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R...Khañ
पिछली रात! एक ख़्वाब आया मुझे पर गया है जिस्म ठंडा और चंद लोगों ने दफनायाँ है मुझे भीगा में पसीने से लथपथ उठा जो 'मैं' नींद से हो गई ख़बर मुझे मेरे ख़्वाब की खुमार! जो हैं चढ़ा मुझे इस जहान की है झूठी, फ़रेबी इनकी आदत बड़े ही बेकार की ©R...Khan #पिछली#रात🌃 #LateNight gudiya Ramjan Ali Saurav Das khubsurat Ritesh Sharma
Rao digpal yadav
हो सके तो,अब कोई सौदा ना कर,मै पिछली मुहब्बत मै सब हार के बैठा हू, लोग पूछते है, कौन है वो, जो तेरी ये हालत कर दि, मै मुस्कुरा देता हू, उसका नाम हर किसी के लब्ज पे अच्छा नही लगता #पिछली मुहब्बत BELINDA INDA 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) Patel Gourav Kumar Ritika suryavanshi pooja negi#
રાધિકા ધામેચા રાધા
Hiiii... Friends... आज युवा दिलों पे राज करने वाले बेहतरीन शायर Zubair Ali Tabish का जन्मदिन है... उनकी एक बात जो मुझे बहुत अच्छी लगती है और उनको सलाम करने पर मजबूर करती है कि वो इतने बड़े होने पर भी सदैव ज़मी पे रहते है... अपने fans का सदैव मान रखते है...🥰🥰🥰 खुदा आपको लंबी उम्र दे, तंदुरूस्त रखे, यश - कीर्ति दे, सुख - समृद्धि दे, सदैव खुश रखे... ऐसे ही साहित्य की सेवा करते रहिएगा, उमदा ग़ज़ल लिखते रहो... ऐसी दिल से शुभकामनाएँ... 💐🥰🥰🥰
Manish Nagar
अभी पिछली बारिश ही मुलाकात की थी हमनें, फिर बारिश में भीगनें की बात की थी हमनें, वो पिछली बारिश तो कब की गुज़री, इस बारिश कि तो सिर्फ बात की थी हमनें, बातें बस उसी की सबके साथ की थी हमनें, उसकी याद में आंखे नम हर रात की थी हमनें, गये तो उसें बारिशें कितनीं ही गुज़री, इस बारिश कि तो सिर्फ बात की थी हमनें, इस बारिश की तो सिर्फ बात की थी हमनें,
Ashish 9917374450
कुम्हारन बैठी रोड़ किनारे,लेकर दीये दो-चार। जाने क्या होगा अबकी,करती मन में विचार।। . याद करके आँख भर आई,पिछली दीवाली त्योहार। बिक न पाया आधा समान,चढ गया सर पर उधार।। . सोंच रही है अबकी बार,दूँगी सारे कर्ज उतार। सजा रही है, सारे दीये करीने से बार बार।। . पास से गुजरते लोगों को देखे कातर निहार। बीत जाए न अबकी दीवाली जैसा पिछली बार।। . नम्र निवेदन मित्रों जनों से,करता मैँ मनुहार। मिट्टी के ही दीये जलाएँ,दीवाली पर इस बार।। आस कुम्हारन बैठी रोड़ किनारे,लेकर दीये दो-चार। जाने क्या होगा अबकी,करती मन में विचार।। . याद करके आँख भर आई,पिछली दीवाली त्योहार। बिक न पाया आधा समान,चढ गया सर पर उधार।। . सोंच रही है अबकी बार,दूँगी सारे कर्ज उतार। सजा रही है, सारे दीये करीने से बार बार।।
Neha Mittal
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