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Dharm Desai
Shunya ki diwani Main baag hu foolo ka tum gulbago ki raani ho Main raaz andhera banjar, tum aaftab-e-shani ho Me shaayar hu sadiyo ka, tum nazm-e-zindagani ho Me baahir hu maslo se, tum meri pareshani ho Main kaafir hu rab se, tum khudabaksh nurani ho Main vaakya hu kal ka tum aaj ki kahani ho Main shunya se sajha hoon, tum shunya ki diwani ho थोड़ा जौन सा सोच लिया, थोड़ा खुद से थोड़ा खुदा से फिरदौस लिया। शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई लेकिन यक़ीन सब को दिलाता रहा हूँ मैं Jaun Elia #dharmuvach #yqhindi #yqhindiurdu #yqshayari #yqpoetry
Dharm Desai
हर ज़ख्म का मरहम है तू, हर नज़्म की सरगम है तू तु ही तो है दिल की लगी, हर सांस में हमदम है तू आंखों में तु, बातो में तु, चांद आसमा तारो में तू तु ही खुमार तु ही करार है बरकरारी के प्यालों में तू गुल आशिकी करता नही तू है सुकून तू है जुनून तेरे सिवा कुछ भी नही, तब्दीली राते उजालों में तू तु ही तो है खुद दिल्लगी, हरफे नबी के हवाले में तू मेरे ज़ख़्म का मरहम तू... #dharmuvach #मरहम #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Dharm Desai
लकीरे खिंच कर रखना, में राही याद आऊंगा, न कोई साथ आया था, अकेले हाथ जाऊंगा। मुझे बेबाक भी कह लो, मुझे तुम पाक भी कह लो, खुदा न बोल पाओगे, खुदाया बन के जाऊंगा। बना कर कब्र मेरी, मंदिरों में धुन बजा देना, दुआ से कोई काफिर मंजिलो को देख पाएगा। शराफत की जरूरत क्या, में खुद में ही ज़लालत हूं, नवाज़ी जा चुकी नादानियों की में अदालत हूं। बहारे रास भी आए मगर एक आस बाकी है, वो बाकी हौसले की आग का अहसास काफ़ी है। सफर लंबा ना था मेरा, पलो को सींच रक्खा है, ज़ख़म भी रास ना आया, कफन को ठीक रक्खा है। रखोगे क्या रज़ा तुम वक्त के चंचल थपेड़ों की, इन्हीं गहराइयों में हमने डर को जीत रक्खा है। मन की बगिया खिले, कहीं तो सुकून मिले... #dharmuvach #सुकूनमिले #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Dharm Desai
राज़ कई थे आंखो मे, निंदिया बन के रह गए बाकी टूटे फूटे रिश्ते, दरिया बन के बह गए। नांव बनाए बैठा रिश्ता, लहरों के गलियारों में बाग में मेरे सपनो के वो कलिया बन के रह गए। साधारण में सादर सा, मे भवसागर में गागर सा बाधा भी निवारण भी मे दीवाना में पागल सा। में दुर्वादल के बंजर सा, दलदल के काफी अंदर सा मीठी छुरियां गांव की शहरो के तीखे खंजर सा। दो अलग रचनाएं, किंतु जुड़ती कड़ी है रिश्ते... आप अपनी वास्तविकता के साथ ये रचनाएं जोड़ कर, मर्म समझ के comment करे। #dharmuvach #yqdidi #yqhindi #doalagbaatein #onememory #samemeaning
Dharm Desai
मर्ज़ कहा कोई खोजु मैं इंकार-ए-इज़हार का यही सलिका होता होगा पहले पहले प्यार का बातों में कैसे ढूंढूं में दरवाज़ा उस पार का दीवारों में बट गया, दिल मलबा है मिनार का यादों से कैसे पुछु चहरा भूले-बिछड़े यार का ख्वाबों में ही गुम था ज़ालिम बलमा इख्तियार का छुटकारा कैसे पाऊं में साथी हूं फनकार का राग भले है अलग हमारे, मुखड़ा है मल्हार का क्या आपको हुआ है पहले वाला प्यार या नहीं करना चाहते इज़हार- ए - जज़्बात तो बने रहिए हमारे साथ क्योंकि आप के और हमारे है मिलते जुलते खयालात #dharmuvach #poetry #shayaries #sheroshayari #phylosophy #philosophy
Dharm Desai
खैर हुए है देर अभो कैसे वापस आए सभो वो बूढ़ी मां बुलाएगी मन में थोड़ा मुस्कायेगी पापा फिर से हस लेंगे थोड़ा लेकिन तबियत लथड़े जायेगी क्या फायदा इस शोहरत का जो काम ना आए गर्दिश में हाथ दुआ के लिए उठाना रज़ा में या रंजिश में। वो आंचल मां का, पापा का कंधे पे हाथ याद आता है अपना घर अपने जज़्बात वो खाना खिलाना ज़बरदस्ती के साथ या तोड़ मरोड़ के जोड़ना जब कुछ हो यार याद आता है अपना घर, अपने जज़्बात गाना होता था अंताक्षरी के साथ उसमें चाय पकौड़े मिल जाएं
Dharm Desai
बेखबर में सफर में कही पर,था इधर या उधर में ज़मी पर बहक जा दहक जा घड़ी भर,हर डगर का सबब में यकीं कर सुला दो भुजा दो वफ़ा को वजह दो, खतों की लिखावट कलम से मिटा दो सदाकत हिमाकत या आदत समझ लो, या गलती पकड़ के तुम हस्ती मिटा दो खदानों में लाखो का सोना जला दो ,या आसू की बारिश से दरिया भीगा दो सलाखें समझ के तुम बाहों में भरना, या फंदा समझ के शहीदी चढ़ा दो मुझे मार कर माफ कर दो खुदा को, तुम्हे कौन बक्शेगा ये भी बता दो ? सच को छिपाने हलक चाहिए, गुल, गुलाबो की खुशबू सी मीठी सझा दो। #freesoul #फ्रीस्टाइल #dharmuvach #silentsinner
Dharm Desai
तेरी एक मुस्कान ने सारा गम मेरा भूला दिया कैसे कर दू धुंधला, में इतनी मीठी यादों को माना तेरा साया अब परियों के आंचल में है ढूंढु कैसे परछाई को अब लहजों के उजियारो में सारी जो दरकारी थी अब छूटी एक चिंगारी में कैसे कर दु साझा बिन पहरो या हथियारों के में जो भी था काफ़ी था, तुम मिले जहां मिला छोड़ के दुनियां तुम गए, कैसे काटूं जो बाकी है जब तुम्हारी ज़रूरत थी... #जबज़रूरतथी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #dharmuvach
Dharm Desai
मुसाफिर कन्हाई, में तन्हा, तन्हाई तु ख्वाइश लबों की में मीठी सुराही सनातन में सावन में सब में हूं पावन सदा साद स्वर हूं, वही शांत जल हूं फलक पे फरिश्ता में वो शाख कल हू प्रबल हूं प्रखर भी, अदा बेखबर भी खता की अता में हूं शाश्वत सुरभी धरा में बड़ा में ज़माना खड़ा में काली का चंदा, में पूर्णकला में ही सूरज सरल हू, सभी में तरल हूं अलग में अचल हूं, जटिल में सरल हूं सजा या वजा हो, या कुछ बेवजा हो में आखिर में आमिल अति का अटल हूं #freestyle #chhand #hindipoetry #hindishayari #dharmuvach #dharmdesai