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Ek villain
भारत के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए संयुक्त राष्ट्र 2023 को मोटे अनाजों का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया है इसका उद्देश्य भारतीय मोटे अनाज मिल्टस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना देना नेता किसानों को अच्छी आय दर्जन कराने का सहयोग करता है साथ ही मोटे अनाज के स्वास्थ्य लाभ तथा खेती के लिए अनेक उपयोगिता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है महाभारत में मोटे अनाज सदियों से परंपरा भोजन के रूप में लोकप्रिय रहे हैं सिंधु घाटी सभ्यता पूर्ण स्थलों से मोटे अनाजों के प्रति अवशेषों से इसकी पुष्टि होती है गुजरात के रुझान के बारे में बाजरे की किस्मों की पहचान हुई है जो हरियाणा के बनने वाली से जो कि हमारे पूर्वज और पोषक तत्व पाए जाते हैं दरअसल एक गलत धारणा के चलते मोटे अनाजों को गरीब का भोजन मान लिया गया वास्तव में यह पोषण से संपन्न होते हैं मोटे अनाज की कैल्शियम विटामिन लोहान से प्रोटीन और फाइबर जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं इसके नियंत्रण भोक्ता से प्रत्यक्ष प्रणाली मजबूत होती है चिकित्सकों के अनुसार दैनिक आहार में चावल और गेहूं की जगह मोटे अनाज को शामिल करने से डायबिटीज दूर होकर मोटापे जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है साथ ही इनके कई लाभ भी है इनका अपादान उसे भी बना हुआ है जिससे मानव तंत्र की है सुधरती है वही मोटे अनाज का अन्य कारों की तुलना में कार्बन फुटप्रिंट भी कम होता है जिसमें ग्लोबल वार्निंग से लड़ने में मदद मिलती है गौरतलब है कि धान की खेती में मिथेन और गेहूं के खेतों में नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस का बहुत आया तो मैं उसे प्रसन्न होता है ©Ek villain #मोटे अनाजों के प्रति बदलते नजरिए #doubleface
#मोटे अनाजों के प्रति बदलते नजरिए #doubleface #Society
read moreSanjeev gupta
Secret door राज दरवाजे का जरूर गहरा है तभी तो मोटे-मोटे तालों का पहरा है अंदर से आ रही आवाज अनजानी कदम-कदम पर ले रही सिसकियाँ विरानी अजीब सी हलचल दिल धड़का रही मौत के सन्नाटे को चीरकर कांपती रुह जिस्म में दफन हुए जा रही पल-पल बड़ती बेचैनी दिमाग को भटका रही कोई तो आओ रोशनी लेकर जान हमारी डर से निकली जा रही #SecretDoor
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 12 - भगवान ने क्षमा किया ऊँट चले जा रहे थे उस अन्धड़ के बीच में। ऊपर से सूर्य आग बरसा रहा था। नीचे की रेत में शायद चने भी भुन जायेंगे। अन्धड़ ने कहर बरसा रखी थी। एक-एक आदमी के सिर और कपड़ों पर सेरों रेत जम गयी थी। कहीं पानी का नाम भी नहीं था और न कहीं किसी खजूर का कोई ऊँचा सिर दिखायी पड़ रहा था। जमाल को यह सब कुछ नहीं सूझ रहा था। उसके भीतर इससे भी ज्यादा गर्मी थी। इससे कहीं भयानक अन्धड़ चल रहा था उसके हृदय में। वह उसी में झुलसा जा रहा था।
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 9 - सेवा का प्रभाव 'या खुदा, अब आगे को रास्ता भी नहीं है।' सवार घोड़े से कूद पड़ा। प्यास के मारे कण्ठ सूख रहा था। गौर मुख भी अरुण हो गया था। पसीने की बूदें नहीं थी, प्रवाह था। उसके जरी के रेशमी वस्त्र गीले हो गये थे। ज्येष्ठ की प्रचण्ड दोपहरी में जरी एवं आभूषणों की चमक नेत्रों में चकाचौंध उत्पन्न कर रही थी। वे उष्ण हो गये थे और कष्ट दे रहे थे। भाला उसने पेड़ में टिकाया, तरकश एवं म्यान खोल दी। कवच जलने लगा था और उसे उतार देना आवश्यक हो गया
read moreश्रीशायर
झुमका सुनो....जिस झुमके के लिए तुमने सारा घर सर पर उठा लिया था,ओर प्यारी सी आंखों से मोटे मोटे आंसू बहाए जा रही थी,जिसके मिलते ही तुमने चुम लिया अपने होठों से,ओर नम आंखों से पहनकर ही तुम शादी के मण्डप में गई थी कांपते हुए कदमो से,वो झुमका मेने तुम्हे अपनी पहली मुलाकात पर दिया था ना....श्रीशायर 😍😘 ख्वाहिश 😘😍 Ritika Gupta Prita चतुर्वेदी 📕🙏 zindgi_ki_baat Renuka Singh
😍😘 ख्वाहिश 😘😍 Ritika Gupta Prita चतुर्वेदी 📕🙏 zindgi_ki_baat Renuka Singh #शायरी
read moreNik JAT
~nik...jat✓ जिंदगी के ख्वाब बहुत छोटे होते हैं,, गम के आंसू मोटे-मोटे होते हैं।। #khamoshiyon k labz...
#Khamoshiyon k labz...
read moresavi
उम्मीद है कि कल सुबह मेरे सारे रिश्ते हर दिन की तरह... मुस्कुराते मिलेंगे..., माँ हर रोज़ की तरह डाटती हुई सुबह जगाएगी... भाई फिर बेवकूफी भारी बातें करेंगे...और मैं उसकी नदानिओ में प्यार से मुस्कुराऊँगी... बहना गले लगा के रोज की तरह... मुझे दिन भर की कहानियाँ सुनाएगी... पापा के वही रोज़ वाले... मोटे मोटे से सवाल जवाब के किस्से... मेरी ज़िन्दगी के ये प्यारे प्यारे हिस्से... उम्मीद है ये हर सुबह नए यादों से जुड़ेंगे... मुस्कुराते हुए मिलेंगे... #nojoto#nojotohindi#savi#love
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read moreसाक्षी
स्कूल का पहला दिन "नहीं जाना, नहीं जाना मम्मी तुम्हारे बिना कहीं नहीं जाना, तुम्हीं बन जाओ ना मेरी teacher, सुबह-शाम रोज मुझे पढाना।" कंधे पर बस्ता, आँखों में आँसू और इक हीं जिद "नहीं जाना।" जैसे तैसे पहुंची मैं स्कूल, मोटे-मोटे आंसू लिए मैं बैठी अकेले सबसे दूर, फस्ट पिरीयड में टीचर आयी, बडे़ प्यार से पास बुलायी, मुझे बिठायी, आँसू मेरी और भी आये, रोते रोते पहली दोस्त बनायी, घर की याद फिर भी आयी। मोटे-मोटे आँसू के साथ जलजीरा और आइसक्रीम खायी, लंच में जलेबी के पेड़ पर दीदी झुला लगाई, मुझे भी खूब झुलाई। फिर हमने खेली छुपम-छुपाई, पर लंच के बाद पिरीयड शुरु होते हीं फिर से घर की याद आयीं। 😂 The voice of soul #आजकाशब्द #स्कूलकापहलादिन #Bachpan #School #NojotoHindi #Nojoto
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read morePnkj Dixit
आज की कहानी "कहां है तुम्हारा गांव" 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ ।
🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ ।
read morePnkj Dixit
आज की कहानी "कहां है तुम्हारा गांव" 🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ ।
🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ । #जीवन #कहानी #अहसास #कविता
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