky #Kaarya
Anamika
शीतल,सौम्य,शालीन सी, रम्य और कुशाग्र भी प्रेम रस सी प्रियम है, सतरंगी प्यारी नेहा सी. Dedicating a #testimonial to Neha Mishra💕💕 कल्पनाओं से परे तुम्हारी लेखनी को नमन.. बिट्क सी नेहा और ढ़ेर सा ज्ञान,एक एक लफ्ज़ मानो एहसास और जज्बातों का पिटारा.. सरस्वती मां की कृपा सदैव यूं ही बरसती रहे तुम पर ✍️✍️❣️❣️असीम स्नेह नेहा .. #प्रियम #प्रियवंदा से अवगत कराने के लिए आभार 😘
deepti
पीड़ा प्रियम की... समझ ना पाए जो, वो..कैसी प्रेमिका! ह्रदय की अस्थिरता को.. स्थिर न कर पाए जो, वो..कैसी प्रेमिका! ©deepti #प्रियम #nojoto
Pankaj Priyam
माँ सती चण्डी जगत जननी, महादेवी उमा गौरी, भवानी मात जगदम्बा, महाकाली महागौरी। भरो माँ रंग जीवन में, प्रियम की चाह है इतनी- तुम्हारा हाथ हो सर पे, सदा आशीष माँ गौरी। भरो माँ रंग जीवन में,..समर्पण भाव भक्ति माँ, करूँ पूजा सदा तेरी,...भवानी आदि शक्ति माँ। नहीं कोई बड़ी हसरत,..नहीं है चाह दौलत की- तुम्हारा प्रेम मिल जाये, बता वो खास युक्ति माँ। ©पंकज प्रियम
Pankaj Priyam
सुप्रभातम नहीं मैं बाग में खिलता....नहीं बाजार में मिलता, उतर दिल के समंदर में, भँवर मझधार में मिलता। नहीं मुश्किल पहेली मैं, अगर पाना कभी मुझको- कभी दिल हार के देखो, प्रियम उस हार में मिलता। ©पंकज प्रियम महासप्तमी की ढेरों शुभकामनाएं, माँ कालरात्रि सारे विकारों का नाश कर आप सबों का कल्याण करे। हार में मिलता
Pankaj Priyam
ग़ज़ल ये मेरी मुहब्बत तुम्हारी जवानी, लिखेगी ये दुनियां हमारी कहानी। कभी प्यार से तुम जरा मुस्कुरा के, अधर से अधर पे लगा दो निशानी। नज़र को नज़र से कभी यूँ मिलाके, समंदर निग़ाहों में उठा दो रवानी। जरा पास आओ गले से लगाओ, करो शाम मेरी जरा सी सुहानी। प्रियम की मुहब्बत सदा है तुम्हारी, बनाकर दिवाना बनो तुम दिवानी। ©पंकज प्रियम हमारी कहानी
Pankaj Priyam
ग़ज़ल ख़यालों में तेरी जगा रात भर, जरा आँख झपकी सहर हो गई। नज़र जो खुली तो तुम्हें ढूंढती, न जाने नज़र से किधर हो गई। सभी से छुपाया नज़र को मगर, जमाने को कैसे ख़बर हो गई। मुहब्बत हुई जो मुझे आजकल, नज़र भी नज़र की नज़र हो गई। तुम्हें खोजती है तुम्हें चाहती है, प्रियम की नज़र बेख़बर हो गई। ©पंकज प्रियम 22 सितम्बर 2019 नज़र
Pankaj Priyam
ग़ज़ल हर दिल में भरो चाहत, बस प्यार मुहब्बत हो, गन्दी न जुबाँ करना, नज़रों में न नफऱत हो। मत भेद कभी करना, भाषा की न बोली की, हिंदी सी जुबाँ मीठी, ऊर्दू की नज़ाकत हो। आवाज़ सुनो दिल की, तुम काम करो मन की, हर काम करो दिल से, हर काम की इज्ज़त हो। दुनियां में सभी आये, कुछ नाम कमाने को, कुछ काम करो ऐसा, तेरे नाम की कीमत हो। सुन आज प्रियम कहता, कुछ साथ नहीं जाता, अल्फ़ाज़ बनो ऐसा, हर लफ़्ज़ अमानत हो। ©पंकज प्रियम अमानत
Pankaj Priyam
म प्रियम हूँ मैं.. मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का खुद से बंधा नियम हूँ मैं। लफ़्ज़ समंदर,लहराता शब्दों से सधा,स्वयं हूँ मैं। संस्कृति,संस्कारों का खुद से गढ़ा,नियम हूँ मैं। साहित्य सृजन,सरिता प्रेम-पथिक,"प्रियम" हूँ मैं। कमल का फूल खिलता पाठक पंकज भूषण हूँ मैं। औरों में,खुशी बिखेरता कवि-लेखक"प्रियम" हूँ मैं। सरस्वती की पूजा करता मां सर्वेश्वरी पुत्र प्रियम हूँ मैं कागज-कलम में ही जीता श्यामल पुत्र "प्रियम" हूँ मैं। अन्वेषा-आस्था कृति रचता किशोरी पति प्रियम हूँ मैं। मित्र प्रेम समर्पित करता प्रियतम सखा प्रियम हूँ मैं। ✍पंकज प्रियम प्रियम
Pankaj Priyam
तिरंगा तिरंगा हाथ में ले काफ़िला जब जब गुजरता है। फड़क उठती भुजा मेरी रगों में ज्वार भरता है। कदम को चूमती धरती, तिरंगा झूमता अम्बर, तिरंगा आसमां फहरे, जमी से प्यार करता है। तिरंगा आन भारत की, तिरंगा जान भारत की, तिरंगा में हाथ में लेकर, खुशी से यार मरता है। सदा सम्मान देता है, बड़ा स्वाभिमान देता है तिरंगा देख कर दुश्मन सभी गद्दार डरता है। तिरंगा हाथ में होता, बड़ी हिम्मत प्रियम देता, मिले जो दर्द सरहद पे, यही तत्काल हरता है। ©पंकज प्रियम गिरिडीह, झारखंड tiranga