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Shashikant

#जगती

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स्वर्ग से सुन्दर धरती पर द्रश्य दिखाई देते है| #जगती

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 10 – अनुगमन 'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात्‌ पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी। थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
10 – अनुगमन

'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात्‌ पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी।

थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु

सावन

तुझे पाने को न जाने ये रोज कैसी आस जगती हैं
इस चक्कर में बेचारी हर रोज मेरी रात जगती है #love #night
#cHaand #chandnee
#ishq #umeed #ektarfa
#unkaha_ishq

pooja roy

कुछ कमी सी रहती है

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मुस्कुराती हूं आज कल 
फिर कमी क्या रह जाती है?
शायद आज कल सिर्फ मुस्कुराती हूं
खीलखि।लना भूल गई हूं
चांद से बाते आज भी करती हूं
फिर कमी क्या है?
शायद  पहले चांद से तेरे हाथ में
अपना हाथ रख कर वादे करती थी
अब वो चांद उन झूठे वादों की याद दिलाता है
जगती तो पहले भी थी
फिर बदली क्या है?
शायद पहले तेरे लिए जगती थी
अब तेरी वजह से जगती हूं
कुछ तो कमी है तेरे जाने से
सब कुछ है पर अधूरा
है तेरे जाने से #NojotoQuote कुछ कमी सी रहती है

SHIVENDRA TRIVEDI

अब ख़ुद ही सो जाता हूँ, मींच कर आँखे,
वो लोरी अब मुझे याद नही रहती,
जो मेरे बचपन में मुझे सुलाने को,
मेरी माँ थी मुझसे कहती!!
अब  उन बहानो का समय कहां, जो
जगते  हुए भि सोने को करते थे,
घर के कोने में कहीं अकेले,
जाने से भी डरते थे,
जब कभी कभी गिनती मम्मी,
के मार के डर से पढ़ते थे!!
एक कोना है,  चार दिवारी का,
मेरा बिस्तर ,अब कहलाता है,
जिसे देख कर, मुझे मेरा,
बचपन याद आता है!
आधी जली रोटी भि अब,
अच्छी ही लगती है,,
 एक दिंन मुझे खिलाने को,
मेरी माँ सारी रात जगती है!!
कल कि रात मैं भूखा ही सो गया,
ये सोंच कर, अभी आएगी मेरी माँ,
क्योंकि वो तो सारी सारी रात जगती है, 
 आयी ही नही,  ना जाने क्यूँ,,
 शायद,  मुझसे बड़ी दूर,  लगती है,
मेरे बचपन कि यादें अब मुझसे ही छिपती है!!  #बचपन,#nojoto  #kavishala,  #Hindiquote


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