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Shivangi
हल्दी एक है पर उसके रूप अनेक हैं, जख्म पर लगें तो मरहम का काम कर जाता हैं, दूध में मिलें तो सारे दर्द भगाने की दवा बन जाता हैं, शादी में दुल्हन पर लगें तो उसका रूप-रंग निखर जाता हैं, कहने को तो हल्दी रसोई में इस्तेमाल होने वाले साधारण मसाला हैं, पर रसोईघर के बाहर भी इसके उपयोग अनेक हैं।।।। 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 6 लाईनों में लिखें .... (6लाइन्स हिन्दी कविता ) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।
DR. SANJU TRIPATHI
तेरे नाम की तन मन पर हल्दी लगाकर, जीवन भर के लिए हम बस तेरे हो जाएंगे। महकेगी जिंदगी मेरी खुशबू से बस तेरी ही, हल्दी से पहले से भी ज्यादा निखर जाएंगे। सारे गमों को दूर करके अपनी जिंदगी से, जिंदगी को अपनी खुशियों से भर जाएंगे। 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 6 लाईनों में लिखें .... (6लाइन्स हिन्दी कविता ) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।
Anamika
बंद कमरे में सोच लेना वो बात आज भी हल्दी से गहरा है वो दाग शायद उठा दो चेहरे से अपने तुम नकाब... #दाग#बात#हल्दी#नकाब #यूंही #तूलिका
Vibha Katare
हल्दी, मेहंदी , कुमकुम, अग्नि के सात फेरे.. कुछ तो विज्ञान होगी इन सबके पीछे.. बाँध सके जो एक पंछी को बिन पिंजरे.. #शादी #हल्दी #मेहंदी #सातफेरे #पंछी #पिंजरे #yqdidi #विज्ञान
Ashish Deshmukh
हमारे पूरे अंग में हल्दी लेप दी शादी के पहले... हल्दी वाला काढ़ा पिलाओ तो दिल तक पहूंचे... ©Ashish Deshmukh #haldi #हल्दी
ROHAN KUMAR SINGH
#दूल्हे को #हल्दी लगे हैं देखो सबसे हाय #शर्मायें मन में है #लड्डू भी फूटे और गर्लफ्रेंड के #डर से थोड़ा #घबराएं 🤣🤣🤣🤣🤣🤣 {इसकी #हल्दी की #रस्म हो गयी #शादी में #जलूल जलूल #आना} 😝😝😝 guriya kumari Annu Sharma Priya Rajput (Beauty) Shikha Sharma Tabita thapa 🤗🤗💓
Rakesh Pandey
ऐसी लागि लगन ardhangini अभी अभी तो मिले है सजनी इतनी भी क्या जल्दी है दुआ है धरती की हम पर कि तेरे घर भी हल्दी है और मेरे घर भी हल्दी है🤔
कवि प्रदीप वैरागी
पिता *स्मृतियों के झरोखों से* ______________________ कहां गये बगिया के माली? गुमसुम है फूलों की डाली! सूना सूना है घर आंगन कच्ची माटी की दीवारें तुम्हें पुकारे ये मन पावन रंभाती रहती है गइया राह देखती कबसे मइया आती नहीं तुम्हारी पाती हो जाती है छलनी छाती कहते थे आओगे जल्दी हाथ बहन के दोगे हल्दी लढिया का वह टूटा पहिया जिस पर बैठा छोटा भइया याद बहुत करती है माटी बचपन की वह हल्दी घाटी वीर शिवाजी राणा बनकर चलते थे हम कितना तनकर एक बार जब छोटा था तो कंधे पर बैठाया हमको निकल गये मीलों पैदल ही कैसा खेल खिलाया हमको काश लौटकर तुम आ जाते करते जी भर खुलकर बातें छोटे पर कुछ भान नहीं था भले बुरे का ज्ञान नहीं था आ जाओ अब बड़ा हो गया पैरों पर मैं खड़ा हो गया। खुशियाँ तुम्हें नहीं दे पाया जो मांगा वह मैंने पाया। जो भी हूँ आशीष तुम्हारा चरणों में यह शीश हमारा घर के हर चौखट दरवाजे देते हैं तुमको आवाज़ें दूर गये हो द्वार है खाली देहरी पर बैठी महतारी खाली है पूजा की थाली तुम बिन सूनी है दीवाली चूल्हा चौका राह निहारे याद करे यह चकिया गाली। क्योंकर आखिर रूठे हमसे नेह बहुत करते थे सबसे तनिक नहीं देते थे माफी सबको डांट पिलाते काफी। आ जाओ फिर गले लगाने मेरी गलती पर चिल्लाने कोई नहीं हमें कुछ कहता बस अपनी ही कहता रहता। आंखों में हैं बहते आंसू क्षमा करो हैं कहते आंसू। आ जाओ एक बार सही जाने वाले दूर कहीं! प्रदीप वैरागी शाहजहांपुरी ,राष्ट्रवादी युवा रचनाकार(सर्वाधिकार सुरक्षित )