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Trisha Madhu

#Quote

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ओझल ओझल...धूमिल धूमिल 
ये छितिज दिखता हैं,ओ छितिज भी दिखता हैं,
ना अंत का आरंभ दिखता हैं,
बस एक प्रारंभ दिखता हैं,
कठिनाइयों का बसेरा..
मन में दुःख बिरखता हैं...;
हर पल एक नई चाह लिए निखरता हैं..¡!
               _तृषा मधु

Parul Sharma

किस #मंजिल की #मुसाफिर हूँ #चुन लिया मैंने पर #सफर से #बेखबर #राह से #अनजान हूँ । तो क्या #रुक जाऊँ या बैठ जाऊँ #हाथ पर हाथ धरे #सोचकर ये .... होगा वही जो लिखा है #भाग्य में मेरे भाग्य में मेरे नहीं ये ठीक नहीं है। नहीं ये #न्याय नही है। क्योंकि चलना #जिंदगी है #थमना #बुज्दिली है। बैठी थी अब तक #फूलों सी #सेज पे खोयी थी #रंगीन #सपनों में #Poetry #Life #Love #Motivation #Hindi #जीवन #सूरज #शेर #kavishala #प्यार #मोहब्बत #nojotoofficial #इश्क #कविता #nojotohindi #hindipoetry #शायरी #sher #nojotoquotes #विचार #हिन्दीकविता #kalakash #panchdoot_social #TST #Alphopp #likho_india #रचना #Faiziqbalsay #काँटों #डगर #अंधकारमयी #शोलों #तपते #संगत #तर्क #अर्कमण्डय #छितिज #दमकूँ #shabdanchal #NojotoWODHindiquotestatic #Emotionalhindiquotestatic #NojotoTopicalHindiQuoteStatic

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|| सफर ||
किस मंजिल की मुसाफिर हूँ चुन लिया मैंने 
पर सफर से बेखबर राह से अनजान हूँ ।
तो क्या रुक जाऊँ या बैठ जाऊँ हाथ पर हाथ धरे सोचकर ये ....
होगा वही जो लिखा है भाग्य में मेरे भाग्य में मेरे
  नहीं ये ठीक नहीं है। नहीं  ये न्याय नही है।
क्योंकि चलना जिंदगी है थमना बुज्दिली है।
बैठी थी अब तक फूलों सी सेज पे
खोयी थी रंगीन सपनों में 
आगे जाने काँटों भरी अंधकारमयी डगर हो
और शोलों से तपते पथ हों
   तो क्या रुक जाऊँ ..........भाग्य में मेरे
    चलूँ न तब तक कि कोई साथ न चले
    नहीं  वक्त रुकता नहीं पीछे लौटता नहीं 
    जीवन के सफर में कोई साथ चलता नहीं 
      और कोई साथ देता नहीं है 
तो क्या रुक जाऊँ या ........... भाग्य में मेरे।
   नहीं ये न्याय संगत नहीं ये, ये तर्क संगत नहीं है 
भाग्य के विचार से, अर्कमण्डय से आलम में 
रह जाऊँगी मैं  सबसे पीछे और अकेले 
कैसे काट पाऊँगी वो पल जिन्दगी के।
      चलना मुझे अकेले,बढ़ना मुझे अकेले 
      जाना सबसे आगे छितिज पे
          दमकूँ मैं वहाँ सूरज बनके।
पारुल शर्मा किस #मंजिल की #मुसाफिर हूँ #चुन लिया मैंने 
पर #सफर से #बेखबर #राह से #अनजान हूँ ।
तो क्या #रुक जाऊँ या बैठ जाऊँ #हाथ पर हाथ धरे #सोचकर ये ....
होगा वही जो लिखा है #भाग्य में मेरे भाग्य में मेरे
  नहीं ये ठीक नहीं है। नहीं  ये #न्याय नही है।
क्योंकि चलना #जिंदगी है #थमना #बुज्दिली है।
बैठी थी अब तक #फूलों सी #सेज पे
खोयी थी #रंगीन #सपनों में

Diva

लफ्ज तो तुम ही थे ज़नाब, मैं तो केवल जरिया थीं। तुम थे छितिज-आकाश, मैं तो केवल दरिया थीं। पता था हकिकत मुझे भी ,की तुम साहिल हो बदल जाओगे पर मैं तो माशुमियत में खोयी तेरे लिए बनी बावरिया थीं। अक्सर लोंग मुझे खामखाँ ही समझाते थे, तेरे लिये रुकने पर डाँट भी लगाते थे। पर बनी मैं बन बैठी थी मीरा , #Poetry #Love #notojo #kanha

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लफ्ज तो तुम ही थे ज़नाब, मैं तो केवल जरिया थीं।
तुम थे छितिज-आकाश, मैं तो केवल दरिया थीं।
पता था हकिकत मुझे भी ,की तुम साहिल हो बदल जाओगे
पर मैं तो मशुमियत में खोयी तेरे लिए बनी बावरिया थीं। लफ्ज तो तुम ही थे ज़नाब, मैं तो केवल जरिया थीं।
तुम थे छितिज-आकाश, मैं तो केवल दरिया थीं।
पता था हकिकत मुझे भी ,की तुम साहिल हो बदल जाओगे
पर मैं तो माशुमियत में खोयी तेरे लिए बनी बावरिया थीं।

अक्सर लोंग मुझे खामखाँ ही समझाते थे,
तेरे लिये रुकने पर डाँट भी लगाते थे।
पर बनी मैं बन बैठी थी मीरा ,


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