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Suditi Jha
यकीन हम उनको दिलाए कैसे छाती फाड़ के दिखाए कैसे चिल्लाते रहे हम यही सच है वो कहते रहे इतना झूठ बोलते हो कैसे।। ©Suditi Jha #DiyaSalaai #Jhooth #yakeen #shayaari #Bhrosa #nojohindi #nojotaquotes #छाती #shayri_ki__dayri #shayri
you favourite
Jay shree ram ©you favourite #मुट्ठी #भर #न #नाचते #100 #करोड़ #की #छाती #पर #Mythology
Prabodh Prateek
मां से बड़ा कोई नहीं #माँ तस्वीर देखिये। बच्चे को दूध पिलाती माँ! माँ का चेहरा देखिये, क्या आपको लगता है कि उसकी छाती में छटाक भर भी दूध होगा? चेहरा बता रहा है कि दुखों ने उसके शरीर से खून-पानी-दूध सब चूस लिया है। कितने दिनों से उसके पेट मे अन्न का एक दाना भी नहीं गया है, कहा नहीं जा सकता। फिर भी वह दूध पिला रही है। दूध क्या, खून पिला रही है। वह माँ है। वह साल भर का बच्चा जो उसकी छाती से अमृत चूस रहा है, एक लगभग मृत शरीर से अपने लिए जीवन चूस रहा है। वह जानता तक नहीं कि वह माँ का खून चूस रहा है। जाने भी कैसे? माँ की
#माँ तस्वीर देखिये। बच्चे को दूध पिलाती माँ! माँ का चेहरा देखिये, क्या आपको लगता है कि उसकी छाती में छटाक भर भी दूध होगा? चेहरा बता रहा है कि दुखों ने उसके शरीर से खून-पानी-दूध सब चूस लिया है। कितने दिनों से उसके पेट मे अन्न का एक दाना भी नहीं गया है, कहा नहीं जा सकता। फिर भी वह दूध पिला रही है। दूध क्या, खून पिला रही है। वह माँ है। वह साल भर का बच्चा जो उसकी छाती से अमृत चूस रहा है, एक लगभग मृत शरीर से अपने लिए जीवन चूस रहा है। वह जानता तक नहीं कि वह माँ का खून चूस रहा है। जाने भी कैसे? माँ की
read more@Devidkurre
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला शासन के घोड़े पर वह भी सवार है उसी की जनवरी छब्बीस उसीका पन्द्रह अगस्त है बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो मज़दूर की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है! देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है गऱीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है धत् तेरी, धत् तेरी, कुच्छों नहीं! कुच्छों नहीं ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है कुच्छों नहीं, कुच्छों नहीं ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है! कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है! सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है। #बाबा_नागार्जुन वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
read moreSatish Kumar Meena
Natural Morning आजादी के बाद भी दुश्मन, कीड़ों की तरह पनप रहे। भारत ही इस मर्ज की दवा, वीर शहादत नहीं सहे। इन बिल के नागों को हम, उन्हीं के बिल में दफनायें। शत्रुओं की छाती पर, हमसब देश तिरंगा लहराएें। माँ के दूध को उजला कर, वो वीर हो गए फिर गुमनाम। मातृभूमि की रक्षा के लिए, वीरों को फिर एक सलाम। सीमा के प्रहरी बनकर, भारत को दृढ़ बनाए। शत्रुओं की छाती पर,, हमसब देश तिरंगा लहराएें। माँ तो उनके साथ नहीं, पर दुआ तो साथ जाती है। बहन की वो मुस्कान नहीं, राखी की चमक दिख आती है। पिता की झलक माथे पर, दिया आशीर्वाद दिखाए। शत्रुओं की छाती पर, हमसब देश तिरंगा लहराएें। एक सलाम सैनिकों के नाम
एक सलाम सैनिकों के नाम
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