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अदनासा-
अदनासा-
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बोलों ज़ुबां केसरी कभी चिलचिलाती धूप में पसीना बहाते, कभी बरसात में तर-बतर तो कभी ठंड में ठीठुरते हुए, बड़ी मेहनत से, एक सफाई कर्मी हमारे आस-पास के वातावरण को साफ-सुथरा रखता है। मगर अचानक जिंस और टी शर्ट पहने, लहराकर चलते हुए, एक बंदा अपनी जिंस की जेब से, एक पुड़िया को ख़ूबसूरत अंदाज़ में फाड़ता है, उस पुड़िया में स्थित वस्तु को बड़े मन से, अपने मुंह में उड़ेलता है, उस कागज़ को बड़ी लापरवाही से सड़क पर फेंकता है और सड़क को केसरी रंग में रंगता लहराता चल जाता है, क्योंकि ज़ुबां केसरी होने के गुण को समाज के त्रिमूर्ति नायक, अजय जी, शाहरुख जी और अक्षय जी, ज़ुबां केसरी होने के गुण एवं मंत्र का प्रचार करते है। मगर उस सफ़ाई कर्मी के मेहनत पर कैसे इस केसरी ज़ुबां ने पानी फेर दिया, इस और कोई ध्यान नही देता, और नाही यह ध्यान देता है की इस ज़ुबां केसरी से युवा पीढ़ी कैंसर की ज़ुबां बोलने पर मजबूर हैं। ©अदनासा- #हिंदी #छद्म #विज्ञापन #प्रचार #गुटखा #कैंसर #युवा #सफाईकर्मी #Instagram #अदनासा
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read moreShahab
मिठास मोहब्बत की कैसे मनाती वो " चॉकलेट डे " उसका वाला तो गुटखा खाता है ... ©Shahab #गुटखा
Anand Kumar Ashodhiya
श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! हर नुक्कड़ चौराहे पे, पान की दूकान पर, भिन्न भिन्न आकार में, भिन्न भिन्न प्रकार में, आपकी सेवा में उपलब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! आप भी आएं, दूसरों को भी लाएं, खुद भी खाएं, दूसरों को भी खिलाएं, क्योंकि सहजता व प्रचुरता में उबलब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! गले और गाल के कैंसर की गारंटी है जवानी में ही बुढ़ापे के असर की गारंटी है धीरे धीरे गुटक लेता हूँ इंसानों की जान, मुझे गुटखा कहते हैं! खांसी कफ़ के साथ साथ, दांत भी खराब होंगे शारीरिक कमजोरी के संग, गुर्दे और आंत भी खराब होंगे मेरे भेजे मुर्दो से तो क्षुब्ध है श्मशान, मुझे गुटखा कहते हैं! छोटी मोटी विपदा नहीं, साक्षात् काल हूँ मैं, यम यहाँ, दम वहां, उससे भी विकराल हूँ मैं, साक्षात् मौत के सामान का प्रारब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! जीवन पर्यंत आपको कंगाल बनाए रखूगा, इस बेशकीमती ज़हर का गुलाम बनाए रखूगा आप फिर भी मुझे गुटक रहे हैं, स्तब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015 #हिन्दीकविता #गुटखा #आजकाविचार
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read morePoetry with Avdhesh Kanojia
बेदर्दी समन --------------- तुम चाहो तो टूटते तारों को एल्फी लगा के जोड़ दो। तुम चाहो तो हवाओं का रुख आने हिसाब से मोड़ दो। ये सारा ज़माना झुक जाएगा तुम्हारे कदमों में, बस तुम ये वक़्त बेवक़्त गुटखा चबाना छोड़ दो। तुम्हारे इश्क़ की दरिया की अनगिनत लहरों में हिचकोले खाती मेरी कश्ती में छेद हो गया। इतने धक्के खाए मैने तुम्हे पाने को ए बेदर्दी देखा तुमको चबाते गुटखा तो मुझे खेद हो गया।। ✍️अवधेश कनौजिया© #NojotoQuote बेदर्दी सनम
बेदर्दी सनम
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