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_Lafz_e_Sarita

क्यों एक बार भी तुमने..
मुड़कर देखा नहीं मुझे ,
हम तो वहीं खड़े थे इंतज़ार में तेरे..
जहाँ छोड़ गए थे तुम ,
क्यों एक बार भी तुमने..
पूछा नहीं हमसे कि तमन्ना मेरी क्या है ,
हमने तो साथ ज़िंदगी..
बिताने की कसम खाई थी ,
क्यों बदल ली तुमने चाहतें अपनी ,
हम तो आज भी तेरी चाहत में ..
ख़ुद को तबाह किए बैठें हैं ।S.S.
स्वरचित

©Sarita Saini #Nojoto #lovequotes #nojotohindi #मुड़कर 
#jail

shayar_dillwala

ऐसा #हाल था मेरा, के मुड़ #मुड़कर #जमाना मुझको देख रहा था... मेरी #निगाहें तो उसकी ओर थी, मैं कहां खुदको #देख रहा था...

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ऐसा हाल था मेरा,
के मुड़ मुड़कर जमाना मुझको देख रहा था...
मेरी निगाहें तो उसकी ओर थी,
मैं कहां खुदको देख रहा था...

©shayar_dillwala ऐसा #हाल था मेरा,
के मुड़ #मुड़कर #जमाना मुझको देख रहा था...
मेरी #निगाहें तो उसकी ओर थी,
मैं कहां खुदको #देख रहा था...

shayar_dillwala

दीवार से सट कर मेरी जान खड़ी है। किसी मन #लुभावन चीज पर उसकी नज़रें आन पड़ी हैं। वही #निगाहें #मुड़कर मुझे देख लें एक बार... इस खातिर लड़ लूं सबसे, चाहे वो #लड़ाई कितनी भी बड़ी है।

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दीवार से सट कर मेरी जान खड़ी है।
किसी मन लुभावन चीज पर
उसकी नज़रें आन पड़ी हैं।
वही निगाहें मुड़कर मुझे देख लें एक बार...
इस खातिर लड़ लूं सबसे,
चाहे वो लड़ाई कितनी भी बड़ी है। दीवार से सट कर मेरी जान खड़ी है।
किसी मन #लुभावन चीज पर
उसकी नज़रें आन पड़ी हैं।
वही #निगाहें #मुड़कर मुझे देख लें एक बार...
इस खातिर लड़ लूं सबसे,
चाहे वो #लड़ाई कितनी भी बड़ी है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 12 - स्नेह जलता है 'अच्छा तुम आ गये?' माता के इन शब्दों को आप चाहें तो आशीर्वाद कह सकते हैं; किंतु कोई उत्साह नहीं था इनके उच्चारण में। उसने अपनी पीठ की छोटी गठरी एक ओर रखकर माता के चरण छुये और तब थका हुआ एक ओर भूमि पर ही बैठ गया। 'माँ मुझे देखते ही दौड़ पड़ेगी। दोनों हाथों से पकड़कर हृदय से चिपका लेगी। वह रोयेगी और इतने दिनों तक न आने के लिये उलाहने देगी।' वर्षों से पता नहीं क्या-क्या आशाएँ उमंगें, कल्पनाएँ मन में पाले हुए था वह। 'मैं मा

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
12 - स्नेह जलता है

'अच्छा तुम आ गये?' माता के इन शब्दों को आप चाहें तो आशीर्वाद कह सकते हैं; किंतु कोई उत्साह नहीं था इनके उच्चारण में। उसने अपनी पीठ की छोटी गठरी एक ओर रखकर माता के चरण छुये और तब थका हुआ एक ओर भूमि पर ही बैठ गया।

'माँ मुझे देखते ही दौड़ पड़ेगी। दोनों हाथों से पकड़कर हृदय से चिपका लेगी। वह रोयेगी और इतने दिनों तक न आने के लिये उलाहने देगी।' वर्षों से पता नहीं क्या-क्या आशाएँ उमंगें, कल्पनाएँ मन में पाले हुए था वह। 'मैं मा

Kanika swami

ये अतीत का जाल कभी पीछा नहीं छोड़ता हैं ।
आसानी से इसकी जकड़न से छुड़ा भी नहीं जाता हैं ।
पर सोचती हूं ....क्या!! जरुरी हैं अपने इस अतीत को भुलाना
जो देता हैं हमें नसीहतों का खजाना ।
हम एक उगता हुआ फुल ,वो अतीत काँटों सा माना जाता हैं 
जो हमारी खुबसूरत जिंदगी को अक्सर टूटने से बचाता हैं 
इस अतीत में ना जाने कितने तजुर्बे छुपे हुए हैं 
पर्दों के पीछे के ना जाने कितने राज बेपर्दा हुये हैं 
इन तजुर्बों से जिंदगी जीना सीख जाते हैं 
ना जाने कितनी गल्तियां करने से बच जाते हैं 
फिर भी ना जाने क्योँ 
लोग पीछे मुड़कर देखने से डरते हैं 
उस अतीत से अक्सर दूर भागते हैं 
माना ये मैनें भी कि हर अतीत सुखदयी नहीं होता 
तजुर्बा उसमें हर बार नहीं होता 
लेकिन हमारी जिंदगी में 
वो अपनी भी इक ईंट जचाए रखता हैं 
बुनियाद उस ईंट की बहुत पक्की होती हैं 
जो जिंदगी के मकान को ढहने से बचा जाती हैं 
इसिलिये मुड़ो पीछे मुड़कर जरुर देखो
जिंदगी की आपाधापी में बीत गये जो दिन 
उनकी बुनियादो से जीवन को हमेशा नये रूप में रखो ।।
((अतीत की जंजीरों को जकड़न ना समझो इसे जीवन की नैया पार करने वाली वो ठोस रस्सी समझो जो हमेशा आपको कुछ ना कुछ सिखाती रहती हैं ।))
😊😊😊 #nojoto#nojotofilm#pottery#past

Pramod mahar

##... आखिरी मुलाकात...##

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न उनसे कोई रूसवाइ हुई थी.
न हमसे कोई बेवफाई हुई थी.
बस हालात से मजबूर थे दोनों.
इन्हीं बातों से कहा-सूनी हुई थी.
......
उस आखिरी मुलाकात में.
बस ये बात हुई थी.
मुड़कर न देखना तुम और पीछे.
न थाम लेना मेरे हाथों को. 
.......
हमने भी कह दिया उनसे.
हम न मुड़कर देखेंगे दुबारा.
न थामेंगे ये हाथ तुम्हारा.
लो हम ये भी आखिरी खुवाहिस.
जरूर पूरी करेंगे तुम्हारा.
 #NojotoQuote ##... आखिरी मुलाकात...##

Beparvah96

एक कहानी है जो मनमौजी चल रही है, दिल पर पाबंदी उन्होंने भी लगा रखी है, कुछ हमनें भी लगा रखी है, छुपके से देखते हैं वो, छुपकर हम भी देख लेते हैं, नजरें चुराते है वो , नजरें हम भी मिलाते नहीं ,सामने जब भी आते है दोनों ,अनदेखा दोनों ही कर जाते हैं, दुर चले जाने के बाद मुड़कर वो भी देख लेते हैं, मुड़कर हम भी देख लेते हैं, जीभरकर देखनें की चाहत उन्हें भी है ,चाहत हमें भी है, पर ना देख पाने का दर्द दोनों को भी है, दिल की बात चेहरे पर ना दिखाने के बहाने दोनों बखूबी कर लेते हैं, कुछ बातें दिल में वो भी #Poetry #story #Thoughts #Hindi #feelings #writer #Shayari #poems #nojotoenglish #hindinojoto

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एक कहानी... 
Read in caption एक कहानी है जो मनमौजी चल रही है, दिल पर पाबंदी उन्होंने भी लगा रखी है, कुछ हमनें भी लगा रखी है, छुपके से देखते हैं वो, छुपकर हम भी देख लेते हैं, नजरें चुराते है वो , नजरें हम भी मिलाते नहीं ,सामने जब भी आते है दोनों ,अनदेखा दोनों ही कर जाते हैं, दुर चले जाने के बाद मुड़कर वो भी देख लेते हैं, मुड़कर हम भी देख लेते हैं, जीभरकर देखनें की चाहत उन्हें भी है ,चाहत हमें भी है, पर ना देख पाने का दर्द दोनों को भी है, दिल की बात चेहरे पर ना दिखाने के बहाने दोनों बखूबी कर लेते हैं, कुछ बातें दिल में वो भी

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 25 - रूठने की बात कन्हाई कभी-कभी हठ करने लगता है। कभी ऐसी हठ करता है कि किसी की सुनता ही नहीं। कोई इसके सुख की, इसके मन की बात हो तो इसकी हठ मान भी ली जाए, किन्तु यह भी कोई बात है कि यह आज हठ पर उतर आया है कि पुलिन पर खेलेगा। ग्रीष्म ऋतु है और यहाँ पुलिन पर छाया है नहीं। क्या हुआ कि मेघ आकाश में छत्र बने आतप को रोकते हैं, किन्तु क्या मेघ रहने से ही धूप की उष्णता पूरी रूक जाती है? क्या इसी से पुलिन रेणुका उष्ण नहीं होगी? गोचारण के लिए वन में आकर शीतल पुलिन पर क्रीडा हो चुकी। स्न

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|| श्री हरि: ||
25 - रूठने की बात

कन्हाई कभी-कभी हठ करने लगता है। कभी ऐसी हठ करता है कि किसी की सुनता ही नहीं। कोई इसके सुख की, इसके मन की बात हो तो इसकी हठ मान भी ली जाए, किन्तु यह भी कोई बात है कि यह आज हठ पर उतर आया है कि पुलिन पर खेलेगा। ग्रीष्म ऋतु है और यहाँ पुलिन पर छाया है नहीं। क्या हुआ कि मेघ आकाश में छत्र बने आतप को रोकते हैं, किन्तु क्या मेघ रहने से ही धूप की उष्णता पूरी रूक जाती है? क्या इसी से पुलिन रेणुका उष्ण नहीं होगी?

गोचारण के लिए वन में आकर शीतल पुलिन पर क्रीडा हो चुकी। स्न

Anil Siwach

24 - दौड़ || श्री हरि: || 'दादा!' श्यामसुंदर दौड़ता - दौड़ता खड़ा हो गया है। बड़े भाई को पुकार रहा है। #Books

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24 - दौड़ 
 || श्री हरि: ||




'दादा!' श्यामसुंदर
दौड़ता - दौड़ता खड़ा हो गया है। बड़े भाई को पुकार रहा है।

Anil Siwach

14 - हंसी || श्री हरि: || #Books

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14 - हंसी 
 || श्री हरि: ||
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