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अदनासा-
हे समस्त वृक्षों हे कानन हमें क्षमा कर दो, हम मानव तुम्हारे पतन का कारण बन चुके है, हम विकसित मानव चरम विकास में मग्न है अब हम सुंदर परिधान धारक है नग्न नही, अपितु चरम आधुनिक काल के अंतर्गत, हमें हमारे हर स्थान को सुविधा एवं सरलता में बदलना है, तुम्हारी दुविधा एवं पीड़ा से हमारा नाता नही है, हमारी चिंताएं अधिक है हमें स्वयं का अधिकार चाहिए, तुम्हें अधिकार नही है क्योंकि तुम बोल नही पाते, वैसे हमारी स्वयं की सुनवाई ही कम हो रही है, तो तुम्हारी सुनवाई भला कौन कैसे करे ? हमारा स्वयं से नाता न्युन एवं यंत्र से अधिक है, भला जीव जंतुओं की चिंता एवं चिंतन संभव कैसे हो ? हम विकसित विकासशील मानव पुनः क्षमा प्रार्थी है, माना की हम एकदा विद्यालय में पर्यावरण के विद्यार्थी भी थे, हम सुशिक्षित सुसभ्य केवल हृदय से सॉरी ही कह सकते है, हमें केवल और केवल सुविधाजनक विकास चाहिए, स्वयं के ह्रास हेतु अत: असुविधा हेतु खेद प्रकट करते है, हमने तुम्हारे पतन में स्वयं का उत्थान खोज लिया है। ©अदनासा- #हिंदी #कानन #वृक्षों #आधुनिक #विकास #उत्थान #पतन #Instagram #Facebook #अदनासा
NC
देखो माटी का क्या हाल हुआ हरित आवरण बिन इसका रंग बेहाल हुआ अब मिट्टी हो गई बेसहारा बदरंग और बह जाती व गिरती बन भूस्खलन माटी में जड़ें वृक्षों की नहीं समाती अब इसमें मकानों के नींव डाली जाती अब जब नदियां बन बाढ़ कहर ढाती तब इंसान को प्रकृति की याद आती वृक्षों की सांसें कम इंसान की अधिक बढ़ रही गर्मी बन ग्लोबल वार्मिंग जलस्तर बढ़ जब सागर किनारों को साथ ले जाता फिर कुछ दिन अख़बारों में ये मुद्दा छा जाता मत भूल इंसान सृष्टि में अपना अस्तित्व कर पूरे प्रकृति के प्रति कर्तव्य मत फैला इस पृथ्वी में इतना ज़हर वरना ले डूबेगा सबको ये प्रकृति का कहर ।। ©rimjhim prakriti ka kahar #nojotohindi#hindi#poetry#kavita#nature#destruction#deforestation#soilerosion#floods#globalwarming#landslides
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