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Shahab

बस कंडक्टर सी हो गई है जिंदगी 

सफर भी रोज का है और जाना भी कही नहीं है

©Shahab #कंडक्टर

Himanshu garg

सैकड़ो चेहरे एक दूसरे से अनजान बस स्टॉप पर खड़े हुए
पूछ रहे है कि ये बस कहाँ तक जाएगी
और जाएगी भी तो कब तक पहुंचाएगी
इस जद्दोजहद में एक बस जा चुकी है
कोई ना ये नही कोई दूसरी तो आयगी
लेकिन सच कहूँ तो गलतफहमी में है सारे
कि वो आने वाली बस उन्हें मन्ज़िल से मिलाएगी
किसी अपने की बाहें उन्हें छाती पर लिपटी पाएगी
भूल गए है कि ज़िन्दगी की मंज़िल बस मौत ही तो है
अब ये बस तो बस एक बस स्टॉप पर डेरा जमायेगी
इसी बीच एक बस का हॉर्न बजता है
कंडक्टर चिल्लाता है गन्तव्यो ने नामो को...
फिर क्या एक आपाधापी सी मचती है यात्रियों में
किसी को कोने की सीट चाहिए किसी को आगे की
बमुश्किल 2 मिनट के समय में बस भर जाती है
और ये भीड़ कंडक्टर के चेहरे पर सुकून लाती है
वो भी वहम में जी रहा है शायद अभी तक
वहम कि अब वो भी चैन से घर जाएगा
अपनी कमाई से घर को सजाएगा
बस चन्द घण्टो की ही बात तो है
आखिर वो भी सफर को अंजाम दे पाएगा।
इस ख्याली पुलाब के बीच आवाज आती है टिकट टिकट
और वो काम में लग जाता है।
बस बस चल पड़ती है कई उम्मीद लिए सवारी चढ़ती रहती है
लेकिन मंज़िल तो सबकी वही है फिर चाहे वी ड्राइवर हो या सवार
इसी बीच चालक की आंख लगती है और उसे मंज़िल दिखती है
जी हां बस टकराती है जोरो से और सारे सपने और ख्वाब बस ख्वाब बनकर रह जाते है
लोग खुद को बस बेबस और लाचार पाते है
मौत गले लगाने को आ रही होती है
ऐसे मे कुछ खिड़की तोड़कर जान बचाते है
जो भ8 हो
अब आगे लिखना मुनासिब नही होगा
क्योंकि भला एक कहानी की भी मंज़िल थोड़े ही होती है।
#काफ़िर #story

نمیش

दो रुपये , दो रिश्ते शाम के चार बजे थे या फिर उसी के करीब का कोई वक्त था। मैं और मेरे साथ 30 - 40 लोग और सवार थे मतलब के पूरी बस पूरी तरह से भरी हुई थी और मुज जैसे कई खड़े खड़े यह बे-आरामदेह मुसाफरी का मजा लेके अपनी मंज़िल की और बढ़ रहे थे। पर उस लज़्ज़त के साथ हुआ यूँ के जब मै चढ़ा था तब से लेकर उतरने के वक्त तक एक औरत ने जो कुछ 60 - 65 के करीब होगी उन्होंने पूरे गौर से एक दूसरी औरत जो उनसे कुछ 20 साल छोटी होगी उनको न बल्कि देखते रहे पर उनको देख के लगता था के ईर्ष्या कर रहे है जिनसे उनके भौहें भी सि

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दो रुपये , दो रिश्ते
शाम के चार बजे थे या फिर उसी के करीब का कोई वक्त था। मैं और मेरे साथ 30 - 40 लोग और सवार थे मतलब के पूरी बस पूरी तरह से भरी हुई थी और मुज जैसे कई खड़े खड़े यह बे-आरामदेह मुसाफरी का मजा लेके अपनी मंज़िल की और बढ़ रहे थे।

पर उस लज़्ज़त के साथ हुआ यूँ के

जब मै चढ़ा था तब से लेकर उतरने के वक्त तक एक औरत ने जो कुछ 60 - 65 के करीब होगी उन्होंने पूरे गौर से एक दूसरी औरत जो उनसे कुछ 20 साल छोटी होगी उनको न बल्कि देखते रहे पर उनको देख के लगता था के ईर्ष्या कर रहे है जिनसे उनके भौहें भी सि

Neha Mittal

पंजाब रोडवेज की बस जा रही थी…!!! कंडक्टर -: कहाँ जाना है…?? . Kejriwal -: अमृतसर जाना है…!! . साथ में बैठे Modi ji ने Kejriwal को जोर से थप्पड़ मारा “तू श्री अमृतसर साहिब नही बोल #Humour

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पंजाब रोडवेज की बस जा रही थी…!!!
कंडक्टर -: कहाँ जाना है…??
.
Kejriwal -: अमृतसर जाना है…!!
.
साथ में बैठे Modi ji ने Kejriwal को जोर
से थप्पड़ मारा
“तू श्री अमृतसर साहिब नही बोल


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