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Kabir Befikra
जिन्हें कभी मेरे शहर से, आगे का रस्ता पता नहीं था. वो आज कल बहुत, सोर्ट कट लगाने लगें हैं. जिन्हें कभी शौंक, हुआ करता, मेरे शहर आने का. वो आज कल, दायें बायें होक्कर, कहीं ओर जाने लगें हैं. #Kabir #दायें #बायें by ME 😊😊 #Kabir
Anil Siwach
Rajeshwar Singh Raju
" निर्वाण" वो ऑफिस पहुंचा तो उसे ग़रूर था ,,, दायें देखा बायें देखा
Saurav
थे सैकडो &दुशमन अब तो है ये @आईना भी #बायें से क्या कम दुशमनी थी जो बन गया अब #दाहिना भी #sayriwale
आदित्य रहब़र
मैं शून्य हूं । बहुत दिनों से मच रहा है एक बात का बवंडर मेरे मन में की क्यूं कोई नई बात नहीं है मेरे जीवन में जीवन है तो कुछ नई बात होनी चाहिए इतना कुछ खोने के बाद अब बात नई होनी चाहिए क्यूं नहीं हो रही है कोई नई बात मेरे जीवन में क्या मैं शून्य हूं। पर खुद में शून्य होना भी तो एक बात है हां मैं शून्य हूं मगर परम शून्य नहीं जो एक खास तापमान के बाद नीचे आ जाऊं जिसके दायें लग जाऊं तो उसके महत्व को बढ़ा देता हूं और जिसके बायें लग जाऊं उसके महत्व को घटा भी सकता हूं पर क्या मैं लोगों की सोभा बढ़ाने की वस्तु हूं जिसे लोग अपने हिसाब से बायें और दायें रखते हैं यानी की मैं दूसरो के इशारों पे नाचने वाला शून्य हूं नहीं मैं नाचने वाला शून्य नहीं हूं अगर लोग स्वार्थ से मेरे साथ जुड़ेंगे तो मैं उनके साथ गुणा बन जाऊंगा और यदि निस्वार्थ जुड़ेंगे तो भाग बन उनको अनंत बना दूंगा क्योंकि मैं शून्य हूं ____अभिनय विकास
आदित्य रहब़र
मैं शून्य हूं । बहुत दिनों से मच रहा है एक बात का बवंडर मेरे मन में की क्यूं कोई नई बात नहीं है मेरे जीवन में जीवन है तो कुछ नई बात होनी चाहिए इतना कुछ खोने के बाद ,अब बात नई होनी चाहिए क्यूं नहीं हो रही है कोई नई बात मेरे जीवन में क्या मैं शून्य हूं। पर खुद में शून्य होना भी तो एक बात है हां मैं शून्य हूं मगर परम शून्य नहीं जो एक खास तापमान के बाद नीचे आ जाऊं जिसके दायें लग जाऊं तो उसके महत्व को बढ़ा देता हूं और जिसके बायें लग जाऊं उसके महत्व को घटा भी सकता हूं पर क्या मैं लोगों की सोभा बढ़ाने की वस्तु हूं जिसे लोग अपने हिसाब से बायें और दायें रखते हैं यानी की मैं दूसरो के इशारों पे नाचने वाला शून्य हूं नहीं मैं नाचने वाला शून्य नहीं हूं अगर लोग स्वार्थ से मेरे साथ जुड़ेंगे तो मैं उनके स्वार्थ का गुणज बन जाऊंगा और यदि निस्वार्थ जुड़ेंगे तो भाग बन उनको अनंत बना दूंगा क्योंकि मैं शून्य हूं ___अभिनय विकास
Anil Siwach
Sachin Ken
कभी कभी इन्शान को जिन्दगी में उन सब परिस्थितियों का सामना करना पड़ जाता है जिनके बारे में उसने कभी सोचा भी ना हो,''ऐसा मैंने सुना था पर पिछले कुछ समय से यही सब महशूस कर रहा हूँ,जिन्दगी बड़े ही नाज़ुक से मोड़ से होकर गुजर रही है,परिस्थितियां असमान है। ज़िन्दगी एक ऐसे तिराहे पर आकर खड़ी है,जहाँ एक रास्ता दाएँ तरह एक बाई तरह तो एक रास्ता सामने से जा रहा है मैं यदि दाएँ वाले रास्ते पर जाता हूँ, तो वहाँ मुझे मानो हाथ पकड़कर लेकर चला जायेगा,वहाँ चलने में ठहरने में मेरी कोई अपनी मर्जी नही होगी,अपनी मर्जी से
Anil Siwach