Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best बायें Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best बायें Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about बायें सीने में दर्द, बायें कंधे का दर्द, बायें का english, बायें हाथ का फड़कना, बायें कंधे का फड़कना,

  • 7 Followers
  • 142 Stories
    PopularLatestVideo

Kabir Befikra

#दायें #बायें by ME 😊😊 #Kabir

read more
जिन्हें कभी मेरे शहर से,
आगे का रस्ता पता नहीं था.
वो आज कल बहुत,
सोर्ट कट लगाने लगें हैं.
जिन्हें कभी शौंक,
हुआ करता,
मेरे शहर आने का.
वो आज कल,
दायें बायें होक्कर,
कहीं ओर जाने लगें हैं.
#Kabir #दायें #बायें 
by ME 😊😊
#Kabir

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 1 - धर्मो धारयति प्रजाः आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
1 - धर्मो धारयति प्रजाः

आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है।

पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

Rajeshwar Singh Raju

" निर्वाण" वो ऑफिस पहुंचा तो उसे ग़रूर था ,,, दायें देखा बायें देखा

read more
 " निर्वाण"

वो 
ऑफिस पहुंचा 
तो उसे 
ग़रूर था ,,,
दायें देखा 
बायें देखा

Saurav

थे सैकडो &दुशमन अब तो है ये @आईना भी

#बायें से क्या कम दुशमनी थी जो बन गया अब #दाहिना भी #sayriwale

आदित्य रहब़र

read more
मैं शून्य हूं । 
बहुत दिनों से मच रहा है  एक बात का बवंडर मेरे मन में
की क्यूं कोई नई बात नहीं है मेरे जीवन में
जीवन है तो कुछ नई बात होनी चाहिए 
इतना कुछ खोने के बाद अब बात नई होनी चाहिए 
क्यूं नहीं हो रही है कोई नई बात मेरे जीवन में 
क्या मैं शून्य हूं। 
 पर खुद में शून्य होना भी तो एक बात है 
हां मैं शून्य हूं मगर परम शून्य नहीं जो एक खास तापमान के बाद नीचे आ जाऊं
जिसके दायें लग जाऊं तो उसके महत्व को बढ़ा देता हूं
और जिसके बायें लग जाऊं उसके महत्व को घटा भी सकता हूं
पर क्या मैं लोगों की सोभा बढ़ाने की वस्तु हूं
जिसे लोग अपने हिसाब से बायें और दायें रखते हैं 
यानी की मैं दूसरो के इशारों पे नाचने वाला शून्य हूं
नहीं मैं नाचने वाला शून्य नहीं हूं
अगर लोग स्वार्थ से मेरे साथ जुड़ेंगे तो मैं उनके साथ गुणा बन जाऊंगा 
और यदि निस्वार्थ जुड़ेंगे तो भाग बन उनको अनंत बना दूंगा 
क्योंकि मैं शून्य हूं 
                                                ____अभिनय विकास

आदित्य रहब़र

read more
मैं शून्य हूं । 

बहुत दिनों से मच रहा है  एक बात का बवंडर मेरे मन में
की क्यूं कोई नई बात नहीं है मेरे जीवन में
जीवन है तो कुछ नई बात होनी चाहिए 
इतना कुछ खोने के बाद ,अब बात नई होनी चाहिए 
क्यूं नहीं हो रही है कोई नई बात मेरे जीवन में 
क्या मैं शून्य हूं। 
 पर खुद में शून्य होना भी तो एक बात है 
हां मैं शून्य हूं मगर परम शून्य नहीं जो एक खास तापमान के बाद नीचे आ जाऊं
जिसके दायें लग जाऊं तो उसके महत्व को बढ़ा देता हूं
और जिसके बायें लग जाऊं उसके महत्व को घटा भी सकता हूं
पर क्या मैं लोगों की सोभा बढ़ाने की वस्तु हूं
जिसे लोग अपने हिसाब से बायें और दायें रखते हैं 
यानी की मैं दूसरो के इशारों पे नाचने वाला शून्य हूं
नहीं मैं नाचने वाला शून्य नहीं हूं
अगर लोग स्वार्थ से मेरे साथ जुड़ेंगे तो मैं उनके स्वार्थ का गुणज बन जाऊंगा 
और यदि निस्वार्थ जुड़ेंगे तो भाग बन उनको अनंत बना दूंगा 
क्योंकि मैं शून्य हूं
                                                     ___अभिनय विकास

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 50 - ये असुर अभी कल तेजस्वी रोष में आ गया था। वह दाऊ का हाथ पकडकर मचल पड़ा था - 'तू उठ और लकुट लेकर मेरे साथ चल! मैं सब असुरों को - सब राक्षसों को और उनके मामा कंस को भी मार दूंगा।' नन्हे तेजस्वी को क्या पता कि कंस कौन है। वह राक्षसों का मामा है या स्वयं दाऊ का ही मामा है। कंस बुरा है; क्योंकि वह ब्रज में बार-बार घिनौने असुर भेजता है, इसलिए तेजस्वी उसे मार देना चाहता था। उसे कल दाऊ ने समझा-बहलाकर खेल में लगा लिया। लेकिन तेजस्वी की बात देवप्रस्थ के मन में जम गयी लगती है। अब यह आज

read more
।।श्री हरिः।।
50 - ये असुर

अभी कल तेजस्वी रोष में आ गया था। वह दाऊ का हाथ पकडकर मचल पड़ा था - 'तू उठ और लकुट लेकर मेरे साथ चल! मैं सब असुरों को - सब राक्षसों को और उनके मामा कंस को भी मार दूंगा।'

नन्हे तेजस्वी को क्या पता कि कंस कौन है। वह राक्षसों का मामा है या स्वयं दाऊ का ही मामा है। कंस बुरा है; क्योंकि वह ब्रज में बार-बार घिनौने असुर भेजता है, इसलिए तेजस्वी उसे मार देना चाहता था। उसे कल
दाऊ ने समझा-बहलाकर खेल में लगा लिया। लेकिन तेजस्वी की बात देवप्रस्थ के मन में जम गयी लगती है। अब यह आज

Sachin Ken

कभी कभी इन्शान को जिन्दगी में उन सब परिस्थितियों का सामना करना पड़ जाता है जिनके बारे में उसने कभी सोचा भी ना हो,''ऐसा मैंने सुना था पर पिछले कुछ समय से यही सब महशूस कर रहा हूँ,जिन्दगी बड़े ही नाज़ुक से मोड़ से होकर गुजर रही है,परिस्थितियां असमान है। ज़िन्दगी एक ऐसे तिराहे पर आकर खड़ी है,जहाँ एक रास्ता दाएँ तरह एक बाई तरह तो एक रास्ता सामने से जा रहा है मैं यदि दाएँ वाले रास्ते पर जाता हूँ, तो वहाँ मुझे मानो हाथ पकड़कर लेकर चला जायेगा,वहाँ चलने में ठहरने में मेरी कोई अपनी मर्जी नही होगी,अपनी मर्जी से #Quotes

read more
 कभी कभी इन्शान को जिन्दगी में उन सब परिस्थितियों का सामना करना पड़ जाता है जिनके बारे में उसने कभी सोचा भी ना हो,''ऐसा मैंने सुना था पर पिछले कुछ समय से यही सब महशूस कर रहा हूँ,जिन्दगी बड़े ही नाज़ुक से मोड़ से होकर गुजर रही है,परिस्थितियां असमान है।

ज़िन्दगी एक ऐसे तिराहे पर आकर खड़ी है,जहाँ एक रास्ता दाएँ तरह एक बाई तरह तो एक रास्ता सामने से जा रहा है
मैं यदि दाएँ वाले रास्ते पर जाता हूँ, तो वहाँ मुझे मानो हाथ पकड़कर लेकर चला जायेगा,वहाँ चलने में ठहरने में मेरी कोई अपनी मर्जी नही होगी,अपनी मर्जी से

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 74 - सङ्कल्प 'दादा, ये राक्षस बहुत बुरे होते हैं।' श्यामसुंदर ने अपने विशाल दृग बड़ी विचित्र भंगी से अग्रज की ओर उठाये। 'हम सब असुरों को मार देंगे।' दाऊ के भ्रूमण्डल भी कठोर हुए और वह अपने छोटे भाई के पास बैठ गया। कन्हाई इतना गंभीर बने, उसका यह नित्य प्रसन्न चंचल अनुज इस प्रकार सचिन्त दिखायी दे-दाऊ इसे किसी प्रकार सह नहीं सकता। कल जब गोचारण से गोष्ठ में लोटे, बाबा की पेरों पर एक बिचारी बुढिया रो रही थी। झुकी कमर, कांपते अङ्ग, पके केश, झुर्री पड़ा शरीर-हाथ में लठिया टेककर वह बड #Books

read more
|| श्री हरि: ||
74 - सङ्कल्प

'दादा, ये राक्षस बहुत बुरे होते हैं।' श्यामसुंदर ने अपने विशाल दृग बड़ी विचित्र भंगी से अग्रज की ओर उठाये।

'हम सब असुरों को मार देंगे।' दाऊ के भ्रूमण्डल भी कठोर हुए और वह अपने छोटे भाई के पास बैठ गया। कन्हाई इतना गंभीर बने, उसका यह नित्य प्रसन्न चंचल अनुज इस प्रकार सचिन्त दिखायी दे-दाऊ इसे किसी प्रकार सह नहीं सकता।

कल जब गोचारण से गोष्ठ में लोटे, बाबा की पेरों पर एक बिचारी बुढिया रो रही थी। झुकी कमर, कांपते अङ्ग, पके केश, झुर्री पड़ा शरीर-हाथ में लठिया टेककर वह बड

Anil Siwach

8 - संकोच में || श्री हरि: || #Books

read more
8 - संकोच में 
 || श्री हरि: ||
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile