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HintsOfHeart.
"मैं निवास जिस मूक-स्वप्न का तुम उस के सक्रिय अवतार जलन एक जिनकी अभिलाषा, मरण एक जिनका त्योहार नमन तुम्हें मेरा शत बार" ©HintsOfHeart. #शहीद_दिवस #दिनकर
poonam atrey
बिखर जाता हूँ देख क़ुदरत की अनुपम छटा ,मैं और भी निखर जाता हूँ, ओढ़ कर स्वर्णिम सी आभा ,मैं भी धरा पे बिखर जाता हूँ, आता हूँ सजाने दिलों में, नित्य एक नई उमंग और लहर, जगाने उनींदी आँखों को , नित प्रथम पहर आता हूँ, होता है घनागम जब जब ,मैं झाँकता हूँ बादलों की ओट से, रुत आती है बासन्ती जब ,मैं और भी सँवर जाता हूँ, वर्षा ऋतु भी जब मुझे रोकती है ,धरा की ओर जाने से, बनकर सतरँगी इंद्रधनुष , मैं अंबर पर सज जाता हूँ, होता है आगमन रजनी का , लौट जाता हूँ मैं घर की ओर, जब छाए कुहासा धरती पर ,मैं देखकर सिहर जाता हूँ।। पूनम आत्रेय ©poonam atrey #सुबहकासंदेश #दिनकर #पूनमकीकलमसे #नोजोटोसाहित्य Bhardwaj Only Budana heartlessrj1297 Deepti Garg गुरु देव[Alone Shayar] Ravikant Dushe shashi kala mahto Reema Mittal Tahir Raza Mahi Mili Saha Banarasi.. Deepak Bisht वंदना .... अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Neel HINDI SAHITYA SAGAR vineetapanchal डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) Ranjit Kumar बादल सिंह 'कलमगार' @Hardik Mahajan Navash2411 Ranji
poonam atrey
देख क़ुदरत की अनुपम छटा ,मैं और भी निखर जाता हूँ, ओढ़ कर स्वर्णिम सी आभा ,मैं भी धरा पे बिखर जाता हूँ, आता हूँ सजाने दिलों में, नित्य एक नई उमंग और लहर, जगाने उनींदी आँखों को , नित प्रथम पहर आता हूँ, होता है घनागम जब जब ,मैं झाँकता हूँ बादलों की ओट से, रुत आती है बासन्ती जब ,मैं और भी सँवर जाता हूँ, वर्षा ऋतु भी जब मुझे रोकती है ,धरा की ओर जाने से, बनकर सतरँगी इंद्रधनुष , मैं अंबर पर सज जाता हूँ, होता है आगमन रजनी का , लौट जाता हूँ मैं घर की ओर, जब छाए कुहासा धरती पर ,मैं देखकर सिहर जाता हूँ।। पूनम आत्रेय ©poonam atrey #दिनकर #सूरज_की_किरण -hardik Mahajan Rama Goswami दीप बोधि Ranjit Kumar अदनासा- Anil Ray Richa Mishra HINDI SAHITYA SAGAR Mili Saha वंदना .... Utkrisht Kalakaari बादल सिंह 'कलमगार' krishnkant Neel pramod malakar Kamlesh Kandpal Ashutosh Mishra Praveen Jain "पल्लव" अकेला मानव Madhusudan Shrivastava Saloni Khanna Anshu writer AD Grk Rajesh Arora Ravikant Dushe Navash2411 kumar samir Payal Das परिंदा Bhardwaj Only Budana Sethi Ji भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन एक अजनबी Sunita Pathania Savita Pat
अदनासा-
Anupama Jha
साहित्याकाश के तारे (कविता अनुशीर्षक में) #yqhindipoetry #दिनकर #मैथिलीशरणगुप्त #निराला #बच्चन #जयशंकरप्रसाद #महादेवी_वर्मा #पंत साहित्याकाश में चमक रहे असंख्य सितारे हैं काव्यों को नमन इनके ये गौरव हमारे हैं रश्मियाँ निकलती हैं "रश्मिरथी" से "उर्वशी" से होता सौंदर्य श्रृंगार है
Anjali Raj
ज्यों क्षत विक्षत से घन त्यों ही बिखरा बिखरा मन घन में दिनकर शोभित मन मेँ छाया तिमिर सघन #YQdidi #अंजलिउवाच #घन #सघन #मन #दिनकर #क्षतविक्षत
ABHISHEK SHUKLA
#दिनकर हे सूर्य देव! रवि ,दिनकर,भास्कर भगवान तुम्हारे तेज से हो रही सृष्टि दीप्तिमान ।। उषा काल विकीर्ण होती लालवर्ण रश्मि तुम्हारी कनक सी आभा पा सुरम्य रूप धरती सारी।। मंदिरों मे शंखनाद गूंजे मस्जिदों में अजान गिरिजाघर में प्रार्थना ,गुरुद्वारो में अरदास।। होते ही भोर का भान पंछी आते नीड से बाहर सुरीले स्वर में गाते भरते अंबर में ऊंची उड़ान। निद्रा से जाग ,आलस त्याग, लगता दिनचर्या में इंसान , तुम्हारी उष्मा से प्रकृति का रहता अंग-अंग ऊर्जावान। उच्च हिमालय के पीछे से निकल स्वर्ण किरण आलोकित करती जीव जंतु वनस्पति का कण-कण पहर रूपी दिन के भिन्न में विभाजित धूप तुम्हारी बचपन, यौवन ,जरा जीवनकाल का सार बताती। तुम्हारी महिमा से तमस,कुवास नमी का काम तमाम सजती धरा पहन लाल, बसंती ,धानी, सुनहरे परिधान ।। नकारात्मकता हरकर सकारात्मकता भरकर करते तुम तेज से अपने चेतन अवचेतन में सुख का संचार ।। तुम्हारे उदय-अस्त से ऋतुचक्र दिन रात बनते है नव सृजन को निश्चित उत्पत्ति,अवसान संग चलते है।। निरंतर चलते,तपते ढलते करते तुम सर्व कल्याण हे सूर्यदेव! तुम्हारे तेज से हो रही सारी सृष्टि दीप्तिमान। । ©ABHISHEK SHUKLA #philosophy
#अनूप अंबर
मैं दिनकर हूं मैं दिनकर हूं, मैं ही प्रभाकर सारी दिशाएं,मुझसे उज्जल तिमिर मुझसे भय खाए सम्मुख निशा भी ना टिक पाए मैं लाता,उम्मीद की किरणे जन जन से,मेरा है परिणय समस्त विश्व का पालनहार मैं ही श्रेष्ठ मैं ही प्रखर हूं, मैं दिनकर हूं,मैं दिनकर हूं मैं हूं निरंतर चलता रहता एक क्षण भी ना, कभी भी रुकता सब पर समान,दृष्टि मैं रखता कभी किसी का,अहित ना करता परोपकार को,समर्पित रहता तेजवान,तेजोमय हूं, मैं दिनकर हूं, मैं दिनकर हूं, ©##अनूप अंबर #दिनकर #HopeMessage
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
रोज आजमाते रहे "पीपल" तले बैठ किस्मत को लिए पुरानी आरज़ू एक वार मिले हम दिनकर को जिनके हाथों में थी बीर रस कविता लिखने की भार तभी तो लिख डाली क्या चाहिए 'कलम कि तलवार' ©Anushi Ka Pitara #दिनकर #Nature