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Best वृक्षों Shayari, Status, Quotes, Stories

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अदनासा-

Divya Sahu

किसी रोज़ छॉंव की तलाश में किसी रोज छांव की तलाश में
वो भरी दोपहरी मार्ग में 
विश्राम को एक कोना
 छांव का ही तलाश करेगा

किसी रोज जंगल की तलाश में
नंगे पाव लिए थैला हाथ में
भूख मिटाने को 
वृक्षों को ही तलाश करेगा

किसी रोज ऑक्सीजन की तलाश में
जिंदगी जीने के लिए 
शुद्ध हवा में सांस लेने के लिए
उन वादियों को ही तलाश करेगा

किसी दिन पानी की तलाश में 
लिए पतीला हाथ में
वो जल के दो बूंद
उन्हीं वृक्षों के नीचे ही तलाश करेगा

ये स्वार्थी मनुष्य
प्रकृति का नाश कर
मंगल और चांद से जब उतरेगा
तब फिर किसी "पृथ्वी की तलाश करेगा।" #savearreyforest #savenature #savetrees

@tere_mere_alfaz27

#Ozone

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World Ozone Day    समताप मंडल में स्थित ओजोन परत समस्त भूमण्डल के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है। यह सूर्य की हानिकारक बैंगनी किरणों को ऊपरी वायुमण्डल में ही रोक लेती है, उन्हें पृथ्वी की सतह तक नहींं पहुंचने देती। पराबैंगनी विकिरण मनुष्य, जीव जंतुओं और वनस्पतियों के लिए अत्यंत हानिकारक है। ओज़ोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमें ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है। ओज़ोन परत के कारण ही धरती पर जीवन संभव है। यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 93-99 % मात्रा अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। पृथ्वी के वायुमंडल का 91% से अधिक ओज़ोन यहां मौजूद है।आज विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ बड़े-बड़े कल कारखाने और फ्रिजों की बढ़ती तादात से हमारे वायुमंडल के साथ ओजोन परत को भी नुकसान पहुंच रहा है। जहां कल कारखाने वायुमंडल को प्रदूषित करते हैं वहीं फ्रिज से निकलने वाली सीएफसी (क्लोरो फ्लोरो कार्बन) ओजोन की परत को नुकसान पहुंचा रही है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और बढ़े कल कारखानों से होने वाले प्रदूषण व फ्रिज से निकलने वाली (सीएफसी) से 2 फीसद ओजोन पर्त को नुकसान हो चुका है। जिसके कारण गर्मी बढ़ने लगी है। त्वचा कैंसर सहित अन्य रोग बढ़ने लगे हैं। कृषि को नुकसान हो रहा है। इसको बचाने के लिए अधिक से अधिक संख्या में वृक्षों को लगाना होगा। #OZONE ✍

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 10 – अनुगमन 'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात्‌ पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी। थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
10 – अनुगमन

'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात्‌ पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी।

थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु

anil kumar y625163

संसार में किसी का कुछ नहीं| ख्वाहमख्वाह अपना समझना मूर्खता है, क्योंकि अपना होता हुआ भी, कुछ भी अपना नहीं होता| इसलिए हैरानी होती है, घमण्ड क्यों? किसलिए? किसका? कुछ रुपये दान करने वाला यदि यह कहे कि उसने ऐसा किया है, तो उससे बड़ा मुर्ख और कोई नहीं और ऐसे भी हैं, जो हर महीने लाखों का दान करने हैं, लेकिन उसका जिक्र तक नहीं करते, न करने देते हैं| वास्तव में जरूरतमंद और पीड़ित की सहायता ही दान है, पुण्य है| ऐसे व्यक्ति पर सरस्वती की सदा कृपा होती है| पर क्या किया जाए, देवताओं तक को अभिमान हो जाता

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संसार में किसी का कुछ नहीं| ख्वाहमख्वाह अपना समझना मूर्खता है, क्योंकि अपना होता हुआ भी, कुछ भी अपना नहीं होता| इसलिए हैरानी होती है, घमण्ड क्यों? किसलिए? किसका? कुछ रुपये दान करने वाला यदि यह कहे कि उसने ऐसा किया है, तो उससे बड़ा मुर्ख और कोई नहीं और ऐसे भी हैं, जो हर महीने लाखों का दान करने हैं, लेकिन उसका जिक्र तक नहीं करते, न करने देते हैं| वास्तव में जरूरतमंद और पीड़ित की सहायता ही दान है, पुण्य है| ऐसे व्यक्ति पर सरस्वती की सदा कृपा होती है| 
पर क्या किया जाए, देवताओं तक को अभिमान हो जाता

Vishnu Dutt Ji Maharj

मित्रों,,,आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,, जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,और ये कथा सत प्रतिशत सत्य कथा है,, कथा का आरंभ तब का है ,,जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,, सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,,और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,,उ

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 मित्रों,,,आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,, जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,और ये कथा सत प्रतिशत सत्य कथा है,,

कथा का आरंभ तब का है ,,जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,,

सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,,और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,,उ

ऋषिराज शास्त्री

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पर्यावरण हम सबकी जान 
एक पेड़ सौ पुत्र समान
 पर्यावरण दिवस की सभी 
को हार्दिक शुभकामनाएं। 
आज के दिन सभी लोग वृक्षों 
को लगाने का संकल्प लें।
क्योंकि वृक्षों से ही जीवन 
संभव है। वृक्ष नहीं तो
 जीवन नहीं

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 49 - सेवक नहीं गोप-बालक जब भी दो दल बनाकर खेलना चाहते हैं, एक दल के अग्रणी दाऊ होगें और उनके सम्मुख दूसरे दल में विशाल ही आ सकता है; क्योंकि शरीर में वही दाऊ के समान है। कन्हाई और श्रीदाम की जोडी है। श्याम सदा विशाल के साथ रहता है। श्रीदाम को दाऊ के साथ रहना है। भद्र चाहे तो भी नन्दनन्दन उसे दूसरे पक्ष में जाने नहीं दे सकता। यह तो जब दो दल बनने लगेगें तभी पुकारेगा - 'मैं भद्र के साथ रहूंगा। सुबल, तोक मेरे साथ रहेगें।' फलत: भद्र की जोड़ में ऋषभ को और तोक के सम्मुख अंशु को दुसरे पक

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।।श्री हरिः।।
49 - सेवक नहीं

गोप-बालक जब भी दो दल बनाकर खेलना चाहते हैं, एक दल के अग्रणी दाऊ होगें और उनके सम्मुख दूसरे दल में विशाल ही आ सकता है; क्योंकि शरीर में वही दाऊ के समान है।

कन्हाई और श्रीदाम की जोडी है। श्याम सदा विशाल के साथ रहता है। श्रीदाम को दाऊ के साथ रहना है। भद्र चाहे तो भी नन्दनन्दन उसे दूसरे पक्ष में जाने नहीं दे सकता। यह तो जब दो दल बनने लगेगें तभी पुकारेगा - 'मैं भद्र के साथ रहूंगा। सुबल, तोक मेरे साथ रहेगें।' फलत: भद्र की जोड़ में ऋषभ को और तोक के सम्मुख अंशु को दुसरे पक

NC

देखो माटी का क्या हाल  हुआ 
 हरित आवरण बिन इसका रंग बेहाल हुआ
अब मिट्टी हो गई बेसहारा बदरंग
और बह जाती व गिरती बन भूस्खलन
माटी में जड़ें वृक्षों की नहीं समाती अब
इसमें मकानों के नींव डाली जाती अब
जब नदियां बन बाढ़  कहर ढाती 
तब‌ इंसान को प्रकृति की याद आती
वृक्षों की सांसें कम इंसान की अधिक 
बढ़ रही गर्मी बन ग्लोबल वार्मिंग
जलस्तर बढ़ जब सागर किनारों को साथ ले जाता 
फिर कुछ दिन अख़बारों में ये मुद्दा छा जाता
मत भूल इंसान सृष्टि में अपना अस्तित्व
कर पूरे प्रकृति के प्रति कर्तव्य
मत फैला इस पृथ्वी में इतना ज़हर
वरना ले डूबेगा सबको ये प्रकृति का कहर ।।
©rimjhim prakriti ka kahar #nojotohindi#hindi#poetry#kavita#nature#destruction#deforestation#soilerosion#floods#globalwarming#landslides

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 39 - आम चूसते आज कोई छीका नहीं लाया है। कल ही बालकों ने निश्चय कर लिया था कि वे प्रात: आम ही चूसेंगे।किसी ने भी बालकों के इस निर्णय का विरोध नहीं किया। बालक यदि हरिवासर के दिन अन्न नहीं लेते तो उत्तम ही है। वैसे भी इस पावस के प्रारम्भ में वन सूपक्व आम्रफलों से परिपूर्ण है। आम्र पोषक हैं और सुस्वादु तो हैं ही। वन में आकर आज बालकों ने शृंगार करने की चिन्ता ही नहीं की। किसी ने भी गुञ्जा, किसलय, पुष्प एकत्र करने की ओर ध्यान नहीं दिया। सब आम्रफल एकत्र करने में लग गये। रात्रि में वृक्

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।।श्री हरिः।।
39 - आम चूसते

आज कोई छीका नहीं लाया है। कल ही बालकों ने निश्चय कर लिया था कि वे प्रात: आम ही चूसेंगे।किसी ने भी बालकों के इस निर्णय का विरोध नहीं किया। बालक यदि हरिवासर के दिन अन्न नहीं लेते तो उत्तम ही है। वैसे भी इस पावस के प्रारम्भ में वन सूपक्व आम्रफलों से परिपूर्ण है। आम्र पोषक हैं और सुस्वादु तो हैं ही।

वन में आकर आज बालकों ने शृंगार करने की चिन्ता ही नहीं की। किसी ने भी गुञ्जा, किसलय, पुष्प एकत्र करने की ओर ध्यान नहीं दिया। सब आम्रफल एकत्र करने में लग गये।

रात्रि में वृक्
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