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Rajesh Kothari
कभी मेरे दिल की बालकनी में आकर ... मेरी रूह का हाल तो पूछो !! कैसे दहक रही है आग मेरे रूह में ... ये तुम्हें तब एहसास होने लगेगा || कभी समय मिले तो ... यूं ही टहलने आ जाना | मेरे दिल की बालकनी में ... तुम्हारी मोहब्बत में इस रूह के जलने का मंजर तुम्हें नजर आएगा !! कभी मेरे दिल की गलियों से गुजर के तो देखो ... यह गर्म सर्द हवाएं तुम्हें इन रास्तों से गुजरने नहीं देंगी !! कभी मेरे दिल की बालकनी में आकर ... मेरी रूह का हाल तो पूछो !! कैसे दहक रही है आग मेरे रूह में ... ये तुम्हें तब एहसास होने लगेगा !! #The_Balcony_Of_My_heart ♥ #Balcony #hello_guys_plz_like_subscribe_share
खामोशी और दस्तक
आज ...एक लम्बे अंतराल के बाद archu अपने लिए कुछ वक्त निकाल पाई । शाम का समय ...कड़ाके की ठंड ...हल्की बारिश ....full volume में पसंदीदा गाने ...हाथ में चाय का कप और बालकनी में खड़ी अपने बगीचे को निहार rhi थी ...हर तरफ़ गुलाब और गुलदाउदी के फूल ....एक सुकूं का अहसास _____एकाएक उसकी नज़र सड़क की दूसरी ओर गई ....एक पेड़ के नीचे क़रीब दस - बारह साल की लड़की किसी का इंतज़ार कर रही थी ...लग रहा था काफ़ी वक्त से वहां खड़ी हैं ....archu ने नज़रंदाज़ कर दिया ...और अन्दर आ गई ...क़रीब आधे घंटे के बाद फ़िर
आज ...एक लम्बे अंतराल के बाद archu अपने लिए कुछ वक्त निकाल पाई । शाम का समय ...कड़ाके की ठंड ...हल्की बारिश ....full volume में पसंदीदा गाने ...हाथ में चाय का कप और बालकनी में खड़ी अपने बगीचे को निहार rhi थी ...हर तरफ़ गुलाब और गुलदाउदी के फूल ....एक सुकूं का अहसास _____एकाएक उसकी नज़र सड़क की दूसरी ओर गई ....एक पेड़ के नीचे क़रीब दस - बारह साल की लड़की किसी का इंतज़ार कर रही थी ...लग रहा था काफ़ी वक्त से वहां खड़ी हैं ....archu ने नज़रंदाज़ कर दिया ...और अन्दर आ गई ...क़रीब आधे घंटे के बाद फ़िर
read moreRamandeep Kaur
"विज्ञान का सुख या प्रकृति का आनंद" लघु कथा "निशा चाय बन गयी क्या ?" राकेश ने अखबार से नजर हटाकर कहा। "नहीं आज अच्छा मौसम लग रहा है, बादल भी है और मिट्टी की महक भी है लगता है पानी बरसेगा इसलिए पकौड़ी बना रही हूँ। बना दूँ क्या? चाय में थोड़ी देर लगेगी।" निशा ने कहा। "नेकी और पूँछ पूँछ ये भी कोई पूँछने की बात है" और वह अखवार पढ़ने में मग्न हो गया। उधर निशा नाश्ता तैयार करने में लग गयी। तभी बादलों के गरजने की आवाज तेज हुई और पानी जोरों से बरसने लगा। जैसे ही बारिश की ठंडी हवा अखबार को धकेलती हुई
read moreParul Sharma
#Rain लघु कथा. ll बारिश ll "निशा चाय बन गयी क्या ?" राकेश ने अखबार से नजर हटाकर कहा। "नहीं आज अच्छा मौसम लग रहा है बादल भी है और मिट्टी की महक भी है लगता है पानी बरसेगा इसलिए पकौड़ी बना रही हूँ बना दूँ क्या चाय में थोड़ी देर लगेगी।" निशा ने कहा। "नेकी और पूँछ पूँछ ये भी कोई पूँछने की बात है" और वह अखवार पढ़ने में मग्न हो गया। उधर निशा नाश्ता तैयार करने में लग गयी। तभी बादलों के गरजने की आवाज तेज हुई और पानी जोरों से बरसने लगा। जैसे ही बारिश की ठंडी हवा अखबार को धकेलती हुई राकेश के चेहरे को छू
#rain लघु कथा. ll बारिश ll "निशा चाय बन गयी क्या ?" राकेश ने अखबार से नजर हटाकर कहा। "नहीं आज अच्छा मौसम लग रहा है बादल भी है और मिट्टी की महक भी है लगता है पानी बरसेगा इसलिए पकौड़ी बना रही हूँ बना दूँ क्या चाय में थोड़ी देर लगेगी।" निशा ने कहा। "नेकी और पूँछ पूँछ ये भी कोई पूँछने की बात है" और वह अखवार पढ़ने में मग्न हो गया। उधर निशा नाश्ता तैयार करने में लग गयी। तभी बादलों के गरजने की आवाज तेज हुई और पानी जोरों से बरसने लगा। जैसे ही बारिश की ठंडी हवा अखबार को धकेलती हुई राकेश के चेहरे को छू
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