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Suditi Jha

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Madbadguruji Badnamshayar

अबकी बार दीया नहीं #लाशें जल रही है ||
लोग थाली नहीं #छाती पीट रहे हैं ||

#Stay home#Stay safe

©Madbad Madhur #madbadmadhur 

#coronavirus

Prem Dhaka

💪👆ना 16 का #डोला है , ना 46 की #छाती #घर में घुस के #मारेंगे बेटा क्योंकि #जाट सः म्हारी जाती #

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Prince Kumar

#Happy__independence_Day🇮🇳🇮🇳

हर उस #छाती में #तिरंगा🇮🇳 गाड देंगे 

जिसमे साँसे #तिरंगे 🇮🇳के #खिलाफ़ हो

Asêêt Mïshrã

Kashmir पूरा हुआ स्वपन अधूरा , 
ख़ुशहाली आयी घाटी पर। 
दुश्मनो के कंठ है सूखे, 
हाथ धरे है छाती पर ।
अभी तिरंगा लहराया है,
काश्मीर के माटी पर । 
जो न सुधार पाक अगर तो , 
कदम रखेंगे के छाती पर ।।
#370 #article370#35A

Satyaveer Singh Gurjar

कश्मीर पर सरकार को बधाई #कविता

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Safar सर ऊंचा कर दिया आपनें, हर्षित बेला आयी है।

मोदी और शाह की बात, ये सबके मन को भाई है।।

थी घायल वो स्वर्ग जमीं, हर कश्मीरी जख्मी था।

घाटी जो फूलों वाली थी, उसका हर रास्ता बारूदी था।।

आस्तीन के सांपों के, बच्चे पढ़ते थे लंदन में।

आम नागरिक लगा दिए थे, पत्थरबाजी धंधे में।।

राष्ट्रवादी सैनिक मेरे पीटते थे, चंद उच्चकों से।

यह काम किये घाटी में, अलगावप्रेमी गुंडो ने।।

थी उम्मीद हर भारतवासी को, कि कोई तो ऐसा आएगा।

जो डरे बिना इन गुंडो की, छाती पर चढ़ चढ़ जाएगा।।

आज किया है तुमने ऐसा कि, एक सलामी बनती है।
सर ऊंचा कर दिया आपनें, हर्षित बेला आयी है।

मोदी और शाह की बात, ये सबके मन को भाई है।।

थी घायल वो स्वर्ग जमीं, हर कश्मीरी जख्मी था।

घाटी जो फूलों वाली थी, उसका हर रास्ता बारूदी था।।

आस्तीन के सांपों के, बच्चे पढ़ते थे लंदन में।

आम नागरिक लगा दिए थे, पत्थरबाजी धंधे में।।

राष्ट्रवादी सैनिक मेरे पीटते थे, चंद उच्चकों से।

यह काम किये घाटी में, अलगावप्रेमी गुंडो ने।।

थी उम्मीद हर भारतवासी को, कि कोई तो ऐसा आएगा।

जो डरे बिना इन गुंडो की, छाती पर चढ़ चढ़ जाएगा।।

आज किया है तुमने ऐसा कि, एक सलामी बनती है।

मोदी और शाह की जोड़ी हर युग मे कहाँ मिलती है।।

है हिम्मत तुममें मान गए, दो फाड़ कर दिए घाटी के।

"वीर" यही कह रहा आज, तुम असली सपूत हो माटी के।।


मोदी और शाह की जोड़ी हर युग मे कहाँ मिलती है।।

है हिम्मत तुममें मान गए, दो फाड़ कर दिए घाटी के।

"वीर" यही कह रहा आज, तुम असली सपूत हो माटी के।। कश्मीर पर सरकार को बधाई

Prabodh Prateek

#माँ तस्वीर देखिये। बच्चे को दूध पिलाती माँ! माँ का चेहरा देखिये, क्या आपको लगता है कि उसकी छाती में छटाक भर भी दूध होगा? चेहरा बता रहा है कि दुखों ने उसके शरीर से खून-पानी-दूध सब चूस लिया है। कितने दिनों से उसके पेट मे अन्न का एक दाना भी नहीं गया है, कहा नहीं जा सकता। फिर भी वह दूध पिला रही है। दूध क्या, खून पिला रही है। वह माँ है। वह साल भर का बच्चा जो उसकी छाती से अमृत चूस रहा है, एक लगभग मृत शरीर से अपने लिए जीवन चूस रहा है। वह जानता तक नहीं कि वह माँ का खून चूस रहा है। जाने भी कैसे? माँ की

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मां से बड़ा कोई नहीं #माँ
तस्वीर देखिये। बच्चे को दूध पिलाती माँ! माँ का चेहरा देखिये, क्या आपको लगता है कि उसकी छाती में छटाक भर भी दूध होगा? 
चेहरा बता रहा है कि दुखों ने उसके शरीर से खून-पानी-दूध सब चूस लिया है। कितने दिनों से उसके पेट मे अन्न का एक दाना भी नहीं गया है, कहा नहीं जा सकता। फिर भी वह दूध पिला रही है। दूध क्या, खून पिला रही है। वह माँ है।
वह साल भर का बच्चा जो उसकी छाती से अमृत चूस रहा है, एक लगभग मृत शरीर से अपने लिए जीवन चूस रहा है। वह जानता तक नहीं कि वह माँ का खून चूस रहा है। जाने भी कैसे? माँ की

@Devidkurre

वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला #बाबा_नागार्जुन

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किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
शासन के घोड़े पर वह भी सवार है 
उसी की जनवरी छब्बीस 
उसीका पन्द्रह अगस्त है 
बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है 
कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है 
कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है 
खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा 
मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है 
सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है 
उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मज़दूर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है! 
देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है 
गऱीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है 
धत् तेरी, धत् तेरी, कुच्छों नहीं! कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं 
पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है 
कुच्छों नहीं, कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है! 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है! 
सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है 
मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है 
उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है।

#बाबा_नागार्जुन वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला

mr_vyas

#OpenPoetry

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#OpenPoetry तिरंगा
देश का मान ओर सम्मान है तिरंगा
हिंद की चोटियों का अभिमान है तिरंगा 
वस्त्र का टुकड़ा नही शान है तिरंगा
गांधी और सुभाष का परित्याग है तिरंगा
फोजी का कफन भी ये माता का आँचल भी ये
अमन का पैगाम ये शांति का तूफान ये
तीन रंगों में बसा पूरा जहाँ ये तिरंगा
सच पूछो तो हम सबकी जान है तिरंगा
छत्तीस कोमो के साथ का वरदान है तिरंगा
भिन्नता मैं एकता का ज्ञान है तिरंगा
दुश्मनो की छाती पर तलवार है तिरंगा
हिन्द से कुमारी की ढाल है तिरंगा
47 की आज़ादी का परचम ये तिरंगा
भगत के संगर्षो का परिणाम है तिरंगा
लोह पुरुष की छाती का लोहा है तिरंगा
कलाम के सपनों का आकाश है तिरंगा
सनातन से निरपेक्षता का ठहराव है तिरंगा
पैसट(६५) की विजय का पुरस्कार है तिरंगा
शान्ति हरियाली अमर विस्तार है तिरंगा 
सस्त्र कोर देशवासियों के एक नाम है तिरंगा #OpenPoetry
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