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R...Khañ
रखकर सर मेरे कंधों पर जब वह सोती हैं! ना आए नींद मुझे? बस यूं ही रहे हरदम वह पास मेरे उस 'पल' एक यही दुआओं में मेरी रब़ से बस फ़रियाद होती हैं! ©R...Khan #कंधों#पर❤️
शिवानन्द
पिता अपने परिवार का बोझ... कंधों से ज़्यादा माथे पर बनी रेखाओं से ढोता है! ~~शिवानन्द #पिता #परिवार #कंधों #जिंदगी #thoughts #writer #yqbaba #yqdidi
Vivek Kumar
#जाने #कौन_सी_शोहरत 💰 पर #आदमी 👦 को 'बड़ा' #नाज़ है, 😎 अपने #आखरी_सफर ⚰ के लिए भी जो #औरों के #कंधों 👬 का #मोहताज है..! #No_Smoking_Day
ROCK JAHANGIR
#जाने #कौन_सी_शोहरत 💰 पर #आदमी 👦 को 'बड़ा' #नाज़ है, 😎 अपने #आखरी_सफर ⚰ के लिए भी जो #औरों के #कंधों 👬 का #मोहताज है..! With my best friends Navrathri time
Mohammad Aamir Kureshi
#जाने #कौन_सी_शोहरत 💰 पर #आदमी 👦 को 'बड़ा' #नाज़ है, 😎 अपने #आखरी_सफर ⚰ के लिए भी जो #औरों के #कंधों 👬 का #मोहताज है..
Sudeep Keshri✍️✍️
Dhoni 2011 से 2019 तक बहुत कुछ बदलते देखा है। धोनी के बैटिंग ऑर्डर से लेकर उसके तेवर को बदलते देखा है। उस मैच में भारत के आत्मविश्वास को देखा था। इस मैच में भारत पर अत्यधिक दबाव को देखा है। उस मैच में दबाव झेलते देखा था। इस मैच में दबाव में बिखरते देखा है। उस मैच में गंभीर युवराज को बेखौफ खेलते देखा था। इस मैच में अकेले जडेजा को लड़ते देखा है। उस मैच में धोनी को छक्का लगाकर जीत दिलाते देखा था। इस मैच में धोनी को रन आउट होते देखा है। उस मैच में सभी को जीत की खुशी में रोते देखा था। इस मैच में गम के आंसू बहाते देखा है। उस मैच में सचिन को कंधों पर उठाए देखा था। इस मैच में सभी के झुके कंधों को देखा है। उस मैच में भारत को जश्न में झूमते देखा था। इस मैच में भारत को हार स्वीकारते देखा है। 2011 से 2019 तक बहुत कुछ बदलते देखा है। #धोनी के बैटिंग ऑर्डर से लेकर उसके तेवर को बदलते देखा है। उस मैच में भारत के #आत्मविश्वास को देखा था। इस मैच में भारत पर अत्यधिक दबाव को देखा है। उस मैच में दबाव झेलते देखा था। इस मैच में दबाव में बिखरते देखा है। उस मैच में #गंभीर #युवराज को बेखौफ खेलते देखा था। इस मैच में अकेले #जडेजा को लड़ते देखा है।
Baljeet Gill
जिंदगी तो अपने कंधों पर जी जाती है दूसरों के कंधों पर तो जनाज़े उठते है
Mayank Kumar
बचपन में सोचा करता था, जल्द से जल्द बड़ा हो जाऊं, अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊं, बड़ा होकर सारे ख़र्चों को अपने कंधों पर उठाऊं, लो बड़ा हो गया, अपने पैरों पर भी खड़ा हो गया, सारे ख़र्चों को अपने कंधों पर भी उठा रहा हूँ, पर कोई आकर मुझे ये बताए, ये दिल क्यों भीतर ही भीतर टूट रहा है, मुझे लगता है कुछ तो ऐसा है जो जिंदगी के पलों में मेरे हाथ से छूट रहा है। #NojotoQuote क्या छूट रहा?
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