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somnath gawade
कामात 'धर-सोड' वृत्ती असणाऱ्यांना 'धरून' कुठेतरी वाळवंटात 'सोडून' यावं 😂🤣 #धर-सोड वृत्ती
Maneesh Ji
Happy Holi The Festival Of Colours To All 🤗🤗 ......................................................................... 🖤 . 🖤 . 🖤 . 🖤 . 🖤 . 🖤 . 🖤 . 🖤 . 🖤 . 🖤 . 🖤 कैसे #बताऊँ - कैसे #सुनाऊँ #तुमको मैं ,, मेरी इस #होली का हाल रे उसने मुझे #चुपके से #धर #दबोचा ,, और रगड़ - #रगड़ किया #गाल #लाल रे .........................................................................
Yogesh Yadav
पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है जिसके कर्मो से धरा अपने स्वर्ण शिखा दिखलाती है सावन भी उसके धर्मों में अपनी सार्थकता बतलाती है जल के हर एक बूंदों से वो नव जीवन पनपाता है जीव जंतु को मित्र माने पालन पोषण वो कर जाता है समग्र विश्व का भूक मिटाता , ऐसा वो महा दानी है। पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है शांत सरोवर की भांति उसकी छवि की ये पहचान है साधारण वस्त्रों के अंदर वो अतुल्य पौरुष विद्यमान है ना किसी से बैर, ना ही घमंड का तनिक उसको भान है मैत्री भाव दिखता हरदम , ऐसा वो उत्तम शोर्यवन है भोला भला शांत स्वभाव , उसकी यही निशानी है।। पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है रण भूमि सा बना खेत में वो हल से धरा की सिना फाड़े है किस्मत को है वो दव लगा के प्रकृति से भी वो लड़ डाले है कठोर परिश्रम के चरम का वो पहेचान कराता है मिट्टी के हर एक² कण का वो महत्व बतलाता है पसीने से जो धरा को सींचे , ऐसा वो कर्मठी प्राणी है ।। पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है भरी दोपहरी सूर्य देव को वो एक मात्र ललकारा है आंधी तूफान बारिश भी उस्को परास्थ ना कर पाया है कई आपदा आए उसपे फिर भी वो ना चकनाचूर हुआ पौरुष के वो डोले लिए कर्म भूमि में आकृष्ट हुआ लौह तुल्य सा देह चमकता , ऐसा वो जिस्मानी है।। पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है hjcx
Mr.. *फलाणा*
#थोड़ा #आराम #तय #चेले _ #घणा #फर्क #हो #स्य #घोड़े #हर #खच्चर #मैं _ *Sonu Dhakaliya* #गात #पाड़ #क #रोड #प्य #धर #दयांगे #जिस #दिन #खड़ा #होवेगा #म्हारी #टक्कर मै
Omkar Kapase
वेळ आत्ता थांबत नाही धिर आत्ता धरवत नाही। अगं सगळं मला माहितीय? अगं तुला कसे हो म्हणणार अजून पहिलीलाच विसरलो नाही।। हक्काने बायको म्हणता यावी अशी girlfriend तुलाच बनवणार। अगं धीर धर जरा अजून पाहिलीलाच, विसरलो नाही तुला कसे हो म्हणणार।। लाख असतील राधा माझ्या पण लग्न मात्र परी सारख्या रुक्मीणी बरोबर करणार। अगं धीर धर जरा अजून पाहिलीलाच, विसरलो नाही तुला कसे हो म्हणणार।। ताजमहालच काय, तुझ्यासाठी राजवाडा बांधणार, अग्नीच्या साक्षीने मात्र सात जन्म साथ तुझीच देणार। अगं धीर धर जरा अजून पाहिलीलाच, विसरलो नाही तुला कसे हो म्हणणार।। तुझ्यासाठी चंद्रतारेच काय, दिवस रात्र एक करणार। आत्ता येथुन पुढे बघ तु, तुझ्या मनावर राज्य मीच करणार।। पण काय करणार, अजून पाहिलीलाच, विसरलो नाही तुला कसे हो म्हणणार।। मन सैरभैरः- ओंकार कापसे अगं अजून पाहिलीलाच, विसरलो नाही तुला कसे हो म्हणणार!!!!
Ek jikr Av
दिवारो से मिलकर रोना अच्छा लगता है धर मे एक कोना सच्चा लगता है कितना भी सामान ईकटठा कर लू मै यहा तेरे बिना ये दिल ये धर सूना लगता है #Av
Netra Jha
**चंचल होना मन की प्रवृत्ति है मन फिर भी तू ज़रा धीर धर भटकाया मत कर मुझे मेरे लक्ष्य से मेरी जरूरत की नींव बन, ज़रा धीर धर मेरे पाँव तेरी तरह वेग नहीं ले सकते तू अपनी रफ़्तार कम कर ज़रा धीर धर तेरे मन का कर सकुं मैं हर बार ये मुमकिन तो नहीं पर कोशिश तो रहेगी मेरी सदा ज़रा धीर धर ए मन ! तुझमें मेरे प्यार का मंदिर भी है उसे अनवेग से सम्हाले रखना ज़रा धीर धर तू है मेरा अंतःकरण तुमसे मिलना है कभी ज़रा धीर धर दिल तो बस तेरा दर्पण है उसमें हर पल तेरे रहने का एहसास सा लगता है मैनें हर बार टूटने से सम्हाला है तुमको हरबार सम्हालेंगे ज़रा धीर धर तू रहेगा हर जन्म में मेरा प्राब्द्ध बनकर हर जन्म का हमदोनों का साथ ज़रा धीर धर**..!!NAJ📝
Chagan Prajapat
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NG India
सूरत पाया घर बार । शब्द भरतार, राधास्वामी भारी । बच गई अब उसकी ख्वारी ।।टेर।। बहु भटकी सूरत घर घर । चौरासी चोले धर धर ।। अज्ञान अवस्था बहकर । लुट गई भारी (1) अब धुर का जागा भागा । सतगुरू से नाता लागा । कर दया उन दिया सुहाग । स्वामी पाया री (2) सतगुरू ने किरपा धारी । मोहिं अन्तर दीन्ह सहारी ।। कर्मों का छुट गया भारी । सत्तदेश पाया री (3) सत्तपुरुष का पाया दरशा । चेतन्य अंग से परसा ।। सत्त शब्द की होती बरषा । अमृत धारी (4) राधास्वामी धाम समाई । राधास्वामी द्याल को पाई ।। हरदम उनके गुण गाई । पिव पाया री (5) "राधास्वामी" राधास्वामी प्रीति बानी 3-53 निज्ज घर अपने चालिए ।
sakshi vidhi saheewala
धर क्या है धर वो हें जहाँ हम चलना सीखते हैं जिंदगी में सभलना सीखते है जहाँ हम जी भरकर मुसकुराते है जहाँ हम अपनों के साथ बैठ गपपे लगाते हैं जहाँ हम हर त्योहार अपनो के साथ मनाते है । #NojotoQuote