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Best फेंक Shayari, Status, Quotes, Stories

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vishwadeepak

#khalipanmein #My_inspirational_voice #फेंक देता हूँ उनकी यादों को एक किनारे, न जाने फिर भी क्यूँ, खालीपन में समेट लाता हूँ उन्हें.... #mycreation #for my followers love you all.... #Love

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humsafarwriter01

#Thrown away #फेंक

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#फेंक आया हूं ख्वाइशों का थैला,
नुक्कड़ पर पड़े उस "डस्टबिन" में... !!

©humsafarwriter01 #thrown away

YOGESH BEGANA

##फेंक जहाँ तक भाला जाए## #HeartfeltMessage

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Rishabh giri

#तुम 👦जो #हाल 😞 #पूछ_लो 👄 #कैसें_हो..
#सारी_दवायें 💉💊🍶ना #फेंक दूँ तो #कहना..💔 #Doctor_of_Pure_Hearts

गौरव गोरखपुरी

इश्क़ की अर्जियां डाल दी ,तुम्हारे दिल में 
मैंने आंखो से लिख - लिख कर के

बसा लो दिल में मुझे अब तुम
मुस्कुराओ मुझे देख - देख कर के

कभी जुल्फें सवारो ,कभी पल्लू सम्हालो
गिराओ बिजलियां एक - एक कर के

कर दो इशारे - कुछ आंखो से , कुछ ओंठो से
तो लगे , मारती हो - फ्लाइंग किस फेंक - फेंक कर के

गिर गई है मेरी कीमत , मोहब्बत के बाजारों में
तुम्हारी एक अदा पर , कई दफा बिक - बिक के

आती है कशिश ऐसी , बताओ कैसे आवाज़ों में
आती हो कहां से , बताओ ये सब सीख - सिख कर के
#poeticPandey #GAURAVpandeyPoet कैसे #nojotohindi

Nisha khan

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अपने हिसाब से जियो...
लोगों की सोच का क्या?
वो तो कंडीशन के हिसाब से बदलती रहती है,
अगर चाय में मक्खी गिरे,तो चाय को फेंक देते हैं...
और अगर..
देसी घी में गिरे तो मक्खी को फेंक देते हैं...

बद्रीनाथ✍️

#Love Kajal Singh Preeti Shah Anusuya Makar Paidi Hemalatha Rajesh Kumar Mahto #mrbnpnojoto प्यार क्या है पैसे से आज, जो चाहू वो ले लू अरे तू कहे तो- मैं आज-कल का प्यार ले लू बिकने लगा है ,

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प्यार क्या है   पैसे से आज,
 जो चाहू वो ले लू
अरे तू कहे तो-
 मैं आज-कल का प्यार ले लू
बिकने लगा है ,
आज सबकुछ इस बाजार में
अरे तू कहे तो-
 पैसे फेंक के 
किसी का दिन -रात ले लू ।

पैसे  से आज
हर  सुकून और आराम ले लू
अरे तू कहे तो-
 मैं किसी और को मिलने वाला
मान-सम्मान ले लू
बिकने लगा है ,
आज सबकुछ इस बाजार में
अरे तू कहे तो-
पैसे फेंक के
हक़दार को भी ना मिलने वाला ,
वो इनाम ले लू ।

घर से जो निकला हु 
पैसा कमाने ,
तो इस पैसे से ,
जग की हर खुशिया ले लू
ले तो लू पैसे से हर खुशि 
पर इस पैसों से
माँ का दूलार और पापा का प्यार
वो कहा से लाऊंगा ?
भैया -दिदी का डाट-फट्कार
और छोटा भाई  पे रॉब
वो पल कहा से लाऊंगा ?
ला तो दू 
इस पैसे से  सबकुछ
 पर आज जो उनसे दूर हु
क्या हर रोज़ दूरी कम कर पाऊंगा ?

ये जो लोग है ना 
कभी  नही जताते किसी से 
कितना चाहते है एक -दूसरे को
दर्द जब एक को होता है 
तो अंदर से रोते सब है
मुसीबत में पड़ जाए कोई
तो आते सब है
यही जो बिन-दिखावा 
वाला लगाव है ना 
असल मे यही प्यार है
बाकी सब स्वार्थ है ।
   
                         - बद्रीनाथ #Love  Kajal Singh Preeti Shah Anusuya Makar Paidi Hemalatha Rajesh Kumar Mahto #mrbnp#nojoto
प्यार क्या है 

पैसे से आज,
 जो चाहू वो ले लू
अरे तू कहे तो-
 मैं आज-कल का प्यार ले लू
बिकने लगा है ,

Yätêñdrå Räjpût

#दिल की तमन्ना# #अपनी क़लम से#

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मेरी तमन्नाओं को एहसास कहां था इतना,
कि मेरी तमन्नाओं का गला घोंट दोगी तुम।
नहीं था पता,
कि मेरे कलेजे से दिल निकाल
 फुटबॉल बना फेंक दोगी तुम।
ख़ुद से ज्यादा चाहा था तुमको
सराखों पर बिठा घुमाया था तुमको
पर यह एहसास कहां था,
कि मेरी मुहब्बत को यूँ 
अंगारों में जला फेंक दोगी तुम। #दिल की तमन्ना#
#अपनी क़लम से#

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

आज उसे लग रहा था कि वो थक सा गया है,ऐसा वो नही बल्कि उसके कदमो की आहट बता रही थी!थोरी सी उदाशी का गुब्बार था कि उसके चेहरे से झलक रहा था,वो हारने बाला इंसान नही था और ना ही वक्त के ठोकरो मे इतनी ताकत थी कि उसके हौशले की दिवार को जमीनदोस कर सके! उसने समय के साथ बहुत हीं दो चार किये थे और हर बार ही उसे लगा था कि समय के चक्रवात पर उसने विजय पा ली है!क्या क्या नही किया था उसने अपनो के लिये!हर उस ख्वाहिशो को पुरा करने के लिये अपने खुशी की तिलांजली दे दी!पर वो अपनो को ना जीत सका और ना ही समझ सका की प

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आज उसे लग रहा था कि वो थक सा गया है,ऐसा वो नही बल्कि उसके कदमो की आहट बता रही थी!थोरी सी उदाशी का गुब्बार था कि उसके चेहरे से झलक रहा था,वो हारने बाला इंसान नही था और ना ही वक्त के ठोकरो मे इतनी ताकत थी कि उसके हौशले की दिवार को जमीनदोस कर सके!

उसने समय के साथ बहुत हीं दो चार किये थे और हर बार ही उसे लगा था कि समय के चक्रवात पर उसने विजय पा ली है!क्या क्या नही किया था उसने अपनो के लिये!हर उस ख्वाहिशो को पुरा करने के लिये अपने खुशी की तिलांजली दे दी!पर वो अपनो को ना जीत सका और ना ही समझ सका की प

Dilip Makwana

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चलो...आओ फिर से बच्चे बनते है !!

डेढ़ आँखे बन्द किये
मैं सो गया हूं कहकर
मन ही मन माँ को उलझाते है

आओ..फिर से ताई की 
चुनड़ी खिंचते है
बाल बनाती दादी की
चोटी खींचते है

कभी कंघी तो कभी 
तेल का डब्बा छुपाकर
दीदी को घर ही घर मे घुमाते है

चलो....आओ फिर से बच्चे बनते है !!

ओह...बारिश आ गई
अरे...रुक भी गई
दीदी देखो ये जमी तो पूरी भीग गई

दीदी... आओ न्
भीगी जमी पर 
दो मंजिला घर बनाते है

छत पर चढ़कर
सुहाने मौसम का आनंद उठाते है
पंछियों संग हम भी अपने पर जमाते है
पतंग की डोर से लटक कर खुले गगन में उड़ते है
आओ न्....

परू आओ, मनु..दीदी..भैया तुम भी आओ
ताऊ के घर के आगे
कंसे खेलते है


चलो...आओ न फिर से बच्चे बनते है !!

आज तो दीदी की बुक छुपा देते है
बिजली चली गई...ये मोमबत्ती भी बुझा देते है
अंधेरा है..पड़ोसी का एंटीना घुमा देते है
अरे उसकी चॉकलेट गिर गई...पाँव नीचे दबा देते है

चलो...आओ न्
हम फिर से बच्चे बनते है !

होली है..चलो उस पर गोबर फेंक देते है
दिवाली है..उस पर पटाखा फेंक देते है

वो होली का रंग,दिवाली का शोर
सावण में छत पर पंख खोलता मोर
पापा से डर, मम्मी पर चलता वो हमारा जोर
ढूंढ रहा हूं मेरा बचपन जमाने मे है किस ओर

खिलौना चाहिये था...नही दिया
गुस्सा हूं..चलो आज खाना नही खाते है
आज तो चलो चाचा के घर ही सो जाते है
अरे मम्मी...मम्मी छत से देख रही है
नही...देखने दे उसे, नही देखना मुझे 
आज तो बेरुख हो जाते है !!

चलो आओ..हम फिर से बच्चे बन जाते है !!
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