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Best आज्ञा Shayari, Status, Quotes, Stories

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अदनासा-

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C1RQAg9Klqj/?igsh=MTZrOGI4NGt0cHh2bA== #श्रीराम #हिंदी #आस्था #समाज #मर्यादा #आज्ञा #मेरेराम #Instagram #Facebook #अदनासा

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अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार 💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/xYHMVYyश्रीराम #श्रीकृष्ण #हिंदी #बनवास #बकवास #ह्रास #मातृ #आज्ञा #Instagram #अदनासा

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साहस

📥 RKS Dare :- ◆RKSLN - 98 📇 #RKSLNcollabs आपका हार्दिक स्वागत करता है..😊🙏 💫RKS DARE 98 :- "आज्ञा" अर्थात :- आदेश / हुक्म आज के Dare में आप सभी रचनाकार "आज्ञा" शब्द को लेकर रचना करें..!! #YourQuoteAndMine #रचना_का_सार #rksQuotes #RKS_dare_98

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आज्ञा से आदर करते,
आज्ञा से चादर करते,
आज्ञा से मादर करते
आज्ञा से गादर करते 📥 RKS Dare  :- ◆RKSLN - 98

📇 #RKSLNcollabs आपका हार्दिक स्वागत करता है..😊🙏

💫RKS DARE 98 :- "आज्ञा"
अर्थात :- आदेश / हुक्म
आज के Dare में आप सभी रचनाकार "आज्ञा" शब्द को लेकर रचना करें..!!

avantika sharma

📥 RKS Dare :- ◆RKSLN - 98 📇 #RKSLNcollabs आपका हार्दिक स्वागत करता है..😊🙏 💫RKS DARE 98 :- "आज्ञा" अर्थात :- आदेश / हुक्म आज के Dare में आप सभी रचनाकार "आज्ञा" शब्द को लेकर रचना करें..!! #YourQuoteAndMine #रचना_का_सार #rksQuotes #RKS_dare_98

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दिल की एक तमन्ना है,
आज्ञा हो तो आपके ,
दिल में एक छोटा सा 
घर बनाना चाहते हैं। 📥 RKS Dare  :- ◆RKSLN - 98

📇 #RKSLNcollabs आपका हार्दिक स्वागत करता है..😊🙏

💫RKS DARE 98 :- "आज्ञा"
अर्थात :- आदेश / हुक्म
आज के Dare में आप सभी रचनाकार "आज्ञा" शब्द को लेकर रचना करें..!!

Manju Sharma

📥 RKS Dare :- ◆RKSLN - 98 📇 #RKSLNcollabs आपका हार्दिक स्वागत करता है..😊🙏 💫RKS DARE 98 :- "आज्ञा" अर्थात :- आदेश / हुक्म आज के Dare में आप सभी रचनाकार "आज्ञा" शब्द को लेकर रचना करें..!! #YourQuoteAndMine #रचना_का_सार #rksQuotes #RKS_dare_98

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अगर आज्ञा हो तुम्हारी, 
तो हम भी इश्क कर ले,
माना ये खता है, 
तो हम भी ये खता कर ले। 📥 RKS Dare  :- ◆RKSLN - 98

📇 #RKSLNcollabs आपका हार्दिक स्वागत करता है..😊🙏

💫RKS DARE 98 :- "आज्ञा"
अर्थात :- आदेश / हुक्म
आज के Dare में आप सभी रचनाकार "आज्ञा" शब्द को लेकर रचना करें..!!

Deepa Didi Prajapati

#आज्ञा पालन #समाज

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जब मनुष्य अपने माता-पिता,
गुरूजनों एवं आदरणीयों
की आज्ञाओं,का पालन नहीं कर पाता है।
तो हारकर परिस्थितियों को
दोष देना आरंभ कर देता है।

©Deepa Didi Prajapati #आज्ञा पालन

Prabhat Shukla

#Love

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तुलसी की दो सेवायें हैं 

प्रथम सेवा -->
                 तुलसी की जड़ो में ...
         प्रतिदिन जल अर्पण करते रहना !केवल एकादशी को छोड़ कर। 

द्वितीय सेवा -->
           तुलसी की मंजरियों को तोड़कर 
          तुलसी को पीड़ा मुक्त करते रहना ,
           क्योंकि ~ 
             ये मंजरियाँ तुलसी जी को 
             बीमार करके सुखा देती हैं !

    जब तक ये मंजरियाँ तुलसी जी के 
 शीश पर रहती हैं , तब तक तुलसी माता 
               घोर कष्ट पाती हैं !

            इन दो सेवाओं को ...
             श्री ठाकुर जी की सेवा से 
                कम नहीं माना गया है !   
            इनमें कुछ सावधानियाँ रखने की 
                        आवश्यक्ता है !

जैसे ~    तुलसी दल तोड़ने से पहले 
         तुलसीजी की आज्ञा ले लेनी चाहिए !
            सच्चा वैष्णव बिना आज्ञा लिए ...
       तुलसी दल को स्पर्श भी नहीं करता है !

 रविवार और द्वादशी के दिन तुलसी दल को नहीं तोड़ना चाहिए , तथा
कभी भी नाखूनों से तुलसी दल को नहीं तोड़ना चाहिए ! न ही एकादशी को जल देना चाहिये क्यो की इस दिन तुलसी महारानी भी ठाकुर जी के लिये निर्जल व्रत रखती हैं।ऐसा करने से महापाप लगता है !
कारण --> तुलसीजी श्री ठाकुर जी की
             आज्ञा से केवल इन्ही दो दिनों 
                 विश्राम और निंद्रा लेती हैं !
बाकी के दिनों में वो एक छण के लिए भी 
सोती नही हैं और ना ही विश्राम लेती हैं !
      आठों पहर ठाकुर जी की ही ...
          सेवा में लगी रहती हैं !🙏🙏

🌹🌿🙏 जय श्री राधेकृष्णा🙏🌿 🌹
🌹🌿 🙏जय श्री राधे राधे जी🙏🌿 🌹
🌹🌿 🙏हरि बोल🙏🌿 🌹 #Love

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 13 - हृदय परिवर्तन 'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्तुक के हाथ से पत्र लेकर पढा। 'मैं कृतज्ञ होऊंगा, यदि इसे आप स्वीकार कर लेंगी।' चर दोनों हाथों में एक अत्यन्त कोमल, भारी बहुमूल्य कम्बल लिये, हाथ आगे फैलाये, मस्तक झुकाये खड़ा था। 'मैं इसे स्वीकार करूंगी।' एक क्षण रुककर मैडम ने स्वतः कहा। उनका प्राइवेट सेक्रेटरी पास ही खड़ा था और मैडम ने उसकी ओर पत्र बढ़ा दिया था। 'तुम अपने स्वामी से कहना, मैंने उनका उपहार स्

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
13 - हृदय परिवर्तन

'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्तुक के हाथ से पत्र लेकर पढा। 'मैं कृतज्ञ होऊंगा, यदि इसे आप स्वीकार कर लेंगी।' चर दोनों हाथों में एक अत्यन्त कोमल, भारी बहुमूल्य कम्बल लिये, हाथ आगे फैलाये, मस्तक झुकाये खड़ा था।

'मैं इसे स्वीकार करूंगी।' एक क्षण रुककर मैडम ने स्वतः कहा। उनका प्राइवेट सेक्रेटरी पास ही खड़ा था और मैडम ने उसकी ओर पत्र बढ़ा दिया था। 'तुम अपने स्वामी से कहना, मैंने उनका उपहार स्

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च
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