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Anupam Saini

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Deepak "New Fly of Life"

#अर्पित-ए-गुलशन #शायरी

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तुम यूँ न चुप
रहा करो!!
बैचेनी सी 
बढ़ती है!!
तेरे बोलने 
से ही तो!!
हर सुबह
गुलशन में
कलियाँ खिलती हैं!!!

©Deepak Bisht #अर्पित-ए-गुलशन

Deepak "New Fly of Life"

#अर्पित-ए-तसव्वुर #शायरी

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मैं कहता वही हूँ
जो दिल-ए-बाग़ में
कुछ हलचल कर दे!
कर ले कोई तसव्वुर फिर
चाहे तो फिर मुँह मोड़ दे!!

©Deepak Bisht #अर्पित-ए-तसव्वुर

Arpit Shukla

वर्तमान सत्य👌👌👌👌 #अनुभव #अर्पित

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कुदरत का कहर देखो। 
जो कहते थे मरने की फुरसत नही है मुझे 
वो कहते हैं ,अब जिये कैसे? 

                             -@#अर्पित शुक्ला वर्तमान सत्य👌👌👌👌

SHOBHA GAHLOT

न इतने काबिल थे न हो सकेंगे कि पृथ्वी को कुछ दे सकें ....
केवल उसका #धन्यवाद #अर्पित करतें हैं बारम्बार ...
और प्रतिज्ञा लेतें हैं कि उसकी दी हुई अनमोल दौलत हवा,पानी,भोजन,दवाइयों,जंगल का अनावश्यक दोहन नही करेंगे ..... #Earth_Day_2020

Poetry with Avdhesh Kanojia

#मेरी_दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि *वह उनसे वर्ण में बड़ा है। *आयु में बड़ा है। *उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है। *वह उनसे अधिक वैभवशाली है। #विचार

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मेरी दृष्टि
✍️अवधेश कनौजिया© #मेरी_दृष्टि
............

शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि 
*वह उनसे वर्ण में बड़ा है।
*आयु में बड़ा है।
*उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है।
*वह उनसे अधिक वैभवशाली है।

SUSHANT KUMAR

#"रंग जाऊ मैं प्रीत के रंग मे, प्रेम में ऐसी मगन प्रिये, सुध-बुद्ध खो कर तुझे पुकारूं, अर्पित तुझपे जीवन के हर रंग प्रिये l" बन के मीरा रंग दु खुदको, कान्हा के हर रंग प्रिये l बन के राधा प्रेम मे डूबी,

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"रंग जाऊ मैं प्रीत के रंग मे,
प्रेम में ऐसी मगन प्रिये,
सुध-बुद्ध खो कर तुझे पुकारूं,
अर्पित तुझपे जीवन के हर रंग प्रिये l" 
   
✍️ ✍️ Read full piece in caption✍️✍️ #"रंग जाऊ मैं प्रीत के रंग मे,
प्रेम में ऐसी मगन प्रिये,
सुध-बुद्ध खो कर तुझे पुकारूं,
अर्पित तुझपे जीवन के हर रंग प्रिये l" 

बन के मीरा रंग दु खुदको,
कान्हा के हर रंग प्रिये l
बन के राधा प्रेम मे डूबी,

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 11 - वीरता का लोभ शरद् की सुहावनी ऋतु है। दो दिन से वर्षा नहीं हुई है। पृथ्वी गीली नहीं है; परंतु उसमें नमी है। आकाश में श्वेत कपोतों के समान मेघशिशु वायु के वाहनों पर बैठे दौड़-धूप का खेल खेल रहे हैं। सुनहली धूप उन्हें बार-बार प्रोत्साहित कर जाती है। पृथ्वी ने रंग-बिरंगे पुष्पों से अंकित नीली साड़ी पहन रखी है। पतिंगे के झुण्ड दरारों में से निकल कर आकाश में फैलते जा रहे हैं। आमोद और उत्साह के पीछे मृत्यु के काले भयानक हाथ भी छिपे हैं, इसका

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
11 - वीरता का लोभ

शरद् की सुहावनी ऋतु है। दो दिन से वर्षा नहीं हुई है। पृथ्वी गीली नहीं है; परंतु उसमें नमी है। आकाश में श्वेत कपोतों के समान मेघशिशु वायु के वाहनों पर बैठे दौड़-धूप का खेल खेल रहे हैं। सुनहली धूप उन्हें बार-बार प्रोत्साहित कर जाती है। पृथ्वी ने रंग-बिरंगे पुष्पों से अंकित नीली साड़ी पहन रखी है। पतिंगे के झुण्ड दरारों में से निकल कर आकाश में फैलते जा रहे हैं। आमोद और उत्साह के पीछे मृत्यु के काले भयानक हाथ भी छिपे हैं, इसका

विद्या भूषण मिश्र

#श्रद्धांजलि!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सूरज है बुझा-बुझा सा,आकाश झुक गया सारा, 
डूबा है चाँद तिमिर में, निस्तेज हुआ ध्रुव तारा !!
भींगी पलकें ले अपनी, चाँदनी उदास खडी़ है, 
बरसा है तुहिन धरा पर,आँसू की  लगी लड़ी  है !!
थम गया समीर अचानक, क्या मौसम रूठ गया है, 
बेमौसम  बरसे बादल, नीरद-घट फूट गया है !!
कुछ स्मरण आगया सबको, विचलित सारे के सारे, 
अनचाहा घटित  हुआ कुछ, फीके रंगीन नजारे !! 
आघात याद है अब भी, जो मुझको तोड़ गया था, 
असहाय, अकेला करके, हमराही छोड़ गया  था !! 
हे देवि ! तुझे श्रद्धांजलि ,कुछ पुष्प यहाँ अर्पित हैं,
स्वीकार इन्हें कर लेना, हृदयोद्गार अर्पित हैं !! 
कितना सुखमय जीवन था कितना मधुमय सँग तेरा,
पर "क्रूर काल" ने जाने , क्यों छीन लिया सुख मेरा !! 
युग बीत गया, इस दिन ही, छूटा था साथ हमारा, 
सब याद तुझे करते हैं, रहता उदास घर सारा !!
आँगन सूना - सूना सा , सूना अंतर्मन  मेरा,
वह कमरा  विलख रहा  है, जिसमें निवास था तेरा !!
बन गया भार यह जीवन, बिन तेरे जिया न जाता, 
वह क्रूर काल वापस फिर, क्यों मेरे पास न आता ?
जीने  की अभिलाषा भी, है बची कहाँ अब मन में,
बिखरे हैं  स्वप्न सुनहरे, जो बुने कभी जीवन में !!
उस "क्रूर काल" से कह दे, तुझसे अब मुझे मिला दे।
या तुझको वापस कर दे, या मुझको पास बुला दे !! 
लो अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि, मेरे साथी जीवन - धन,  
लेखनी  बहाती  आँसू , क्रंदन  करता  अंतर्मन !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ #NojotoQuote

Shivam Mishra

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भारत माँ को अर्पित कमल 

जो काम करते हैं भारत माँ को अर्पित कमल 
वो काम कर नहीं पाते छल से भरे असुरों के दल 

भारत माँ को अर्पित कमल 

जीतेगा वो हर युद्ध 
जो जीता है देश के लिये हर पल 

भारत माँ को अर्पित कमल 

वो जो अपने लिये करते रहे हर काम 
वो डर से कहते हैं की सेवा करेंगे हमारे लिये कल 

भारत माँ को अर्पित कमल 

तू क्या मारेगा उसको 
तेरे पत्थरों को भी वो बना देगा कमल 

भारत माँ को अर्पित कमल 

अगर ना दे कोई रसूक वाला साथ तेरा 
तो जान ले जनता साथ है तेरे तू चल अकेला चल 

भारत माँ को अर्पित कमल 

©शिवम मिश्र
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