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ठाकुर नीलमणि
चिंगारी ------------------------------------------------------- ये उजलि ये काली, धुआ संग लाली, लपटो से बिखरती हूई ये चिंगारी, बस्ती को जला के मचल क़्यो रही है ! कभी इस गली तो कभी उस मोहल्ले , हवा मैं तैरती हुई चल रही है, घरो से निकलकर , तो छत से फिसलकर,, चौराहे पे जा के .... सभंल क़्यो रही है! ये उजली ये काली..............................रही है! लपलपाती जिभ से कच्चे घरो को , छोटे - बडो को , दरवाजे से निकलकर तो, खिड्र्की से फिसलकर, खूद मे लपेटे निगल क़्यो रही है! जख्मि झुलसे बदन ये, चिथड्रो से कफन ये, रातो को घरो से, निकल कंधो पर बोझ , चल क़्यो रही है! करुणा का नजारा , था किसका दोस सारा, अजनबी मैं बेचारा , पूछ्ता किससे कि ये... बस्ती जल क़्यो रही है! ये उजली ये काली........................................रही है! by - Nilmani Thakur #चिंगारी
Love Quotes
सौदा सौदा तुझसे टूटते ही सौदा खुदा से कर लिया । बाहो से तेरी निकलकर बाहो मे मौत को भर लिया ।। कोई वास्ता नहीं है अब हम दोनों का इतना आसान तो नहीं था कहना ना जाने क्या था तेरे जहन में जो कभी नहीं सुनना था वो कह दिया । मेरी हालत क्या है क्यो बताऊ तुझे तुने जो भी दिया दर्द मुझे मैंने हंस कर सह लिया।। सौदा तुझसे टूटते ही सौदा खुदा से कर लिया । बाहो से तेरी निकलकर बाहो मे मौत को भर लिया ।। #nojoto#love#sayri#lovequotes#breakup#sad#indian#
Shyaam Bagokar
घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, परिंदा हुं मैं आकाश की उंचाई को छुने. , रोज घर से निकलकर सपनो के पीछे उडता हुं एक एक तिनका जोड़कर सपने बुनता हुं आकाश को छूने के सपने लेकर घर से निकलकर घर। को लौट आता हू। परिंदा
Abhishek shukla
हार जाना अंधेरे से हमारी औकात नहीं हम प्रकाश हैं तुम कैसे रोकोगे, छिद्र से भी निकलकर प्रदीप्ति होते रहेंगें हर अंधेरे से निकलकर बस उजाला करते रहेंगें, हार के भी अंधेरे को अलंकृत करेंगें हर अंधेरे में प्रकाश की एक नई बीज बोते रहेंगें।। #NojotoQuote #nojoto #poetry #hindipoetry #motivation
Abhishek Rajhans
क्या सच में वो तुम ही थी बताओ ना क्या तुम लौट आयी थी आज सुबह जब आंखे खोली थी मैंने तो तुम्हारे होने का एहसास हुआ था तुम्हारे ड्रेसिंग टेबल का दराज आधा खुला हुआ था तुम्हारी तस्वीर से लगी वो फूलों वाली माला जमीन पर पड़ी थी बोलो ना ,तुम आ रही थी वापस ये इशारा था ना तुम्हारा तुम बोलती तो खुद आ जाता मैं मायके में गुस्सा हो कर कितनी बार गयी थी तुम पहले भी तो लौट आती थी तुम मेरे मनाने पर मानाकि बहुत उलझा हुआ था मैं पर तुम मुझे सुलझा तो सकती थी इस तरह तुम क्यों चली गयी थी देखो ,मेरी दाढ़ी सफेद हो रही है तुम्हारी चूड़ियों की खनक अब सुन नही पा रहा लौट आओ अब सात जन्म की सात कसमे खायी थी साथ में फिर क्यों चली गयी किचन से प्रेसर कुकर की आवाज क्यों नही आती अब क्यों मेरे बिछावन की सिलवटों में तेरा एहसास नहीं होता अब क्यों कोई रात मुझे सुला नहीं पाती क्यो कोई सुबह मुझे जगा नहीं पाती देखो, बहुत कर ली अपनी अब अपने अस्थि-कलश से निकलकर या दीवार की तस्वीर से निकलकर लौट आओ अब दरवाजे खुले हुए है लौट आओ अब—–अभिषेक राजहंस #NojotoQuote लौट आओ अब
Fazal Makhdoomi
मैं इस भीड़ से निकलकर जब तुम्हारे पास लौटूंगा, तो मुझे बिना किसी सवाल के अपना लेना, दो पल के लिए ही सही मुझे गले से लगा लेना, सिर्फ लफ्ज़ों से नहीं मुझे अपनी रूह में पनाह देना, बहुत कुछ हुआ हैं, बहुत कुछ कहा है, उन सारी बातों को किसी कोने में दबा देना, वो फूलों वाली पुरानी चादर बिछा कर, मुझे अपनी गोद मे पुराने दिनों की तरह सुला देना, जब मैं तुम्हें देखते हुए यूँ सुकून से आसमां मे चला जाऊँ, मेरी बस इन्हीं यादों को अपने दिल मे ऐसे ही बसा लेना, मैं इस भीड़ से निकलकर जब तुम्हारे पास लौटूंगा, तो मुझे बिना किसी सवाल के अपना लेना......!! #भीड़ #rockstar #nojoto
Bahubali Singh Sangam
बन कर के खुस्बू निकलकर , लू में बनकर तम्बू निकलकर। ये चांद,तारे सब बेवजह आतें हैं, अब से आसमां में तू निकलकर। FB.com/@BahubaliSinghOfficial #Nojoto #HindiPoetry #Kavita
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