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Shubham Bhardwaj

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Patel_ki_Kalam

इंतज़ार और मोहब्बत चल अब रुक मत
किसका इन्तजार
जो मोहब्बत को 
उड़ा ले जाए हवाओं संग
चल नदी के पानी भाँति
आगे मोहब्बत का सागर
कर रहा इन्तजार तेरा!! #चल #अब #रुक #मत
#किसका #इन्तजार
जो #मोहब्बत को 
#उड़ा ले जाए #हवाओं #संग
चल #नदी के #पानी #भाँति
आगे #मोहब्बत का #सागर
कर रहा #इन्तजार #तेरा!!

विवेक कुमार सिंह

मैं और वो #Vks #Love

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भाँति-भाँति के अलंकारों से सजाकर रखूंगा,
मैं कुछ अल्फ़ाज़ उसके लिए बचाकर रखूंगा।

आख़िर हक़ है उसका मेरी कागज़-कलम पर भी,
मैं उसकी छवि को हर शेर में बताकर रखूंगा।

भूल जाए जग चाहे मेरी कविताओं औ' नज़्मों को,
कोई उसे न भूल पाएगा ऐसा बनाकर रखूंगा। मैं और वो #VKS #LOVE

Praveen Banjara Chawani

Guddu Sharma धन्यवाद प्रधानाचार्य महोदया । रात बाकी है रात आधी है अंधियारो से भरे दिन मेरे, डटा हु में ,खड़ा हूँ मै , हौंसलो में ना कमी कोई परिंदा हु आज नही तो कल पहुच ही जाना मंजिल तक, अडिग हु चट्टान की भाँति

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Guddu Sharma धन्यवाद प्रधानाचार्य महोदया ।

रात बाकी है 
रात आधी है अंधियारो से भरे दिन मेरे,
डटा हु में ,खड़ा हूँ मै ,
हौंसलो में ना कमी कोई 
परिंदा हु आज नही तो कल पहुच ही जाना मंजिल तक,
अडिग हु चट्टान की भाँति 
खड्ग हु भेदन की भाँति,
में ठुकराया अपनो का 
में मारा मेरे ही स्वपनों का ,
समय गवां दिया जिनके लिए 
असमय कर दिया गया उनके हाथों का में,
सफलता असफलता हिस्सा जीवन का..
में वक़्त का मारा अपनो का ,
ना आस है ना पास है
अब तो सब उपहास है,
ना साम है ना दाम है 
ना दण्ड है ना कोइ भेद है,
बस मेरे साथ मे ही खड़ा 
मेरे स्वपनों का मंजर अब ही पड़ा,
रात बाकी है रात आधी है अँधियारो से भरे दिन मेरे ,
पस्त हो गया अब में अस्त हो गया ....
नज़र दुर तक वीरानी सी 
ज़िंदगानी अब बेगानी सी,
लेकिन एक दीपक है जो जल रहा ...अट्हास ही राह दिखाता ,
दिया भी है बाती भी है ..
पर मिट्टी का बना पात्र अब खाली है ,
............. Guddu Sharma धन्यवाद प्रधानाचार्य महोदया ।

रात बाकी है 
रात आधी है अंधियारो से भरे दिन मेरे,
डटा हु में ,खड़ा हूँ मै ,
हौंसलो में ना कमी कोई 
परिंदा हु आज नही तो कल पहुच ही जाना मंजिल तक,
अडिग हु चट्टान की भाँति

Poetry with Avdhesh Kanojia

सुन ले पाकिस्तान ........................ हम हैं भारत के वासी है हमारा शौर्य महान। नष्ट तुझे हम कर देंगे तू सुन ले पाकिस्तान।। तेरे जैसा कायर कोई

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Kashmir सुन ले पाकिस्तान
........................
हम हैं भारत के वासी 
है हमारा शौर्य महान।
नष्ट तुझे हम कर देंगे 
तू सुन ले पाकिस्तान।।

तेरे जैसा कायर कोई
नहीं है इस संसार में।
खड़ा सदा तू रहता है
भिखमंगो की कतार में।।
सिर कितना भी उठा ले तू
चाइना के उपकार में।
तुरंत ढेर तू हो जाएगा
हमारे एक प्रहार में।।
तेरे सौ सौ पर भारी है
भारत का एक जवान।
नष्ट तुझे हम कर देंगे 
तू सुन ले पाकिस्तान।।

हम हैं भारत के वासी 
है हमारा शौर्य महान।
नष्ट तुझे हम कर देंगे 
तू सुन ले पाकिस्तान।।1।।


जो तू देता बार बार ये
युद्ध की हमें दुहाई है।
याद तू कर ले चार बार 
तुझे हमने धूल चटाई है।।
बार बार कायरों की भाँति
तूने जब करी चढ़ाई है।
और बढ़ी है शक्ति हमारी
तूने मुँह की खाई है।।
तू ही है इस दुनिया में
आतंकवाद की खान।
नष्ट तुझे हम कर देंगे 
तू सुन ले पाकिस्तान।।

हम हैं भारत के वासी 
है हमारा शौर्य महान।
नष्ट तुझे हम कर देंगे 
तू सुन ले पाकिस्तान।।2।।

भौंक ले तू चाहे कितना
भारत के शेर न डरते है।
हम जैसे वीरों के समक्ष
तुझ जैसे पानी भरते हैं।।
धोखे से तो तू लड़ता है
हम वीरों जैसे लड़ते हैं।
शीश काट लेते हम हैं
तुझ जैसे यदि अकड़ते है।।
धूमिल न होने देंगे
भारत माता की शान।
नष्ट तुझे हम कर देंगे 
तू सुन ले पाकिस्तान।।

हम हैं भारत के वासी 
है हमारा शौर्य महान।
नष्ट तुझे हम कर देंगे 
तू सुन ले पाकिस्तान।। सुन ले पाकिस्तान
........................
हम हैं भारत के वासी 
है हमारा शौर्य महान।
नष्ट तुझे हम कर देंगे 
तू सुन ले पाकिस्तान।।

तेरे जैसा कायर कोई

Poetry with Avdhesh Kanojia

सुन ले पाकिस्तान ........................ हम हैं भारत के वासी है हमारा शौर्य महान। नष्ट तुझे हम कर देंगे तू सुन ले पाकिस्तान।। तेरे जैसा कायर कोई #कविता

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sun le pakistan सुन ले पाकिस्तान
........................
हम हैं भारत के वासी 
है हमारा शौर्य महान।
नष्ट तुझे हम कर देंगे 
तू सुन ले पाकिस्तान।।

तेरे जैसा कायर कोई

विकास जोधपुरी

Alcohol बहुतेरे मदिरालय देखे, बहुतेरी देखी हाला,
भाँति भाँति का आया मेरे हाथों में मधु का प्याला,
एक एक से बढ़कर, सुन्दर साकी ने सत्कार किया,
जँची न आँखों में, पर, कोई पहली जैसी मधुशाला।।

एक समय छलका करती थी मेरे अधरों पर हाला,
एक समय झूमा करता था मेरे हाथों पर प्याला,
एक समय पीनेवाले, साकी आलिंगन करते थे,
आज बनी हूँ निर्जन मरघट, एक समय थी मधुशाला।। #मारवाड़ी

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 10 – अनुगमन 'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात्‌ पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी। थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
10 – अनुगमन

'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात्‌ पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी।

थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 7 - निष्ठा की विजय 'मैं महाशिल्पी को बलात्‌ अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
7 - निष्ठा की विजय

'मैं महाशिल्पी को बलात्‌ अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के
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