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Nitin Varma Nitin
ज़िन्दगी में #कठिनाई😳 आए तो... #उदास😟 मत होना, #मेरे दोस्त☺️ #बस यह #याद☝️ #रखना की #मुश्किल👊 #रोल अच्छे #एक्टर🕵️♂️ को ही दिए जाते है ©Nitin Varma Nitin
Ahmjeet kar
ज़िन्दगी में #कठिनाई😳 आए तो.. #उदास😟 मत होना, #मेरे दोस्त☺️ #बस यह #याद☝️ #रखना की #मुश्किल👊 #रोल �..च्छे #एक्टर🕵️♂️ को ही दिए जाते है ©Ahmjeet kar follow me❤ and check description 👇 ज़िन्दगी में #कठिनाई😳 आए तो.. #उदास😟 मत होना, #मेरे दोस्त☺️ #बस यह #याद☝️ #रखना की #मुश्किल👊 #रोल �..च्छे #एक्टर🕵️♂️ को ही दिए जाते है #Love
total gaming mushahid khan
ज़िन्दगी में #कठिनाई😳 आए तो.. #उदास😟 मत होना, #मेरे दोस्त☺️ #बस यह #याद☝️ #रखना की #मुश्किल👊 #रोल �..च्छे #एक्टर🕵️♂️ को ही दिए जाते है - www.Status.desi#ना-☕-चाय-लेते-हैं-ना-🍮-कॉफी-लेते-हैं #हम-तेरे-👄-इश्क़-के-मरीज़-हैं #सुबह-सुबह-🌞-उठते-ही #तेरा-नाम-लेते-है. - www.Status.desi ©total gaming mushahid khan तु ही बता #महोंब्बत 💘की कौनसी #निशानी💕 #अच्छी है.. यें #तेरा 👩🦰 #गुलाब 🌹#अच्छा है या #मेरी🧔#कुर्बानी 💔अच्छी है. - www.Status.desi #OneSeason
अखिलेश यादव
रोल मॉडल न मिलने की उनकी खीज पर तरस खाइए. अगर आप गोडसे अमर रहे कह कर खुश हैं तो बिल्कुल खुश रहें। लेकिन आप अपनी संतान को गोडसे के पथ पर ही चलने के लिये तो प्रेरित बिल्कुल न करें, और आप ऐसा कर भी रहे होंगे। एक बात मैं दावे से कह सकता हूँ कि जितना गांधी वांग्मय मैंने पढ़ा है उससे मैं यह समझ पाया हूँ, कि अगर किन्ही कारणों या चमत्कार वश गांधी, गोडसे द्वारा गोली मारने के बाद भी जीवित बच जाते तो वे गोडसे को निश्चय ही माफ कर देते। गोडसे हत्या का एक अपराधी था। जघन्य कृत्य था उसका। उसे कानून ने दोषी पाया और मृत्युदंड की सज़ा दी। गांधी और गोडसे दोनों का अस्तित्व, अंधकार और प्रकाश की तरह है। गांधी प्रकाश हैं तो गोडसे अंधकार। अब यह गोडसे अमर रहे मानने वालो के ऊपर है कि वे अपनी संतति को कौन सी दिशा देना चाहते हैं। जो मित्र गोडसे अमर रहे सम्प्रदाय के है, उनपर कोई भी प्रतिक्रिया न दें। उनकी मजबूरी समझे। संघ को रोल मॉडल की तलाश है। वह भगत सिंह, सरदार पटेल से लेकर सुभाष बाबू तक एक अदद रोल मॉडल की तलाश में भटक रहे हैं। वे अपने रोल मॉडल के खोखलेपन से भी परिचित हैं और भारतीय समाज की उनके प्रति अस्वीकार्यता का भी उन्हें पर्याप्त ज्ञान है। तभी कभी भी उनके बारे में कोई सार्वजनिक समारोह या सेमिनार आदि आयोजित नहीं करते हैं। दिक्कत यह है कि जब भी, वह रोल मॉडल ढूंढते निकलते हैं वहां उन्हें अपनी विचारधारा के विपरीत ही कुछ न कुछ ऐसा मिल जाता है, जिससे वे असहज होने लगते हैं । दुष्प्रचार एक धुंध की तरह होता है। जब धुंध छंटती है तो सब साफ हो ही जाता है। रोल मॉडल का अभाव और नया मनमाफिक रोल मॉडल ढूंढ या न गढ़ पाने की असफलता से वे एक स्वाभाविक खीज से भर जाते हैं। उस खीज पर तरस खाइए, न कि उनका मज़ाक़ उड़ाइये। बस यह ध्यान रखिये कि हम आप गांधी के पथ पर चले या किसी और के पथ पर चलें, यह हम सबकी अपनी अपनी सोच पर निर्भर है, पर अपराध, घृणा और देश को विभाजित करने वाली सोच के पथ से अपने और अपनी सन्तति को दूर रखे। Hello frds
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मास्टर – अपना नंबर बताओ ? छोरी – Sorry I Have A Boyfriend. मास्टर – बुआ, रोल नंबर बता रोल नंबर… 😂😂😂😂😂😂 @mk # desi jokes
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
आज का ज्ञान यह दुनियाँ बेमतलब की किताबे हजारों पढती है,पर खुद को ही पढ लेना हजारोम किताबों से अच्छा है,,omj हमारे कर्म ही हमारी तश्वीर,,या यौ कहे,,आप जो भी है वो आपके कर्म है,,,,,, दोस्तों दुनियाँ सबसे बडा रंग मंच है,आपकी जिदंगी ऩाटक है,और हम सब नाटक कार है और भगवान निर्देशक है,,,,आप जो जो रोल करते हो वही आपकी जिदंगी है,,,,,,,, भगवान निर्देशक बनकर आपको "आपकी काबलियत के अनुसार कठिन से कठिन रोल देता है,,,, जिसकी एक्टिंग अच्छी होती , जिन्हे अच्छा रोल करना आता वो अच्छा हीरो बन जाता तथा जिन्हे नही आता वो जिदंगी को कोसता है,,,,,आपके जीवन की विपरीत पारिस्थितियाँ आपकाी स्क्रीप्ट है आप उन्हे पढकर उन्हे अच्छे स
me nd my solitude
बाप बेटे मिल कर जो काम करते हैं वह उन्हें साथ रखने में ज्यादा असरदार होता है. बेटे के लिए बाप हमेशा रोल मॉडल और प्रतिद्वंद्वी होता है. बच्चा अपने पिता से झूठ मूठ की या खेल खेल में किए मुकाबलों से अपनी ताकत पहचानने लगता है. रिश्ता अगर करीबी हो तो यह और आसानी से होता है. अगर इस तरह का रिश्ता न रहे तो बच्चे अपना रोल मॉडल वीडियो और कंप्यूटर गेम में ढूंढने लगेत हैं और नेल्स के मुताबिक यह खतरनाक हो सकता है me or mera bhopal
Rajat Ranjan
मेरे सामने ही एक पूरी फैमिली बैठी थी। मम्मी, पापा, बेटा और बेटी। हमारी टेबल उनकी टेबल के पास ही थी। हम अपनी बातें कर रहे थे, वो अपनी। पापा खाने का ऑर्डर करने जा रहे थे। वो सभी से पूछ रहे थे कि कौन क्या खाएगा? बेटी ने कहा बर्गर। मम्मी ने कहा डोसा। पापा खुद बिरयानी खाने के मूड में थे। पर बेटा तय नहीं कर पा रहा था। वो कभी कहता बर्गर, कभी कहता कि पनीर रोल खाना है। पापा कह रहे थे कि तुम ठीक से तय करो कि क्या लोगे? अगर तुमने पनीर रोल मंगाया, तो फिर दीदी के बर्गर में हाथ नहीं लगाओगे। बस फाइनल तय करो कि तुम्हारा मन क्या खाने का है ? हमारे खाने का ऑर्डर आ चुका था। पर मेरे बगल वाली फैमिली अभी उलझन में थी। बेटे ने कहा कि वो तय नहीं कर पा रहा कि क्या खाए। मां बोल रही थी कि तुम थोड़ा-थोड़ा सभी में से खा लेना। अपने लिए कोई एक चीज़ मंगा लो। पर बेटा दुविधा में था। पापा समझा रहे थे कि इतना सोचने वाली क्या बात है ? कोई एक चीज़ मंगा लो। जो मन हो, वही ले लो। पर लड़का सच में तय नहीं कर पा रहा था। वो बार-बार बोर्ड पर बर्गर की ओर देखता, फिर पनीर रोल की ओर। मुझे लग रहा था कि उसके पापा ऐसा क्यों नहीं कह देते कि ठीक है, एक बर्गर ले लो और एक पनीर रोल भी। उनके बीच चर्चा चल रही थी। पापा बेटे को समझाने में लगे थे कि कोई एक चीज़ ही आएगी। मन को पक्का करो। *आखिर में बेटे ने भी बर्गर ही कह दिया।* जब उनका खाना चल रहा था, हमारा खाना पूरा हो चुका था। कुर्सी से उठते हुए अचानक मेरी नज़र लड़के के पापा से मिली। उठते-उठते मैं उनके पास चला गया और हैलो करके अपना परिचय दिया। बात से बात निकली। मैंने उनसे कहा कि मन में एक सवाल है, अगर आप कहें तो पूछूं। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “पूछिए।” "आपका बेटा तय नहीं कर पा रहा था कि वो क्या खाए। वो बर्गर और पनीर रोल में उलझा था। मैंने बहुत देर तक देखा कि आप न तो उस पर नाराज़ हुए, न आपने कोई जल्दी की। न आपने ये कहा कि आप दोनों चीज़ ले आते हैं। मैं होता तो कह देता कि दोनों चीज़ ले आता हूं, जो मन हो खा लेना। बाकी पैक करा कर ले जाता।" उन्होंने कहा, “ये बच्चा है। इसे अभी निर्णय लेना सीखना होगा। दो चीज़ लाना बड़ी बात नहीं थी। बड़ी बात है, इसे समझना होगा कि ज़िंदगी में दुविधा की गुंजाइश नहीं होती। *फैसला लेना पड़ता है मन का क्या है, मन तो पता नहीं क्या-क्या करने को करता है। पर कहीं तो मन को रोकना ही होगा।* अभी नहीं सिखा पाया तो कभी ये कभी नहीं सीख पाएगा। “इसे ये भी सिखाना है कि *जो चाहा, उसे संतोष से स्वीकार करो।* इसीलिए मैं बार-बार कह रहा था कि अपनी इच्छा बताओ। *इच्छा भी सीमित होनी चाहिए।* “और एक बात, इसे समझाता हूं कि *जो एक चीज़ पर फोकस नहीं कर पाते, वो हर चीज़ के लिए मचलते हैं।* *और सच ये है कि हर चीज़ न किसी को मिलती है, न मिलेगी।”* "हम हर चीज के लिए मचलते हैं पर नहीं मिलती"
Vaishali Kahale