Find the Best गौ Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutभाभी ने प्यासी नज़रों से देखते हुए पूछा- इतने गौर से क्या देख रहे हो, गौरतलब है, गौमाता से, गौशाला में, गौलापार में,
नंदन.
बावला कहे या विक्षिप्त जमाना, मुझे गम नहीं है। तुम हो तो जमाना, बाकी कुछ भी नहीं है। तुम धर्म की मूरत, फिर भी तेरी कदर नहीं है। तेरे अमृत(दूध)को दौड़े जमाना, पर विष(सेवा- सुश्रुषा) को हर-हर शंभू नहीं है। उष्णोदक(चाय ज़हर) में अमृत, पौष्टिक आहार में भी वही है। जो रख सकेगा नंदी, वह अब हर-हर शिव शंभू नहीं है। जा गौ माता तेरा लाडला कांन्हा, वो भी नहीं है।(गोपीयों में लीन है) उसके नाम से ठगी, (भागवत) ऐसे कारोबारी से धरती पटी है। जिधर भी देखो तेरी हत्या, सनातन में तेरा कोई लाल नहीं है। हमें भी ना तेरी ना सनातन की परी है।। -नंदन नोट:-ओझल होता मानवता ©नंदन. #गौ #हत्या #भागवत #सनातन #Hindu #samandar
Vishnu Naheliya
कहे नरहरि दिल्लीपत जहांगीर सुनो, कहे नरहरि दिल्लीपत जहांगीर सुनो , गाया आई है ले फ़रियाद , बादशाह सांचों न्याय करो ।। गूंगी गाया रे नैना माई नीर भयो , किन कारण हिंद में काटी जाय। ऐसो रे काई जुल्म कीयो।। कर दे करोड़ गुनाह वाने माफ़ी मिले , धर तिनकों मुख गौ बण जाय, दिल्लीपत थोड़ो ध्यान धरो, मै तो गौ हां संचोडी वन में घास चरा, बिन दोष क्यूं मारी ए जाय , बादशाह सांचों न्याय करो ।। मै तो जाणा नही ओ कीनी जात में , मै तो समझा नही ओ किनी कौम में , दूध दही घी करायो अमृत पान , किनी ने नही ज़हर दियो ।। मारे सगला जना है एक सार सदा , मारो किणी सु नही है भेदभाव , दिल्लीपत थोड़ो ध्यान धरो ।। मर के गौ जो पहरावे सब ने मोजडिया, कंकर कांटा जहरी जीवा सु बचाय, दयालु थोड़ो ध्यान धरो ।। मरिया काम आवे है गौ रा हाड़का , नही है गौ सु कोई नुक़सान , दिल्लीपत सांचों न्याय करो ।। कहे बादशाह लखावत नरहरि दास सुनो , आज सु करयो ऐलान हिंदुस्थान , गौ री कटनी बंद करयो , गौ वध बंद कियो मुग़लकाल , सोने रो इतिहास रच्यो ।। कवि:- विष्णु शंकर राजाराम नाहेलिया (महाकवि नरहरि दास के संग्रहालय से ) ©Vishnu Naheliya #गौ #motivate #SAD #Love
नंदन.
गौ की संख्या घटी कुत्तों की संख्या बढ़ी नतीजा लोग अब कुत्ते की मौत मर रहे हैं। ©M.N.Sahitya Sangh,Katihar Mn75 #गौ #stay_home_stay_safe
Kavi Dheerendra Singh Tomar
संसार दु:खी हो जाता है, जब लीख बदल दी जाती है। सड़कों पे खड़ी गऊ माता की, जब व्यथा दिखाई देती है।। फिरती भूखी प्यासी है, वह वेबस और लाचार यहाँ। पाया था मां का दर्जा जो, वह भी तो अब सत्कार कहाँ।। ये नयन आश्रुमय होते है, मां जिंदा काटी जाती है। सड़कों पे खड़ी गऊ माता की, जब व्यथा दिखाई देती है।।
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