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OMG INDIA WORLD
#हजारों ने दिल हारे हैं तेरी #सूरत देखकर.!! कौन #कहता है की #तस्वीरें जुआ नहीं #खेलती ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD #हजारों ने दिल हारे हैं तेरी #सूरत देखकर.!! कौन #कहता है की #तस्वीरें जुआ नहीं #खेलती💐💐💐💐
shayar_dillwala
अपनी जुल्फों से खेलती हुई एक लड़की, अपने नैनो से सब पर वार कर रही है... यूं तो जान लेने का काम करते है लोग हथियार लेे कर, उफ्फ ये लड़की वोही काम बिना हथियार कर रही है... अपनी #जुल्फों से #खेलती हुई एक लड़की, अपने #नैनो से सब पर #वार कर रही है... यूं तो #जान लेने का काम करते है लोग #हथियार लेे कर, उफ्फ ये #लड़की वोही #काम #बिना #हथियार कर रही है...
देव बाबू ,की कलम से /-/emat ,s
#जब भी #झुकी #पलकें मेरी हमने उसका ही #दिदार किया________ #जिन्दगी #दांव पर रख कर हमने उससे #प्यार किया* , #वो बार बार #खेलती रही #मेरे #दिल से,,,,, #और मेरे #जज्बातों से, #फिर भी हमने ना #उफ़ किया ना ही #इन्कार किया*____ शायर कि कलम से........... हेमन्तशर्मा"" |{avya. बेवफा________🖊️
Atif khan
पैसे होते तुझे खिलौने लेकर देता वरना क्या मैं,मेरे बच्चे तुझे रोने देता #खेलती है #ज़िन्दगी किस किस #मुकाम पे एक तरफ में दूसरी #गरिबी #सरहद संतान पे
Bambhu Kumar (बम्भू)
2. थे यही सावन के दिन हरखू गया था हाट को सो रही बूढ़ी ओसारे में बिछाए खाट को डूबती सूरज की किरनें खेलती थीं रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई जज्बात में क्या पता उसको कि कोई भेड़िया है घात में होनी से बेखबर कृष्णा बेख़बर राहों में थी मोड़ पर घूमी तो देखा अजनबी बाहों में थी चीख़ निकली भी तो होठों में ही घुट कर रह गई छटपटाई पहले फिर ढीली पड़ी फिर ढह गई दिन तो सरजू के कछारों में था कब का ढल गया वासना की आग में कौमार्य उसका जल गया... थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को #डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई #जज्बात में क्या पता उसको कि कोई #भेड़िया है घात में
Chinmayee Mishra✍️✍️
#2YearsOfNojoto मेरी सुबह की लाली, फूलों की कली हसती खेलती गुडिया है तू दादी की लाडली मा की दुलारी मेरी राजकुमारी है तू ।। थोड़ी सी जिद्दी, थोड़ी शरारत करती है ड्रामा क्वीन नटखट तो तू है पर, सबसे प्यारी है ।। कोई कुछ कह दे तो दादा के पास दौड़ जाती घर में सबसे ज्यादा उनसे ही तो प्यार करती Sunday आने पर पापा से जिद्द करती है कहीं घूमने लेके चलो आज तो मेरा छुट्टी है ।। मामा की लाडली, मासी की परी हमारा खुशियों का भंडार है नाना- नानी की जान है तू मेरी हसती खेलती गुडिया है ।। भाई के साथ लड़ना, उसके साथ खेलना उसमे तेरी खुशियां है मेरी प्यारी सी गुड़िया खाने की बहत सौकिन है ।। #love_for_bhatiji
nag
जिंदगी मेरे साथ खेलती तू बहुत, फिर भी में बेख़ौफ़ फिरू मै, खेलती रहे तू मैं, तब भी में तेरे साथ हु मैं। #जिंदगी
S ANSHUL'यायावर'
अब दालानों में धूप नही खेलती, अब छतों पे चिड़िया नही बैठती। बन्द है कुछ यूं खिड़किया, की दीवारों को सांस नही मिलती। किवाड़ों पे जड़ गए है ताले, और चिलमनो में धूल जम गई है। कुछ यूं वक़्त ने करिश्मा किया, की हवेली की सूरत नही खिलती। अब पुराने चाहर दीवारी पे, बचपन की अटखेलिया नही खेलती आईना खामोश है, आंगन में चौपालें नही सजती। अब पुराने घर को , कोई याद नही करता। किसीको अपने काम से, अब फुरसत ही नही मिलती। घर
Kumar Praveen
छोटी सी गुड़िया। -(Praveen kumar) अभी कुछ दिनों की बात है खिलोने की दुकान पर देखा था। माँ से जिद कर रही थी, गुड़िया लेनी है। माँ ने मना किया, तो रूठ गयी। मेने पूछ लिया? इस प्यारी सी गुड़िया को किस गुड़िया की जरूरत है। मुस्कुरा दी! और सरमाते हुए माँ के पल्लू में छिप गयी। इतने में माँ बोली- "इसका नाम ही गुड़िया है" पापा की प्यारी है, और माँ की राजदुलारी है। हम रोज मिलते थे। पापा के साथ रोज आती थी। सामने बाले पार्क में खूब खेलती थी। पापा की तरफ देखकर मुस्कुराती थी। आठों पर चाँद का टुकुडा बनता था। और गालों पर गड्ढे से बड़ी मासूम लगती थी। मानो दुनियां की सारी खुशी मिल गयी हो। शायद अपने पापा से बहुत प्यार करती थी। लगभग 7 साल की थी। भैया बोलती थी,रक्षाबंधन पर राखी भी बंधी थी। बड़ा प्यार करती थी। शायद कोई भाई नही था, पर इस बात का अफसोस भी नही था। मेरे साथ खूब खेलती थी। कभी कंधे पर बैठने की जिद करती, कभी हवा में उछालने को बोलती। मेरे चारों ओर गोल-गोल घूमती, फिर मुझे भागकर खुद पकड़ती। और थक जाने पर, गोद मे आकर बैठ जाती। फिर सारी कहानी सुनाती। ऐसा लगता था। मानो कोई छोटी चिड़िया बोल रही हो। भैया अब कल मिलेंगें, बोलकर हस्ते- खेलते घर चली जाती। 2-3 से दिखी नही, खिलोने बाले से पूछा? तो बोला! साहब एक अनहोनी हो गयी। दिल बैठ गया। पूछा क्या हुआ मेरी गुड़िया को? सब ठीक तो है! बोला कुछ ठीक नही है। आपकी गुड़िया को न जाने किसकी नजर लग गयी। इस समाज के कुछ हैबान उसे कहा गए। आपकी गुड़िया को अपनी हवस से मार गए। इतना सुनकर में जीते जी मर गया। कैसा भाई हूँ, अपनी बहन को भी नई बचा सका। पूछा क्या हुआ मेरी गुड़िया को? सब ठीक तो है! बोला कुछ ठीक नही है। आपकी गुड़िया को न जाने किसकी नजर लग गयी। इस समाज के कुछ हैबान उसे खा गए। आपकी गुड़िया को अपनी हवस से मार गए। इतना सुनकर में जीते जी मर गया। कैसा भाई हूँ, अपनी बहन को भी नई बचा सका। Justice for#twinkle #justicefortwinkle
रजनीश "स्वच्छंद"
मुंह बाए रह गया।। ज़िन्दगी रही खेलती मुझसे, मैं मुंह बाए रह गया। उम्मीदों का उमड़ता समंदर, मन मे दबाए रह गया। सबल रहा मैं, चपल रहा, समय मुझसे भी प्रबल रहा। सबकोइ इससे हारा था, सबमे इसका ही दखल रहा। मनपक्षी गगन में उड़ता रहा, सच से कब ये जुड़ता रहा। अम्बर छूने की चाह लिए, ये उगता रहा कभी डूबता रहा। इंसान नहीं नभचर था हुआ, कठिन जमीं का डगर था हुआ। विचलित मन कब राह दिखाता, मन अंतर्द्वंदों का समर सा हुआ। रही आत्मा तो सोती, बस शरीर जगाए रह गया। ज़िन्दगी रही खेलती मुझसे, मैं मुंह बाए रह गया। बिन मंज़िल की राह रही, दर्द नहीं, क्यूँ मन मे आह रही। किसने दुखती नशों को दबाया है, किस गर्मी की मुझमे धाह रही। जीवन अक्षर का खेल नहीं, है कोई छंदों का मेल नहीं। जीवन की अदालत बड़ी अनूठी, है किसी जुर्म का बेल नहीं। देगा मेरी गवाही कोई नहीं, मेरे रस्ते का राही कोई नहीं। जीवनपथ पे अकेला बढ़ना है, अब बचा है साथी कोई नहीं। बिन वंदन अभिनंदन के ध्वज फहराए रह गया। ज़िन्दगी रही खेलती मुझसे, मैं मुंह बाए रह गया। ©रजनीश "स्वछंद" मुंह बाए रह गया।। ज़िन्दगी रही खेलती मुझसे, मैं मुंह बाए रह गया। उम्मीदों का उमड़ता समंदर, मन मे दबाए रह गया। सबल रहा मैं, चपल रहा, समय मुझसे भी प्रबल रहा। सबकोइ इससे हारा था,