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kumaarkikalamse

अक्षरों  के  भिगो के थोड़े चावल,
मात्राओं की हरी दाल मिलाता हूँ,
नमक, राई, और  घी के शे'रों  से, 
ग़ज़ल वाली खिचड़ी बनाता हूँ!! #अक्षर #खिचड़ी #ग़ज़ल #चावल #दाल #राई #घी

somnath gawade

#राई

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  राई चा पर्वत 
  करणाऱ्यांना
त्या पर्वतात एकटे 
   तपश्चर्येला
बसविले पाहिजे.
 #राई

Sukesh

राई #राई # #लव

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mute video

VICKY SONI

किसीको अपनी मंज़िल का रास्ता पूछते वक़्त
१ बार उसपे गौर ज़रूर कीजिएगा
मैंने अक्सर देखा है,
जन्नत का ख्वाब दिखाने वाले को
सैतान की गली से गुजरते हुए। #मंज़िल #रास्ता #राई

Geeta Panjwani

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बचपन और पहला दोस्त मिट्टी की चार ईंटे ।।
यंहा वंहा से चुनकर लाया हुआ 
पेपर कागज कचरे सा -);;
ये थी मेरी रसोई घर ।
बहुतछोटी थी मैं बहुत ज्यादा 
3 या 4 कक्षा में ।।
एक खुला सा बडा मैदान था घर के सामने 
कुछ दिनो से बंजारे रहने आए थे यंहा ।।
कुठ नया बन रहा था उसी के मजदूर थे ।।
रोज देखती थी उनकी औरते और मर्द साथ काम पे निकल जाते थे ।।
उनके बच्चे मिट्टी मे खेलते रहते थे ।।मौज से मजे से ।।

ये सब रोज का था ईसलिए आम लगता था 
एक दिन बहुत मायूस दिखे  वो बच्चे ।।
खेल भी नही रहे थे ।।
मुझे न बचपन से ही हर बात जान ने का बडा 
शौक रहता है ।।
पुछ लिया मैने 
" ऑए तूम क्यु दुखी हो ।।खेलो न खेल क्यु नही रहे ??
गरीब बेचार चुप रहे ।।जवाब न दिया ।।
"बाड में जाओ "कहकर 
मैं निकल गई ।।।
पर मुझे चैन न आया ।।।क्यूकि रो रहे थे यार दो तीन छोटे छोटे बच्चे ।।
अब मैं अपने असली रूप में आ गई और गुस्से से पुछा ।
"बताते हो के नही "??। नही तो कल ही तूम लोगो को भगा देंगे यंहा से देख लेना ।।मेरे प्पा सेकर्टरी है 
सोसायटी के हमारा ही राज चलता है ।।""

मेरी धमकी काम कर गई ।।
" हमारी मां रोज हमारे लिए खाना बनाके जाती है 
रात को बारिश की वजह से सुबस चुला जला ही नही 
अब हमे बहौत भुख लगी है ।।।" 

है भगवान ।मैं भले कितनी भी शैतान थी बचपन में पर ईस तरह किसी को भुखा नही देख सकती थी ।।

" कौन कौन क्या लाएगा" 
मेरी टोली से पुछा ?? 
आता जाता हम मे से किसी को कुछ नही था 
पर तैयार सारे हो गए थे।।।

" मीना मैं आलू लेके आती हु ।तु 
पौंआ ले आ ।।सीमा राई और हरा धनिया ले आ
तेल मसाले सब एक एक लाओ ।।

मिट्टी की चार ईंट का चुल्हा ।।
थोडा सा गासलेट ।बहुत सारा 
कचरा ।घर के पेपर ।।।

मेरी अगवानी ।।।
तेल मे राई डाली ।।जल गई 
" अरे ईसने तो जला दिया "" उसने कहा 

"हा तो तू मत खाना" बोल दिया मैने  ।।मेरी हुशारी तो बचपन से ही 
सुबानअल्लाह है ।।

मुजे आज भी याद है ।।पुरे कच्चे थे आलू 
नमक थोडा ज्यादा था 
और ।।।
पौंआ नही ।।पुरे पौंआ का हलवा बनाया था मैने।
मुझे कूया पता पानी नही डलता ??

खैर साथ मे आलु भी उभाले ।।मैं 
टीम लीडर थी तो घर के सारे आलू उठा लायी थी ।।
हमने उनके साथ बैठकर थोडा थोडा खाया ।।
वो सचमुच बहुत भूखे थे यार ।।।
हाथ से भर भर के ईतना कच्चा पक्का 
खाना खा गए ।।।।

उनहोने खाना खाया 
और 
हम सभने मार मम्मी की ।।।
अरे हा ।।
सच्ची में ।।
हमारी सोसायटी "तारक महेता का उलटा 
चश्मा " जैसी थोडे ही थी ।।।
ईसलिए सबको मार मिली ।।
मुझे अपनी मम्मी की मार और बाकी सारी 
म्मियो की डांट ।।
After all leader जो ठहरे अपुन ।।

पहली रसोई पे हमेशा ।।
पारितोषक ।।या खरची मिले ।एसा जरूरी नही 
कभी कभी मार डांट भी मिलता है ।।
समझा ।।।

Chandan Gusain

#OpenPoetry घ्याल मच्युं यख मन्ख्युं कु ,
भिबडाट च मोटर कारु कु
घ्याल मच्युं यख मन्ख्युं कु ,
भिबडाट च मोटर कारु कु.!
तेरी मयलु बँसुरी बौण भुलु .
नीच युं शहरु बजारु कु
जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा ,
जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा
.
तेरु गौं देखणु होलु तेरु बाटु ,
रमणा होला गोर डांडो मा
तेरु गौं देखणु होलु तेरु बाटु ,
रमणा होला गोर डांडो मा.!
खोजणा होला त्वेथे तेरा अपडा ,
तु कख अलझी यख कांडो मा.!
यख रिश्ता नाता नी मन्दु क्वी. 
हो ओ होओओओओओओओ
यख रिश्ता नाता नी मन्दु क्वी ,
बस नजर च गेडी गाँठयूं मा
जा लौट जा डांडी काठ्युं मा. ,
जा लौट जा डांडी काठ्युं मा.!!
.
को मलासलु लाटा मुन्डी तेरी ,
को पेलु भुकी चोंठी पकडी
को मलासलु लाटा मुन्डी तेरी ,
को पेलु भुकी चोंठी पकडी.!
क्वी नी सुणदु खैरी केकी ,
लिजा अपडी पीडा अफु दगडी
खोटी हैंसी हैंसदन बैर  ,,,,,,,,,,,,,,,
होओ ओहहहहह
खोटी हैंसी हैंसदन बैर  ,
छन पित्त पक्याँ यख जिकुड्यु मा
जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा. ,
जा लौट जा डांडी काठ्युं मा.!!
.
छन लोग कमाणा दिन रात ,
नी बगत द्वी गप्पा खाणा कु
छन पलंग बिछ्यां यख कमरों मा ,
नी टेम घडेकु सीणा कु .!
हर्च्युं चा दिनु कु चैंन भुलु ,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,होओ ओहहहह
हर्च्युं चा दिनु कु चैंन भुलु ,
बिरडी चा नींद यख रात्युं मा
जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा. 
जा लौट जा डांडी काठ्युं मा.!!
.
वो मयलु पराण वा मनख्यत ,
नी राई यखे हव्वा पाणी मा
वो मयलु पराण वा मनख्यत ,
नी राई यखे हव्वा पाणी मा.!
यख मनखी मशीन व्हेगे भुल्ला ,
दिन रात च खैंचा ताणी मा
क्या सोची ऐ तु यख लाटा ,,,,,
,,,,,,,,,,,होओ ओहहहहहह
क्या सोची ऐ तु यख लाटा ,,
त्वे लोग बैठाला आँख्युं मा
जा लौट जा डांडी कांठ्यूं मा. 
जा लौट जा डांडी काठ्युं मा.!!
.
गीत :- नरेंद्र सिंह नेगी जी .
... एल्बम :- छिबड़ाट , #जालोटिजा_डांडी_काठयो_मा

आयुष पंचोली

अर्थ का अनर्थ होने मे दैर कहाँ लगती हैं। आपकी लाखों अच्छाई पर भी, जीवन की एक गलती भारी पढ़ जाती हैं। बात जब निकलती हैं , तो तिल से ताड़ बनने मे दैर कहां लगती हैं। #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

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अर्थ का अनर्थ होने मे दैर कहाँ लगती हैं।

आपकी लाखों अच्छाई पर भी, 
जीवन की एक गलती भारी पढ़ जाती हैं।

बात जब निकलती हैं ,
तो तिल से ताड़ बनने मे दैर कहां लगती हैं।

कोई नही हैं जो राई के दाने बटोरे यहाँ,
यह दुनिया हैं, यहाँ राई का पहाड़ बनने मे दैर कहां लगती हैं।

अपनी शख्सियत को निखारना आपको ही पड़ेगा,
लोगों को यहां बाते बनाने मे दैर कहां लगती हैं।

अपना अन्धेरा कोई देखता नही कभी भी,
दुसरे के चिरागो की बुझती हुई लौ को भड़काने मे यहां किसी को दैर कहां लगती हैं।

आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi
 #NojotoQuote अर्थ का अनर्थ होने मे दैर कहाँ लगती हैं।

आपकी लाखों अच्छाई पर भी, 
जीवन की एक गलती भारी पढ़ जाती हैं।

बात जब निकलती हैं ,
तो तिल से ताड़ बनने मे दैर कहां लगती हैं।

@krishn_ratii

हर लम्हें में एक नया इंसान। 
हर इंसान में एक नया लम्हा। 
ढूंढता खुद को अजनबियों में। 
खुद से होकर अंजान हर लम्हा हर इंसान। 
चल रहा, रुक रहा, गिर रहा, संभल रहा। 
भाग रहा, दौड़ रहा, पकड़ रहा, छोड़ रहा। 
चाह रहा खुशी और गम के तार जोड़ रहा। 
तोड़ रहा, मरोड़ रहा, फेंक रहा, बटोर रहा। 
तिल को ताड़, ताड़ को तिल। 
राई को पहाड़, पहाड़ को राई बना झकझोर रहा। 
पर खोज नहीं रहा खु़द को क्योंकि खुद से है खफा। 
चार कदम की दूरी को मीलों का रास्ता समझ मुख मसोड़ रहा। 
धर्म को अधर्म को न्याय को अन्याय को एक ही तराजू में तोल रहा। 
यथार्थ को अन्यथा, संभव को असंभव, संतोष को असंतोष बना इस छोर से उस छोर दौड़ रहा। 
ठहर नहीं रहा स्वयं में बार बार स्वयं को ही खोद रहा। 
होकर अनभिज्ञ इस तथ्य से प्रेम का पथ भूल रहा। 
अंजान होकर अपने स्वरूप से अपनी आंखों में ही धूल झोंक रहा।  #kadam #challenge #kavishala #nojoto #nojotokhabri #kavishala #poetry


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