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Juhi Grover

मौसम की पहली बारिश, बादलों का शोर, उनकी गर्जना, अन्दर तक रूह को खाली कर गई, जैसे कि बादल बारिश के बाद, खुद को खाली कर हवाओं के साथ उड़ चले अपने खालीपन को भरने। मग़र मैं बादल नहीं हूँ, #yqhindi #bestyqhindiquotes #पहलीबारिश

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मौसम की पहली बारिश, 
बादलों का शोर, उनकी गर्जना, 
अन्दर तक रूह को खाली कर गई, 
जैसे कि बादल बारिश के बाद,
खुद को खाली कर हवाओं के साथ 
उड़ चले अपने खालीपन को भरने।

मग़र मैं बादल नहीं हूँ, 
जो तेरी याद में खुद के अन्दर
बहते अश्क़ों को रोक सकूँ, 
खुद को खाली कर सकूँ, 
खालीपन बेशक है मेरे अन्दर भी, 
मग़र तेरी यादों से खाली नही, 
आँसुओं की बारिश भी मेरे दिल
को खाली नहीं होने देती, 
और न ही मैं कभी इतना हल्का होता हूँ, 
कि उड़ सकूँ हवाओं की दिशा में,
मेरा सुकून तो तुम हो, 
और कमाल की बात है
कि तुम्हारे जाने के बाद भी 
मेरा खालीपन ही मुझे खाली नहीं होने देता, 
और मैं नहीं जा सकता दूर कहीं
अपने ही खालीपन से इस खालीपन को भरने। मौसम की पहली बारिश, 
बादलों का शोर, उनकी गर्जना, 
अन्दर तक रूह को खाली कर गई, 
जैसे कि बादल बारिश के बाद,
खुद को खाली कर हवाओं के साथ 
उड़ चले अपने खालीपन को भरने।

मग़र मैं बादल नहीं हूँ,

LOL

मैं जड़मति
समझ ना सका
समर्पण तुम्हारा अभिमान में
करता रहा कटु प्रश्न
इठलाकर झूठी शान में..
कुछ ना कहना ही तुम्हारा
शायद तुम्हारी गर्जना था
तुम्हारा सबसे बड़ा उत्तर
मौन की अभिव्यंजना था..
©KaushalAlmora #अभिव्यंजना 
#kaushalalmora 
#रोजकाडोजwithkaushalalmora 
#yqdidi 
#latenightthoughtbazaar 
#मौन 
#गर्जना 
#poetry

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

गीदड़ करते किलकारियां जब सिंह सेज पर सोते हैं कलरव होता पंछियों का जब बाज खामोशी होते हैं देख संकट के बादल को नीड़ परिंदे सोते हैं लेकिन खामोश मुसाफिर बाज से बाज से संकट में मौका पाते हैं इस दुनिया खामोशी व्यक्ति को अवसर का अवमानना करने वाला बताया जाता है लेकिन खामोश रहते हुए अवसर का स्वागत करने वाला वास्तव में कोई बिरला ही होता जो खामोशी का स्वरूप बदल देता है जरूरी नहीं कि हर दहाड़ का अर्थ गर्जना कुछ दहाड़े मौन रहकर भी की जाति सी होने का अर्थ यह नहीं कि वह हमेशा अपना खौफनाक रूप ही दिखाएगा ब

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Manmohan Singh  खामोशी भी विचार करें की  बंदे ने यह क्या कर डाला मेरा तो स्वरूप ही बदल डाला ki खामोशी बुलंदी का दूसरा नाम गीदड़ करते किलकारियां जब सिंह  सेज पर  सोते हैं कलरव होता  पंछियों का जब बाज खामोशी होते हैं देख संकट के बादल को नीड़ परिंदे सोते हैं लेकिन खामोश मुसाफिर  बाज से बाज से संकट में मौका पाते हैं इस दुनिया खामोशी व्यक्ति को अवसर का अवमानना करने वाला बताया जाता है लेकिन खामोश रहते हुए अवसर का स्वागत करने वाला वास्तव में कोई बिरला ही होता जो खामोशी का स्वरूप बदल देता है जरूरी नहीं कि हर दहाड़ का अर्थ गर्जना कुछ दहाड़े मौन रहकर भी की जाति सी होने का अर्थ यह नहीं कि वह हमेशा अपना खौफनाक रूप ही दिखाएगा ब

देवेश द्विवेदी 'देवेश'

#ABHINANDANhai#वीर भोग्या वसुंधरा का कण-कण पावन चंदन है, सुनकर जिसकी सिंह गर्जना दुश्मन करता क्रंदन है, जिसकी सेना का हर सैनिक वीर है दुष्ट निकंदन है, भारत का हर लाल धन्य है कोटि-कोटि अभिनंदन है। - देवेश द्विवेदी "देवेश #अभिनन्दन#है#Nojoto#Hindi#Poetry#by#Devesh#Dwivedi#Devesh# वीर भोग्या वसुंधरा का कण-कण पावन चंदन है, सुनकर जिसकी सिंह गर्जना दुश्मन करता क्रंदन है,

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वीर भोग्या वसुंधरा का कण-कण पावन चंदन है,
सुनकर जिसकी सिंह गर्जना दुश्मन करता क्रंदन है,
जिसकी सेना का हर सैनिक वीर है दुष्ट निकंदन है,
भारत का हर लाल धन्य है कोटि-कोटि अभिनंदन है।
- देवेश द्विवेदी "देवेश" #Abhinandan#hai#वीर भोग्या वसुंधरा का कण-कण पावन चंदन है,
सुनकर जिसकी सिंह गर्जना दुश्मन करता क्रंदन है,
जिसकी सेना का हर सैनिक वीर है दुष्ट निकंदन है,
भारत का हर लाल धन्य है कोटि-कोटि अभिनंदन है।
- देवेश द्विवेदी "देवेश
#अभिनन्दन#है#nojoto#hindi#poetry#by#Devesh#Dwivedi#Devesh#
वीर भोग्या वसुंधरा का कण-कण पावन चंदन है,
सुनकर जिसकी सिंह गर्जना दुश्मन करता क्रंदन है,

Manas Raj Singh

#गर्जना जब शंख बजा, मैं गरज उठा। अग्नि ज्वाला सा भड़क उठा।। जब तान छिड़ी, सुर बोल उठा। मैं मधुरी कोयल सा कुंक उठा।। जब थाप पड़ी, मैं डोल उठा। #Poetry #नोजोतो #kalakash

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गर्जना

जब शंख बजा, मैं गरज उठा।
अग्नि ज्वाला सा भड़क उठा।।

जब तान छिड़ी, सुर बोल उठा।
मैं मधुरी कोयल सा कुंक उठा।।

जब थाप पड़ी, मैं डोल उठा।
राग-राग हर हर बोल उठा।।

लेखक-मानस राज सिंह #गर्जना
 जब शंख बजा, मैं गरज उठा।
अग्नि ज्वाला सा भड़क उठा।।

जब तान छिड़ी, सुर बोल उठा।
मैं मधुरी कोयल सा कुंक उठा।।

जब थाप पड़ी, मैं डोल उठा।


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