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Juhi Grover

सुरभि मेज़ के कोने पे लगी कुर्सी पर बैठी कुछ सोच रही थी। अनायास ही उसकी आँखें गीली हो गईं। शादी के बाद से ही उसे मायके जाने का मन नहीं करता। मम्मी-पापा तो थे नहीं, राखी पोस्ट करना बस एक औपचारिकता मात्र था। दिल से सब रिश्ते लगभग टूट चुके थे। भाई का न कोई फोन और न कोई आना-जाना ही था। इस बार पूरे 8 साल बाद राखी न भेजने का फैसला किया। तभी अरण्य सुरभि के पास आया, "क्या दी, आप बार बार बस यही सब सोचने में क्यों लगी रहती हो? जो हुआ सो हुआ, अब वो सब सोच कर खुद को क्यों दु #कहानी #yqdidi #yqhindi #रक्षाबंधन #bestyqhindiquotes #भाग१

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रक्षाबंधन  (कहानी)
   भाग-१

(अनुशीर्षक में पढ़ें)            सुरभि मेज़ के कोने पे लगी कुर्सी पर बैठी कुछ सोच रही थी। अनायास ही उसकी आँखें गीली हो गईं।
           शादी के बाद से ही उसे मायके जाने का मन नहीं करता। मम्मी-पापा तो थे नहीं, राखी पोस्ट करना बस एक औपचारिकता मात्र था। दिल से सब रिश्ते लगभग टूट चुके थे। भाई का न कोई फोन और न कोई आना-जाना ही था। इस बार पूरे 8 साल बाद राखी न भेजने का फैसला किया।
           तभी अरण्य सुरभि के पास आया, "क्या दी, आप बार बार बस यही सब सोचने में क्यों लगी रहती हो? जो हुआ सो हुआ, अब वो सब सोच कर खुद को क्यों दु

Juhi Grover

 Diary 13.10.2003          आज घर में सन्नाटा छाया हुआ था। आज की बात ही क्यों यह रोज़ का माहौल बनता जा रहा था। अपनी सास के देहान्त के पश्चात् सरस्वती घर में अकेली पड़ गई थी। उसके पति रामशरण गोपाल को अक्सर अपने दफ़्तर से देर हो जाया करती थी और सरस्वती घर में अकेले बैठी रहती।           आजकल सरस्वती बहुत उदास रहती थी। स्वभाव में थोड़ा चिड़चिड़ापन भी आ गया था। उदासी क्यों न हो, घर का सूनापन उन्हें बहुत खलता था। पाँच वर्ष हो गये थे उनकी शादी को, मग़र निःसन्तान थे और यही चिन्त #कहानी #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqhindi #yqquote #भाग१ #रहस्यभरेप्रश्न

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रहस्य भरे प्रश्न (भाग १) [कहानी]

सामाजिक बुराई पर आधारित कहानी जहाँ लड़का-लड़की में अन्तर दिखाई देता है।

  (अनुशीर्षक में पढ़ें)  Diary 13.10.2003          
            
            आज घर में सन्नाटा छाया हुआ था। आज की बात ही क्यों यह रोज़ का माहौल बनता जा रहा था। अपनी सास के देहान्त के पश्चात् सरस्वती घर में अकेली पड़ गई थी। उसके पति रामशरण गोपाल को अक्सर अपने दफ़्तर से देर हो जाया करती थी और सरस्वती घर में अकेले बैठी रहती।
          आजकल सरस्वती बहुत उदास रहती थी। स्वभाव में थोड़ा चिड़चिड़ापन भी आ गया था। उदासी क्यों न हो, घर का सूनापन उन्हें बहुत खलता था। पाँच वर्ष हो गये थे उनकी शादी को, मग़र निःसन्तान थे और यही चिन्त


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