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Best सजाते Shayari, Status, Quotes, Stories

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Dr Manju Juneja

mute video

Mohini Mishra

मखमली ख़्वाब दिल में सजाते रहे।
हम मुहब्बत की दुनिया बसाते रहे।।
ज़ख़्म मिलता रहा  चोट खाते रहे।
 और फिर भी  सदा मुस्कुराते रहे।। #ख़्वाब#सजाते रहे#

Mukesh More

#Joker#सजाते-सजातेरंगमंच वोप्यार का… ना जानेक्यूँ मुझेजोकर बना गया… #विचार

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#Joker सजाते-सजाते रंगमंच वो प्यार का…
ना जाने क्यूँ मुझे जोकर बना गया… #Joker#सजाते-सजाते#रंगमंच वो#प्यार का…
ना जाने#क्यूँ मुझे#जोकर बना गया…

Maneesh Ji

!! आओं #दोस्तों !! #ब़र्बादी का #जश्न मानते हैं #हिंज्र - ए - #ग़म की रात हैं चलो #मयख़ाना #सजाते हैं - MERI SHAYARI MERI DASTAAN #शायरी

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!! _आओं दोस्तों_ !!
ब़र्बादी का जश्न मनातें हैं 

हिंज्र - ए - ग़म की रात हैं 
चलो मयख़ाना सज़ातें हैं

- MERI SHAYARI 
                           MERI DASTAAN !! आओं #दोस्तों !!
#ब़र्बादी का #जश्न मानते हैं 

#हिंज्र - ए - #ग़म की रात हैं 
चलो #मयख़ाना #सजाते हैं

- MERI SHAYARI 
                         MERI DASTAAN

miss pari

#चांद मेरा #शायरी

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तू चांद मेरा  🌝 मैं तेरी रौशनी🔆 

चल आसमां हम सजाते हैं । 

तू  नींद मेरा  😩 मैं तेरी निशा 

चल सपने हम सजाते हैं। #चांद मेरा

fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

हिंदी दिवस 🎂
🍃🍂🍃🍂🍃🍂
गुड मॉर्निंग कहकर आरम्भ करते हैं
हिंदी का योगदान क्या है, ये कहते हैं

इंग्लिश न बोलने पर मज़ाक उड़ाते हैं
हिंदी दिवस आते ही, नए शब्द सजाते हैं

नई भाषा सीखना हमारी पहचान है
पर अपनी भाषा पे हंसना भी तो अपमान है

सिर्फ हिंदी को हिन्दी दिवस में न मनाया जाए
हर घर में बच्चों को, हिंदी का महत्व बताया जाए

इतनी ही आशा ह्रदय में सजाते है
चलो मिलकर हिंदी दिवस मनाते हैं।

*** हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं *** #nojoto #nilofarlove #love #life #writer #hindi #poem #hindidiwas

Pradeep Kumar

वही बातें वही किस्से फिर से दोहराते हैं 
चलो आज यारों के संग एक आखिरी महफिल सजाते हैं
एक अर्सा बीत गया मिलकर नहीं देखा 
फिर आज किसी बहाने से सब मिल आते हैं
चलो आज यारों के संग एक आखिरी महफिल सजाते हैं
धूल जम चुकी है यादों पर 
जाले लग चुकें हैं मन की दीवारों पर 
आज इनको मिलकर हटाते हैं 
चलो आज यारों के संग एक आखिरी महफिल सजाते हैं
जितने भी गिले शिकवे दिल में हैं 
आपस में बैठकर एक-दूजे को बताते हैं 
चलो आज यारों के संग एक आखिरी महफिल सजाते हैं
कोई रोया न होगा कोई हंसा न होगा
किसी का गम अपना बनाकर नम आँखों से उसे आज हँसाते हैं 
चलो आज यारों के संग एक आखिरी महफिल सजाते हैं
बीते कल में कौन रूठा कौन टूटा सब भुलाते हैं 
एक उम्र अभी बाकी है चलो फिर से एक नया कल बनाते हैं 
चलो आज यारों के संग एक आखिरी महफिल सजाते हैं
यादों में ही होकर रह गये हैं जो पल 
उन्हें आज फिर से जी आते हैं 
चलो आज यारों के संग एक आखिरी महफिल सजाते हैं
आँखें बंद कर बैठ कर तस्वीरें लिये एक कोने में
खुद के दामन में न आँसू बहाते हैं 
चलो आज यारों के संग एक आखिरी महफिल सजाते हैं
सब मिलें बात हो कुछ पूरी हो कुछ फिर मिलने की गुंजाइश में अधूरी छोड़ आते हैं 
चलो आज यारों के संग एक आखिरी महफिल सजाते हैं। #जीवनअनुभव

❤ रोहित सिंह राठौर❤

#OpenPoetry चल दिल फलक मे आशियाना सजाते है। 
अपने शहर से दूर कही घर बनाते है। 
बेवजह लोग सताते है जख्मो मे नमक लगाते है। 
ना रहे कोई वास्ता पुरानी जिंदगी से, 
दूर कही पे जाकर अपनी महफिल सजाते है। 
rathaur..................

Sudeep Keshri✍️✍️

जिन #ऊंचाइयों से देखने में भी लोग घबराते हैं, उन ऊंचाइयों को ये #खेल बना लेते हैं, ऊँची इमारतें तो सभी का #ध्यान खींचती है, उन इमारतों को ये #सजाते है, यह जो चार #बिंदी दिख रहे हैं, जरा गौर से देखिए #हुजूर चार बिंदी नहीं #कलाकार है, जो इन इमारतों को #सवारते हैं, #कविता #ठहर #खूबसूरत #बाजी #बरसात #पैसे #स्वाभिमान #गुजर

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हमसे दूर जाओगे कैसे, जिन ऊंचाइयों से देखने में भी लोग घबराते हैं,
उन ऊंचाइयों को ये खेल बना लेते हैं,
ऊँची इमारतें तो...
सभी का ध्यान खींचती है,
उन इमारतों को ये सजाते है,
यह जो चार बिंदी दिख रहे हैं,
जरा गौर से देखिए हुजूर
चार बिंदी नहीं कलाकार है,
जो इन इमारतों को सवारते हैं,
ये वे लोग हैं...
जो एक एक पैसे के लिए...
हर पल जान की बाजी लगाते हैं,
तब जाकर कहीं चंद पैसे जोड़ पाते हैं,
स्वाभिमान है इनका जो खुद कमा कर खाते हैं,
कड़ी धूप हो या हो बरसात काम पर जरूर जाते हैं,
मैं तो यूं ही गुजर रहा था यहाँ से,
देख इनको ठहर गया,
ली खूबसूरत तस्वीर और फिर यह कविता बन गया। जिन #ऊंचाइयों से देखने में भी लोग घबराते हैं,
उन ऊंचाइयों को ये #खेल बना लेते हैं,
ऊँची इमारतें तो सभी का #ध्यान खींचती है,
उन इमारतों को ये #सजाते है,
यह जो चार #बिंदी दिख रहे हैं,
जरा गौर से देखिए #हुजूर
चार बिंदी नहीं #कलाकार है,
जो इन इमारतों को #सवारते हैं,

Sudeep Keshri✍️✍️

ये #हुनर है #साहेब... जो किसी का #मोहताज नहीं, लोगों की #तमन्ना होती है की... उनके सर पर #ताज हो, लेकिन इनमें वो बात है, जो उन #ताजपोशो को... अपने #पैरों के नीचे #सजाते हैं। #विचार

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देखा एक ख़्वाब तो,               

               इनके लिए कुछ भी कहना छोटा होगा...
               बस इतना...





ये हुनर है साहेब...
जो किसी का मोहताज नहीं,
लोगों की तमन्ना होती है की...
उनके सर पर ताज हो,
लेकिन इनमें वो बात है,
जो उन ताजपोशो को...
अपने पैरों के नीचे सजाते हैं। ये #हुनर है #साहेब...
जो किसी का #मोहताज नहीं,
लोगों की #तमन्ना होती है की...
उनके सर पर #ताज हो,
लेकिन इनमें वो बात है,
जो उन #ताजपोशो को...
अपने #पैरों के नीचे #सजाते हैं।
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