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Ganesh Din Pal
इस बंजर दिल पर गुमनामी की वसीयत मत लिख यहां भी कभी दिल के दरख्तों का बगीचा था। ©Ganesh Din Pal #दरख्तों के दिल
Mayaank Modi
दरख्तों से झांकती है, अब धूप मेरा घर , मोहब्बत, अंधेरे की खत्म ही नहीं होती ।। #yqbaba #yqdidi #yqhindi #दरख्तों #धूप #मोहब्बत #खत्म
शायरशर्मा
आज फिर दिल की दरख़्तों से कुछ याद आया है आज जुबान पे फिर तेरा नाम आया है। #yqbaba #yqdidi #yourquote #yopowrimo #दरख्तों #मेरीक़लमसे
KRISHNARTH
ऊंचे दरख़्तों से झांकते है अक्सर ख़्वाब मेरे अपने टूटे से बिखरे बिखरे ©KRISHNARTH #दरख्तों #झांकते
kumar ramesh rahi
दिल में एक अजब तूफान सा बह रहा ये कच्चा मकान है जो बारिशों में ढह रहा एक उम्र हो गई सामने दरख़्तों को सूखे जलाकर उसे ही अब कि सर्दियों में रह रहा टहनियां अपने जुल्म की कहानी कह रही दर्द को मानो निचोड़ कर ये जख़्म सह रहा सफ़र मुश्किल मग़र नामुमकिन नहीं 'राही' यूं आधा सफ़र गुजरा तो तजुर्बों में कह रहा ©kumar ramesh rahi #दिल #तूफान #मकान #दरख्तों #जुल्म #कहानी #जख़्म #सफ़र #kumarrameshrahi #lost
Shivam sharma
अपने-पराये सूख गए दरख्तों के हरे पत्ते, स्नेहिल दरिया भी सूख रहा है होकर गुजरे जिस राह से अब वो पीछे छूट रहा है कभी छाव थे उन्हीं राहों पे अब अपने ही तरु को काट रहे हैं कभी बरखा, कभी धूप, कभी ठंडी हवाओ के झोंके नहीं हसरत है कुछ भी पाने की, खुस हू अपना सब कुछ खोके सूख गए दरख्तों के हरे पत्ते, स्नेहिल दरिया भी सूख रहा है होकर गुजरे जिस राह से अब वो पीछे छूट रहा है सम्भाल के रखा था पत्थरबाजों के शहर में अपने ख्वाब को हुए ना जब अपने मेरे अब ये ख्वाब भी टूट रहा हैं लिखे और क्या शब्दों का संग अब मेरी कलम से भी छूट रहा हैं मुझे भी अब तलाश रहती हैं खुद की जाने अब वो कहाँ हैं मुझे तो पता ही नहीं था कि मुझे कोई अपना लूट रहा हैं सूख गए दरख्तों के हरे पत्ते, स्नेहिल दरिया भी सूख रहा है होकर गुजरे जिन राहों से #mypoems #myideas #myqoutes #mystories
Rajesh Raana
दरख्तों का क्या है , धुप में जलते है , आप जैसे फूल तो दिलो में पलते है। - राणा © #दरख्तों का क्या है , #धुप में #जलते है , आप जैसे #फूल तो #दिलो में #पलते है। #Nojoto #Hindinojoto #Nojotohindi
Deepak usha mukund
जब भी कोई आहट होती हैं मेरे दरख्तों की साखों पर एक चिड़िया याद आती है जो कभी मेरे घर की थी जब भी कोई हरक़त होती हैं मेरी इन किवाड़ों पर एक गुड़िया बाबा बुलाती हैं जो कभी मेरे घर की थी।। था पाला नाज़ों से उसको बचाया हर,कुरीति बुराई से पर उसको ना बचा पाया मैंने इस जमाने की प्रीत पराई से बचपन मे बताया जो काम गलत बीती किशोर चतुराई में पर उसको न मैं बता सका घाटे है बड़ी भलाई में थी बातें उसकी बेबाक़ सभी लड़ जाती गैरों के भी हक़ के लिए जो सीखे उसने संस्कार सभी जहाँ गयी उधर भी छाप दिए हुई गुड़िया बड़ी समय ससुराल हुआ हुई शादी दांम्पत्य खुशहाल हुआ उसे गये वहाँ अभी साल हुआ कान फूंका किसी ने बवाल हुआ ससुराल वालों की मांगे अधूरी थी कैसे भी करके मैंने पूरी की लालच उनकी और बढ़ने लगी थी दहेज़ की आग में गुड़िया जलने लगी थी वो आग दहेज़ की अब बढ़ चुकी थी मेरी गुड़िया उसकी सूली चढ़ चुकी थी जो कहते थे देवी, गौरा उसको जला दिये थे दहेज़ में जो कभी फूलों की टोकरी में थी अब सो गई थी कांटो की सेज में याद जो आती हैं उसकी अब किवाड़ों की ओर मैं तकता हुँ कहदे आके बाबा मुझकों उसकी राह मैं देखता हूं अब जब भी कोई आहट होती हैं मेरे दरख्तों की साखों पर एक चिड़िया याद आती है जो कभी मेरे घर की थी जब भी कोई हरक़त होती हैं मेरी इन किवाड़ों पर एक गुड़िया बाबा बुलाती हैं जो कभी मेरे घर की थी।। #NojotoQuote
Rajesh Raana
किरदार उनका आज फिर से ज़िंदा हुआ , रंग देखके उनके गिरगिट भी शर्मिंदा हुआ । सारे दरख्तों से वास्ता तोड़ उड़ चला हूँ , अब मैं फ़क़त आसमानी परिंदा हुआ। - राणा © #किरदार उनका आज फिर से #ज़िंदा हुआ , #रंग देखके उनके #गिरगिट भी #शर्मिंदा हुआ । सारे #दरख्तों से वास्ता तोड़ #उड़ चला हूँ , अब मैं फ़क़त #आसमानी #परिंदा हुआ। - राणा ©
Devansh Parashar
जिन दरख्तों ने खुद बेआबरु कर दी अपनी शाखाएं । उन दरख्तों से कब बहाराए गुलशन आयी है ।। #devanshparashar