Find the Best सच_से_अधिक_कुछ_नही Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about
Poonam
हर रोज सूरज आसमान में चमक कर हमें जिंदगी की दौड़ में शामिल करता है रात एक ख्वाब है और सुबह एक हकीकत इस सच से रूबरू कराता है ©Poonam #सच_से_अधिक_कुछ_नही #जिंदगी_का_सफर #दौड़
Balvinder singh
"एक सवाल" ◆●°°°°°°°°°°°°°°°°°°●◆ साहित्यकार लिख रहे है "माँ "तुझ पर , ये श्रोता भी ख़ूब महत्व देते है, झूट लिखा जा रहा यहाँ , या फिर लोग झूठी महत्वता देते है, बदलाव तो कुछ दिखा नही, बुजुर्ग अभी-भी विरधाश्र में रहते है। #सच_से_अधिक_कुछ_नही Sachika Gupta Savita Veer Kanika Girdhari Deepak_(Er. BaBa) Kumari Rinu
Balvinder singh
बचपन और शैतानी ◆◆◆◆◆ हमें अक्सर याद आता है वो गुजरा जमाना , वो पिता जी के साथ बैठ साईकल पर पहले दिन स्कूल को जाना। गजब था अध्यापको का वो दाए हाथ से बांए कान को पकड़वा कर ,हमारी उम्र का अंदाजा लगाना। हमे अक्सर याद आता है वो गुजरा जमाना एक रुपया मिलने पर ,वो सौ तरह के सपने सजना फिर दुकानदार को ये भी दे-दो वो भी दे-दो कहकर खूब सताना । छुटी के दिन माँ ज़रा देर से जगाना, फिर खुद ही पहले जाग दोस्तो के साथ मिल छुक़-छुक़ कर रेल तो कभी साईकल के टायरों से दौड़ लगाना । हमे अक़्सर याद आता है वो गुजरा जमाना, कुछ पसंद का न मिलने पर हमारा वो रूठ जाना फिर पिता जी के डाँटने पर वो माँ का प्यार जताना, घर के आँगन में मिटटी से सपनो के महल बनाना, कभी कागज की कश्ती तो कभी बना जहाज कागज का फुर्र-फुर्र कर उड़ाना । कहाँ मुमकिन है उन सभी बातों को लिख पाना, कहाँ मुमकिन है उस दौर से फिर से गुज़र जाना, कहाँ मुमकिन है उस सच्ची हँसी को फिर हँस पाना । बचपन । • • • • _-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_- #followformore #सच_से_अधिक_कुछ_नही
Balvinder singh
।। कागज़ के टुकड़े ।। दो वक्त खाने को, यहाँ जिस्म तक बिकते है, इस हवस की आग में, न जाने कितने ख्वाब जलते है ये रंगीन कागज के टुकड़े बहुत ताकत रखते है कागज के टुकड़े। ● ● ● ● #followformore #true#money#worldthesedays #सच_से_अधिक_कुछ_नही
Balvinder singh
रातें होकर चुप कितना कुछ सहती है ये रातें अब बहूत हुआ इनको भी करनी है कुछ बातें न जानें कितने गुन्हा छुपे है इसकी चुप्पी में फिर भी सब कुछ दाबे है ये अपनी मुट्ठी में इसने इंसानो के असली चेहरे देखे है, महफ़ूजो की रक्षा में लगे यहाँ पहरे देखे है, मासूमों के घाव ये गहरे देखे है, होकर चुप कितना कुछ सहती है ये रातें अब बहूत हुआ इनको भी करनी है कुछ बातें चुप रहने की भी एक सीमा होती है, अब मिले ज़ुबाँ इस रात को, बस यही फरियाद में कहती है।। रातें । ©©©©©©©©©©© • • • • • #सच_से_अधिक_कुछ_नही
Balvinder singh
इंसान खुद पर कई सवालिया-निसान उठ जाते है करते है अथक प्रयास तब जा कर सच लिख पाते है चलो तुम्हे भी जरा हकीकत से वाकिफ कराते है यूँ तो ईष्वर तेरे नाम पर पत्थर तक पूजे जाते है फिर क्यों ये धर्म-धारक नरसंघार पर उतर आते है चंद कागज के टुकड़ों ख़ातिर इंसानियत बेच खाते है ये अजीब प्राणी खुद को इंसान बताते है ग़र मजबूर है यहाँ, तो कई मजबूरी का लाभ उठाते है, किसी निर्बल, या निर्धन को हँसी का पात्र बनाते है, देख भले बुरे को ,ये चुप रहने की सहजता कहा से लाते है, ये अजीब प्राणी खुद को इंसान बताते है। पहले जो हमें करना भेद सिखाते है, कभी रंग, लिंग,जात को बना आधार अपने को श्रेष्ठ बताते है। वो भी यहाँ समानता का उपदेश देते हुए देखे जाते है ये दोगली विचारधारा वाले प्राणि खुद को इंसान बताते है। हम जैसे भी बहुत है यहाँ जो समाज मे ज्ञान रख अपना अक्सर खुद भूल जाते है, आखिर हम भी तो इन्ही इंसानो की श्रेणी में आते है। इंसान । . . _-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_-_- ........................................... ........................................... Follow for more
About Nojoto | Team Nojoto | Contact Us
Creator Monetization | Creator Academy | Get Famous & Awards | Leaderboard
Terms & Conditions | Privacy Policy | Purchase & Payment Policy Guidelines | DMCA Policy | Directory | Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited
Follow us on social media:
For Best Experience, Download Nojoto