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Armanislamic

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Ankit

सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली;
और जाते हुए गाय को चेतवानी दे दी;
"जरा सम्हालकर चला करो, चीटिया शिकायत कर रही है" #चीटिया #बिल्ली #हज #चूहा #yqdidi #yqbaba

Ajay Vishwkarma

#हज और #कावड़ यात्रा पर जाने वाले सभी लोगो से #गुजारिस है कि
#मुल्क🇮🇳 की #तरक्की_खुश्हाली😊 और #मुल्क🇮🇳 मे #अमन_चैन_सुकुन के लिऐ #दुआ_प्रार्थना🤲 जरूर करे 
जाने वाले सभी लोगो को #तहेदिल❤ से बहुत_बहुत #मुबारकबाद jai hind jai bharat

Haleema Ali

या अल्लाह,,,,,
इतना जायज़ पैसा दे हर औलाद को कि ,,,
वह #हज करा सके अपने #माँ-बाप को,,,।।
हलीमा✍ #NojotoQuote #बोलो #आाामीीीीनननननन,,,
😘😘😘

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 12 - अर्थार्थी 'बेशर्म कहीं का' सरदार की आखें गुस्से से लाल हो गयी। फड़कते ओठों से उन्होंने डांटा। 'पासमें तो महज एक बूढा ऊँट है ओर हिम्मत इतनी।' 'कसूर माफ हो।' अरब अपमान सह नहीं सकता। अगर उसे रोशन का खयाल न होता तो तेग बाहर चमकती होती। लेकिन वह समझ नहीं सका था कि उसने गलती क्या की है। आखीर वह काना-कुबड़ा नही है। बदशकल भी नहीं है ओर कमजोर भी नही है। अरब न तो रोजगार करता और न खेती। किसी नखलिस्तान की चढ़ाई में वह भी दुशमन से आधे दर्जन ऊँट

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
12 - अर्थार्थी

'बेशर्म कहीं का' सरदार की आखें गुस्से से लाल हो गयी। फड़कते ओठों से उन्होंने डांटा। 'पासमें तो महज एक बूढा ऊँट है ओर हिम्मत इतनी।' 

'कसूर माफ हो।' अरब अपमान सह नहीं सकता। अगर उसे रोशन का खयाल न होता तो तेग बाहर चमकती होती। लेकिन वह समझ नहीं सका था कि उसने गलती क्या की है। आखीर वह काना-कुबड़ा नही है। बदशकल भी नहीं है ओर कमजोर भी नही है। अरब न तो रोजगार करता और न खेती। किसी नखलिस्तान की चढ़ाई में वह भी दुशमन से आधे दर्जन ऊँट

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 12 - अर्थार्थी 'बेशर्म कहीं का' सरदार की आखें गुस्से से लाल हो गयी। फड़कते ओठों से उन्होंने डांटा। 'पासमें तो महज एक बूढा ऊँट है ओर हिम्मत इतनी।' 'कसूर माफ हो।' अरब अपमान सह नहीं सकता। अगर उसे रोशन का खयाल न होता तो तेग बाहर चमकती होती। लेकिन वह समझ नहीं सका था कि उसने गलती क्या की है। आखीर वह काना-कुबड़ा नही है। बदशकल भी नहीं है ओर कमजोर भी नही है। अरब न तो रोजगार करता और न खेती। किसी नखलिस्तान की चढ़ाई में वह भी दुशमन से आधे दर्जन ऊँट और बडा-सा तम्बू छीन सकता है। सरदार के ऊँट #Books

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|| श्री हरि: ||
12 - अर्थार्थी

'बेशर्म कहीं का' सरदार की आखें गुस्से से लाल हो गयी। फड़कते ओठों से उन्होंने डांटा। 'पासमें तो महज एक बूढा ऊँट है ओर हिम्मत इतनी।' 

'कसूर माफ हो।' अरब अपमान सह नहीं सकता। अगर उसे रोशन का खयाल न होता तो तेग बाहर चमकती होती। लेकिन वह समझ नहीं सका था कि उसने गलती क्या की है। आखीर वह काना-कुबड़ा नही है। बदशकल भी नहीं है ओर कमजोर भी नही है। अरब न तो रोजगार करता और न खेती। किसी नखलिस्तान की चढ़ाई में वह भी दुशमन से आधे दर्जन ऊँट और बडा-सा तम्बू छीन सकता है। सरदार के ऊँट


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