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बोझ नहीं होती है बेटियां उन्हें भी जीने का हक है 1. बेटियां वह परियां होती है जो घर को स्वर्ग बना देती है 2. बेटियां अपनी मां की परछाई होती है 3. बेटी वो रिश्ता है जो दो परिवारों को आपस में जोड़ती है 4. बेटियां बोझ नहीं बल्कि जिम्मेदारियां का बोझ उठाने वाली है 5. घर की बेटी लक्ष्मी होती है पराया धन नहीं 6. बेटी है तो यह संसार है बेटी जीवन का आधार है 7. बेटी के होने से ही मां बहन बहू जैसे रिश्ते होते हैं 8. बेटी की शिक्षा ही उसका दहेज होना चाहिए 9. वीडियो के सपनों को पर देकर देखो वह सारा आसमान आपके कदमों में ला देगी 10. बेटियों से सुनहरा हर पल है बेटियों से ही हमारा कल है दोस्तों धन्यवाद यदि आपको अच्छा लगा यह सुविचार तो दोस्तों को आगे शेयर जरूर करें और चैनल पर नया तो फॉलो जरूर करें ©BLACK VERSION #बेटी #दोहे #मोटिवेशन #बेटी_बचाओ_बेटी_पढ़ाओ मत मारो हमें- हमें भी जीने का हक है बेटियों की आवाज
Kamlesh Paikra
बेटा को जिंदगी दो,बाइक नही।बेटी को शिक्षा दो मोबाइल नही।। कमलेश पैकरा ©Kamlesh Paikra #बेटी_बचाओ_बेटी_पढ़ाओ #नोजोटो #सायरी #short #स्टोरी
Anil Ray
👰👰👰👰👰👰👰👰👰👰👰👰 बेटी को इस कदर पढ़ा लो यारो....!!!!!! फिर कभी कोई यह नारा नही लगाये.....! बेटी पढ़ाओ पर बहू को नही पढ़ाओ..!!! 👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻 ©Anil Ray 💞💕💘मुझे जीना है कलमयुग में💘💕💞 बेटियों को अब सुशिक्षित इस कदर करें सर्वजन बहू रूप को कभी आवश्यक ही न रहे अध्ययन। निजपंखों से स्वतंत्र विचरण हो सकल गगन पर आत्मनिर्भर बनकर रहो कभी नही हो अपमान।
Deepak singh
किसी की बहन के सीने को देखने वालो याद रहे कल किसी की नजर में तुम्हारी बहन का सीना भी हो सकता है क्योंकि इतिहास गवाह है जैसा बोओगे वैसा पाओगे ©Deepak singh #gandhijayanti #नारी #बेटी #बेटी_बचाओ_बेटी_पढ़ाओ
मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"
हम से नहीं हैं बेटियाँ, बेटियों से हैं हम। फिर भी समाज में बेटियों की, आँखें क्यों हैं नम? #betiyaan #बेटी_बचाओ_बेटी_पढ़ाओ #बेटी_बचेगी_तो_देश_बचेगा #बेटी_है_तो_कल_है #बेटी_है_तो_खुशी_है
Sunil itawadiya
बिटिया है मेरी दुनिया कैप्शन जरूर पढ़े 👇👇 🤗 बेटी बिना क्या है संसार , बेटी का क्यों करते तिरस्कार। बेटी ही तो लाती है, घर में खुशियां अपार। वह अपनी हो या दूसरे की, उसके आने के बाद ही घर बनता है ताजमहल। समझो तो उसे सब कुछ है, ना समझ उसे दिखाओ ना बल।
Jai Gupta
परिंदों वाली ज़िन्दगी चाहता हर शख्स है ये ज़िन्दगी जहा ना हो कोई बंदगी मालिक हो अपनी मर्ज़ी के ना हो कोई हुक्म ना हो कोई बंदिश पर सोची किसी ने मां बहन बेटी की फरियाद जो चाहती ये परिंदों की सी उड़ान बाल उम्र में करा दी जाती उनकी शादी और बना दी जाती चार दिवारी की नौकरानी वो भी चाहती ज़िन्दगी परिंदों सी✍️✍️ मेरी कलम✍️✍️ परिंदों वाली ज़िंदगी याद करते हैं तो आसमान छोटा मालूम होता है। ख़ैर, वक़्त तो अभी भी है। जीने की कोई उम्र तो नहीं होती। Collab करें YQ Didi के साथ। #परिंदोंवालीज़िंदगी
Rana Vansh mani
पायलों की खनक घर में बरकत की गवाही देती है। दर्द पर मानो मरहम से उनकी आवाज सुनाई देती है। घर के कतरे कतरे को घर बनाती है ये। हर सांझ को सबकी हक में दिया जलाती है ये। दायरों की बंदिश इज्जत का मसला होता है। बेटी वह दिया है जो दूसरों के हक में जला होता है। सुबह की शबनम सी शांत होती है ये। शहर की भीड़भाड़ में हिमालय सा एकांत होती है ये। बहुतो के लिए तो शतरंज की शह और मात होती है बस। बेटियां पूजी जाती हैं लेकिन 9 दिन की बात होती है बस। परिंदों से बेफिक्र होती हैं ये। बात हो हक़ की तो बेजिक्र होती हैं ये। आज के दौर में भविष्य का कल होती हैं ये। उन पर उंगली मत उठाओ पाकीजा गंगाजल होती हैं ये। उनकी हर बात पर बंदिश क्यों लगाते हो। उनके हर फैसले को गलत क्यों ठहराते हो। बड़े बातों से नहीं बड़े दिल से पल्ला करती है बेटियां। मगर बदकिस्मती से ससुराल में आज भी जला करती हैं बेटियां पैरों पर खड़ा होना सीख लेंगी वो। हक को छिनेगी न दया की भीख लेंगी वे। अपने भाइयों की हक में दुआ मांगती है ये। बड़ी उम्मीद से उनको राखी बांधती है ये। कर दो बराबर हर बात पर इन चिड़ियों को खुला छोड़ दो आसमां में इन तितलियों को। बेटियां पूरी सोच होती हैं अब सिर्फ मन नहीं होती। बेटी बेटी होती है कोई पराया धन नहीं होती। बेटीयो को ना मारो तुम्हारी ही परछाई होती है । जैसे बेटे हैं वैसी बेटियां भी भगवान की बनाई होती हैं। #बेटी_बचाओ_बेटी_पढ़ाओ
Anjali Srivastav
💐💐💐💐गीत💐💐💐💐 कैसी कैसी रीत बनी है कैसा ये संसार ।। बेटी को खुलकर नहीं जीने का अधिकार।। ऐसे बोलो, वैसे बोलो, मिले नसीहत ढेर। सूरज नीचे देखा हमने अंधियारों का फेर। भाई जितना क्यों नहीं मिलता मुझको बाबा प्यार। नन्हीं गुड़िया पूछ रही है, ऐसे प्रश्न हज़ार।। बेटीको खुलकर .... ..... ........ ...... ....... ............ जब दुनिया में आये भैया, बजीं ढोल शहनाई। मैं आयी तो सबकी आँखें, जाने क्यों भर आयी। अम्मा ने सीने चिपकाकर, कर डाला है उपकार। पर मेरी इच्छा है मैं भी पाऊं ढेरों सबका प्यार।। बेटी को खुलकर ..... ..... ....... ........ ......... ...... पढ़ना लिखना एक रसम सी, यूँ तो गयी निभाई। भैया चाचा ने की जैसे वैसे कब पढ़ पायी। मुझसे बाबा रुखा क्यों है तेरा ये व्यवहार। सपने टूटे इन आँखों के, बहते बन जलधार।। बेटी को खुलकर.... ..... .......... ...... ...... ...... अंजली श्रीवास्तव ©Anjali Srivastav #बेटी_बचाओ_बेटी_पढ़ाओ