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Altaf Husain

मुझे नहीं लगता कि, मर्दों के अंदर अब स्त्रियों के प्रति सम्मान बची है। और सुभाष से मेरा रिश्ता टूटने का कारण यही था, कहती हुयी नीलम की आंखें भर आई। पर ताली तो एक हाथ से थोड़ी ना बजती है, कहीं ना कहीं...... चंदा की बातों को बीच में काटते हुए नीलम बोली, जब एक हाथ के उगंलिया बंद पड़ी हो ना तो ताली नही बजती...सुभाष का मेरे प्रति कोई सम्मान नहीं था, फिर तलाक लेने के अलावा कोई उपाय नहीं था मेरे पास। चंदा हंसते हुए बोली, स्त्रियों के सम्मान, वो भी मर्दों से.. नीलम! "हम गुलाब के पेड़ हैं, और यह जिस्म ग

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 मुझे नहीं लगता कि, मर्दों के अंदर अब स्त्रियों के प्रति सम्मान बची है। और सुभाष से मेरा रिश्ता टूटने का कारण यही था,
कहती हुयी नीलम की आंखें भर आई।
पर ताली तो एक हाथ से थोड़ी ना बजती है, कहीं ना कहीं...... 
चंदा की बातों को बीच में काटते हुए नीलम बोली,
जब एक हाथ के उगंलिया बंद पड़ी हो ना तो ताली नही बजती...सुभाष का मेरे प्रति कोई सम्मान नहीं था, फिर तलाक लेने के अलावा कोई उपाय नहीं था मेरे पास।
चंदा हंसते हुए बोली, स्त्रियों के सम्मान, वो भी मर्दों से.. नीलम! "हम गुलाब के पेड़ हैं, और यह जिस्म ग

Altaf Husain

पत्र को पढ़ते ही मालती के आंखों में आंसू आ गई... वह एकदम शून्य सी खड़ी, पत्र में लिखे शब्दों को बार-बार पढ़ रही थी। कि कहीं उसने गलत तो नहीं पढ़ लिया, पर पत्र में लिखे हुए शब्द मालती के बह रहें आसुंओ का कारण बन चुका था। पत्र के साथ आयें सेमर का फूल (बाहर से सुन्दर,अन्दर से निराशा ) मानो मालती को पुर्ण स्त्री ना होने का संकेत दे रहा था। 8 साल हो चुके थे मालती की शादी को, ससुराल में उसके पांव चांदी के थाली में रखे गए थे। पर आज तक संतान सुख से वंचित है.... मालती का आज, दूसरा सावन होने को जा रहा था

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 पत्र को पढ़ते ही मालती के आंखों में आंसू आ गई...
वह एकदम शून्य सी खड़ी, पत्र में लिखे शब्दों को बार-बार पढ़ रही थी। कि कहीं उसने गलत तो नहीं पढ़ लिया,
पर पत्र में लिखे हुए शब्द मालती के बह रहें आसुंओ का कारण बन चुका था।
पत्र के साथ आयें सेमर का फूल (बाहर से सुन्दर,अन्दर से निराशा ) मानो मालती को पुर्ण स्त्री ना होने का संकेत दे रहा था।
 8 साल हो चुके थे मालती की शादी को, ससुराल में उसके पांव चांदी के थाली में रखे गए थे। पर आज तक संतान सुख से वंचित है.... मालती का आज, दूसरा सावन होने को जा रहा था

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