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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

उसने बर्बर होने की परिभाषा  बदल दी है
84 साल के बूढ़े को खतरा बता कर
जेल में सजिसन बंद करके यातना देना बर्बर नही लगता
बीमार होने पे सही इलाज न देना भी बर्बर नही है
और बीमारी के ग्राउंड पे बेल न देना भी कानूनी है
बर्बर जालिम ने अपने पक्ष में कुछ भीड़ खड़ी कर ली है
जो उसकी बर्बरता पर जश्न में डूब जाता है।
वो नए भेष धारण करता है
अपनी बर्बर चेहरे पे मुस्कान लिए
अपनी बाजुएँ फड़फड़ाते हुए मोह लेता है
और जकड़  लेता है भोली मानस को
जो जिंदा रहने देने को ही उपकार समझ लेता है
और मुरीद हुआ जाता है उसकी दयालुता पर।
उसने जिंदा होने की विचार से नफरत पाल रखी है
और जंग छेड़ रखी है जिंदगी की वकालत करने वाले के खिलाफ
उसने बर्बर होना बहुत मामूली बना दिया है
अब बर्बरता ही लोकतंत्र का फैसला  है।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan "
  Rip #Stan_Swamy

#tutipanktiyan 
#vikram_prashant

Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

dream girl puja

jo dua se nikal
gya
use badua
me 
kya yad rkhna
😥

©dream girl puja #Adhuri_baat #Adhure #adhurikahani #Adhuri #tutadil #tutipanktiyan 

#RAMADAAN

Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

दर्द एक छोटी सी कहानी कहती है
वो चीखती है
वो पुकारती है
प्रतिकार करती है
और जीत जाती है।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " दर्द का अंत
#nojotohindi 
#vikram_prashant 
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#droplets

Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

पर्यावरण  

तपती गर्मी में (सूरज की )रोशनी
दुश्मन नजर आती हो 
पर तुम रहम मत करना
और  बूंदें तुम भी मत आना
जरा उनकी भी रोटी
ताबे में आने से पहले जल जाने दो
जल जाने दो उनके AC और COOLER को
और पिघल जाने दो लोहे के पंखे को
उबाल जाने दो इंजन 
और बिखर जाने दो इंसानों को पानी के लिए
और तड़पने दो तब तक
जब तक राजा को होश ना आ जाए
जल जाने दो राजा की मूर्खता को
और पता चल जाने दो 
ग्लोबल वार्मिंग की आहट उसको भी
जंगल को उजड़ जाने दो 
जब तक प्यार न उमड़ पड़े 
जंगल के लिए
और आदिवासी नजर आने लगें 
इंसान सब को
और सभी पानी पानी करते हुए
भागने लगें सूखी नदी की ओर
और समझ पाए नदी की असली पूजा
कि सिर्फ पुत्र घोषित कर देना ही काफी नहीं हैं
और भव्य आरती नदी की सेवा नहीं है
और (बारिश की) बूंदें जब तुम आना तो
धीरे धीरे मत आना
जैसे तपिस से राहत पहुंचा रही हो
और माफ कर रहीं हो नई नई मूर्खता के लिए
तुम बहुत जोर से आना और
बहा के ले जाना अपने साथ
मूर्ख राजा को
और लालची प्रजा को .......
जरा राहत मिले इंसानों को।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " rahat

#EnvironmentDay2021 
#tutipanktiyan 
#vikram_prashant

Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

अभी तुम राधा बनकर साथ रहो न #तुतिपंक्तियाँ #tutipanktiyan #tutipanktiyan #vikram_prashant #nojotohindi Films #Rose #NojotoFilms

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हर तरफ है तन्हाई
अभी उड़ रहें हैं प्राण
घर बन रहें हैं  कंक्रीट के मकान
दुःख का मौसम है
छाया है मातम इस जहाँ में
अभी तुम सिर्फ अहसास बन कर साथ रहो न
अभी तुम राधा बन कर साथ रहो न।
गुजर जाने दो स्याह भरी रात
हो जाने दो सुबह गुलजार
घुल जाने दो खुशी हर मन में
उदास मौसम के कांटे को गुलाब बन कर खिल जाने दो,
तब तलक तुम सिर्फ अहसास बन कर साथ रहो
अभी तुम ख्वाब बन कर साथ रहो न।
खो गए स्वाद जहाँ से
गायब हो गए है गन्ध सारे
आ जाने दो भीनी भीनी खुशबू वापस
तब तलक तुम अहसास बनकर साथ रहो न
अभी तुम राधा बनकर साथ रहो न।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " अभी तुम राधा बनकर साथ रहो न
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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

जो कभी चुप नहीं थे #tutipanktiyan #vikram_prashant

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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

इस पल की कर ले रखवाली रे #changetheworld #hindi_poetry #tutipanktiyan #vikram_prashant #कविता

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जोग लिया सो जोग लिया
अब आगे बढ़ता चल
पीछे क्या देख रहा है पगले
भविष्य में क्यों डूबा है मन।
भविष्य की चिंता में भी
तू क्या पा लेगा
आज जो है भारी रे
न कल में जी ने बीते कल में
तेरा मनुष्य होना टिका है
आज में और इस पल में।

बीते पल की सुख में क्यों फंसा है पगले
इस पल की कर ले तू रखवाली रे

भविष्य की अंधी में
अभी क्यों उड़ा जाए
इस पल में  टिक जा पगले
जीवन जिया जाए।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " इस पल की कर ले रखवाली रे

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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

किस ओर तुम हो
इस तरफ मैं हूँ
शशांकित
भावनाओं के समुन्द्र में।
खुद से अलग होकर
मैं किस ओर हूँ
उस तरफ तुम हो
द्रवित,
साथ साथ चलना
थक जाना
मालूम है अंत 
भावनाओं का कुचल जाना
अपनी अपनी दुनिया में
लड़ना
आराम करना
थकावट का मिट जाना,
इस ओर तुम्हारा आना
मेरा उस ओर जाना
नियत है
तुम्हारा खुद से बिखर जाना
मेरा खुद से बिखर जाना
फिर से साथ आना
फिर बिछड़ जाना।
विरक्ति की भावना का पनपना
भावनाओं के समुन्द्र का थम्भ जाना
इस ओर तुम्हारा आना
इस ओर मेरा आना
न साथ चलना 
न बिछड़ना
न थकना 
न अराम करना
किस ओर तुम हो
इस तरफ मैं हूँ
शसंकित।
"विक्रम प्रशांत"

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " किस ओर तुम हो

Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

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जन जन की बात सुनो
सबों को बोलने दो
मत रोको किसी को
न अपने कान बंद करो।
नये विचार पनपने दो
स्वतंत मानव को
स्वतंत होकर सोचने दो
मत रोको किसी को
न अपने विचार थोपो।
सांस लेते हाड़ मांस को
हर छन जिंदा होने दो
मत रोको किसी को
न किसी विचार की हत्या करो
न किसी विचार की हत्या होने दो
खुद को भी स्वतंत होने दो।

विक्रम प्रशांत "टूटी पंक्तियाँ" #hindi_poetry  स्वतंत विचार
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